विकास दुबे के करीबी फंसे: CM योगी तैयार करा रहे मददगार नेताओं-अफसरों की सूची
भाजपा संगठन से जुड़े विकास दुबे के करीबियों से संगठन स्तर पर पूछताछ करने की तैयारी है। पार्टी और सरकार की साख बचाने के लिए भाजपा संगठन के पदाधिकारी भी इस मुहिम में शामिल बताए जा रहे हैं।
अंशुमान तिवारी
कानपुर। चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की शहादत के 48 घंटे बाद भी कुख्यात बदमाश विकास दुबे पुलिस की पकड़ से दूर है। पुलिस की तमाम टीमें बनाए जाने के बावजूद अभी तक पुलिस इस कुख्यात बदमाश को पकड़ने में नाकाम रही है। विकास दुबे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गले की फांस बन गया है क्योंकि इसे लेकर प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इस बीच जानकार सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री विकास दुबे से जुड़े विभिन्न पार्टियों के नेताओं, मंत्रियों, अफसरों और पुलिसकर्मियों की सूची तैयार करा रहे हैं ताकि उसे संरक्षण देने वालों पर शिकंजा कसा जा सके।
मददगारों का तैयार हो रहा ब्योरा
जानकारी सूत्रों का कहना है कि भाजपा के कई नेताओं से भी विकास दुबे के संबंध थे। इन नेताओं के बारे में भी ब्योरा इकट्ठा किया जा रहा है। खुफिया विभाग के साथ ही कई अन्य प्रमुख अफसरों को इस काम में लगाया गया है। यह सब बेहद गोपनीय तरीके से किया जा रहा है। यह भी जानकारी मिली है कि शक के दायरे में आए नेताओं को स्वयं उपस्थित होकर मुख्यमंत्री के सामने अपनी बात रखने को कहा गया है। योगी सरकार के एक मंत्री के साथ भी विकास दुबे की फोटो वायरल हो रही है और इसकी भी जांच पड़ताल की जा रही है।
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संगठन स्तर पर भी होगी पूछताछ
भाजपा संगठन से जुड़े विकास दुबे के करीबियों से संगठन स्तर पर पूछताछ करने की तैयारी है। पार्टी और सरकार की साख बचाने के लिए भाजपा संगठन के पदाधिकारी भी इस मुहिम में शामिल बताए जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि लोगों के दिलों दिमाग में पार्टी और सरकार की छवि अच्छा बनाने के लिए सरकार ऐसे चेहरों को बेनकाब करने की कोशिश में जुटी हुई है।
विरोधी गुट भी रखेगा अपना पक्ष
कुख्यात बदमाश विकास दुबे की दबंगई से परेशान दूसरा गुट भी सक्रिय हो गया है। जहां एक गुट विकास दुबे से रिश्ते को लेकर सफाई देने की तैयारी कर रहा है तो दूसरा गुट ऐसे लोगों को बेनकाब करने में जुटा हुआ है जिनके विकास दुबे से करीबी रिश्ते थे। माना जा रहा है कि दोनों गुटों के लोग मुख्यमंत्री और संगठन के उच्च पदाधिकारियों के सामने अपना-अपना पक्ष रखेंगे।
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फिर गरमाएगा मंत्री की हत्या का मामला
इस बीच जानकारी मिली है कि श्रम संविदा बोर्ड के चेयरमैन रहे दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या का मामला एक बार फिर गरमा सकता है। 2001 में शिवली थाने में घुसकर संतोष शुक्ला की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में विकास दुबे का नाम सामने आया था मगर मामले की लचर पैरवी और गवाह न मिलने के कारण विकास दुबे इस मामले में कोर्ट से बरी हो चुका है। संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला अपने भाई की हत्या का पूरा ब्यौरा जुटाने में लगे हुए हैं। यह मामला भी मुख्यमंत्री की चौखट तक पहुंच गया है और इस मामले में खुफिया तंत्र और पुलिस से पूरी जानकारी जुटाई जा रही है।
विकास के मददगार पुलिसकर्मी भी रडार पर
बिकरू गांव में हुई मुठभेड़ में कई पुलिसकर्मी भी एसटीएफ के रडार पर हैं। एसटीएफ ऐसे पुलिसकर्मियों को चिन्हित करने में जुटी है जिन्होंने पुलिस ऑपरेशन की सूचना लीक की थी। इस मामले में चौबेपुर के थाने के प्रभारी विनय तिवारी को निलंबित किया जा चुका है। एसटीेएफ ने करीब 500 मोबाइल नंबर चिन्हित किए हैं जिन्हें सर्विलांस पर लिया गया है। इनमें घटनास्थल से संबंधित चौबेपुर थाने के कई पुलिसकर्मियों के नंबर भी हैं। इसके साथ ही विकास दुबे, उसके रिश्तेदारों व करीबियों के नंबर भी सर्विलांस पर लिए गए हैं। उनके फोन नंबरों से पता लगाया जा रहा है कि उनकी किन-किन पुलिसकर्मियों से हाल के दिनों में बात हुई है।
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