CM योगी ने खत्म किया 40 साल पुराना कानून, पूर्व सीएम और मंत्री खुद करेंगे ये काम

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों के इनकम टैक्स भरने के मामले में 4 दशक पुरानी व्यवस्था को खत्म कर दिया है। सीएम योगी ने आदेश दिया है कि भविष्य में किसी भी कैबिनेट मंत्री या मुख्यमंत्री का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से नहीं भरा जाएगा। मुख्यमंत्री या मंत्री अब खुद अपना आयकर रिटर्न भरेंगे।

Update: 2023-04-26 16:35 GMT

लखनऊः उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों के इनकम टैक्स भरने के मामले में 4 दशक पुरानी व्यवस्था को खत्म कर दिया है। सीएम योगी ने आदेश दिया है कि भविष्य में किसी भी कैबिनेट मंत्री या मुख्यमंत्री का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से नहीं भरा जाएगा। मुख्यमंत्री या मंत्री अब खुद अपना आयकर रिटर्न भरेंगे।

दरअसल, अब तक सरकार मंत्रियों का सरकारी खजाने से इनकम टैक्स भरती थी।

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यह जानकारी प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने दी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज एलाउन्सेस एण्ड मिसलेनियस एक्ट-1981 के अन्तर्गत सभी मंत्रियों के इनकम टैक्स बिल का भुगतान अभी तक राज्य सरकार की ट्रेजरी द्वारा किया जाता है।

खन्ना ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार यह निर्णय लिया गया है कि अब सभी मंत्री अपने इनकम टैक्स का भुगतान स्वयं करेंगे।

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उन्होंने बताया कि सरकारी खजाने से अब मंत्रियों के आयकर बिल का भुगतान नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि एक्ट के इस प्राविधान को समाप्त किया जायेगा।

इनका भरना था टैक्स

सरकार को नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, मायावती, राजनाथ सिंह, अखिलेश यादव और तत्कालीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इनकम टैक्स भरना था।

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वीपी सिंह

ये था कानून

उत्तर प्रदेश के मंत्रियों के वेतन, भत्ते और विविध अधिनियम-1981 के तहत कानून बनाया गया था। उस समय मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप (वीपी) सिंह थे। उस समय वीपी सिंह ने सदन में कहा था कि राज्य सरकार को मंत्रियों के आयकर का बोझ उठाना चाहिए, क्योंकि अधिकांश मंत्री गरीब पृष्ठभूमि से हैं और उनकी आय कम है। उत्तर प्रदेश ट्रेजरी ने वर्ष 1981 से अब तक लगभग सभी मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के आयकर बकाये का भुगतान किया है।

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