लखनऊ-कानपुर में होड़: कोरोना संक्रमितों को लेकर शुरू लड़ाई, जाने पूरा मामला
नए कोरोना संक्रमितों के मिलने के मामलें में यूपी की राजधानी लखनऊ बीते कई दिनों से लगातार टॉप पर चल रही है। लॉकडाउन में कोरोना संक्रमितों के मिलने की जो संख्या इकाई या दहाई मे होती थी, उसका आंकडा अब अनलाक में तीन अंकों से नीचे नहीं आ रहा है।
लखनऊ। कोरोना संक्रमण के मामले में यूपी में तेजी से आंकड़े बढ रहे है। इसमे भी चार-पांच जिलों में लगातार कोरोना संक्रमितों की बड़ी संख्या सामने आ रही है। कोरोना संक्रमण के मामलें में राजधानी लखनऊ और पड़ोसी जिला कानपुर लगातार नंबर एक और दो की पोजीशन पर बने हुए है। हालात यह है कि योगी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री समेत सात मंत्री भी कोरोना से संक्रमित हो चुके है जिसमे से एक कमल रानी वरुण की तो जान भी जा चुकी है।
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ये है हाल ए लखनऊ
नए कोरोना संक्रमितों के मिलने के मामलें में यूपी की राजधानी लखनऊ बीते कई दिनों से लगातार टॉप पर चल रही है। लॉकडाउन में कोरोना संक्रमितों के मिलने की जो संख्या इकाई या दहाई मे होती थी, उसका आंकडा अब अनलाक में तीन अंकों से नीचे नहीं आ रहा है। लखनऊ में अब तक एक दिन में सबसे ज्यादा 631 कोरोना संक्रमित मिल चुके है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की तमाम कवायदे कोरोना के बढ़ते आंकड़े को थामने में नाकाफी साबित हो रहे है।
बीते रविवार को भी लखनऊ में 391 नए कोरोना मरीज सामने आये। हालांकि इस दौरान 410 लोग ठीक होकर डिस्चार्ज भी हुए है। अब तक यहां कोरोना से 115 लोगों की मौत हो चुकी है। फिलहाल लखनऊ में 4012 कोरोना के सक्रिय मरीज है। जिलें में कोरोना जांच का दायरा भी बढ़ा कर प्रतिदिन 10,000 टेस्ट का कर दिया है और इसके अलावा लखनऊ के सभी 110 वार्डों में भी कैम्प लगा कर कोरोना का एंटीजन टेस्ट किया जा रहा है।
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कोरोना से लड़ाई की पूरी नीति आईएएस अधिकारी बना रहे
डोर-टू-डोर सर्विलांस में भी तमाम सरकारी कर्मचारियों, आशा बहुओं, बेसिक हेल्थ वर्कर, अनुदेशकों तथा शिक्षकों को लगाया गया है। लेकिन हर जगह प्रबंधन की कमी नजर आ रही है। लाकडाउन अवधि में जो पुलिस सक्रिय थी वह भी अब ढ़ीली पड़ चुकी है इसी का नतीजा है कि शनिवार और रविवार की बंदी में भी लोगों को आवाजाही में कोई समस्या नहीं हो रही है। इधर, पिछले दिनों लखनऊ में कोरोना के बढ़ते आंकड़ों से नाराज शासन ने यहां के मुख्य चिकित्साधिकारी को भी बदल दिया है लेकिन फिर भी कोरोना संक्रमण पर लगाम नहीं लग पा रही है। मुख्य चिकित्साधिकारी के बदले जाने से चिकित्सकों में नाराजगी की सुगबुगाहट है।
चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना से लड़ाई की पूरी नीति आईएएस अधिकारी बना रहे है, उसमे चिकित्सकों को शामिल नहीं किया जा रहा है और कोरोना बढ़ने की तोहमत चिकित्सकों के ऊपर डाल दी जा रही है। कोविड अस्पतालों की स्थिति भी बहुत खराब होने का चर्चा हर दूसरी जुबान पर है इन चर्चाओं के डर से कई लोग संक्रमित होने के बावजूद टेस्ट नहीं करा रहे है।
बिना रणनीति के हो रहा है कानपुर में कोरोना से मुकाबला
कानपुर जिले में कोरोना संक्रमितों के लगातार बढ़ने की वजह इससे निपटने के लिए कोई रणनीति का तय नहीं किया जाना है, मरीजों के इलाज का भी इंतजाम नहीं है। इसका प्रमाण उस वक्त मिला जब करीब एक हफ्ते पहले राज्य के मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी यहां समीक्षा करने पहुंचे। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कोरोना मरीजों की सही स्थिति तक बताने में नाकाम रहे। जिसके बाद मुख्य सचिव ने पूरी व्यवस्था में सुधार के आदेश दिए थे लेकिन स्थिति जस की तस है।
कानपुर में कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए बनाये गए कोविड अस्पतालों में कुल 1933 बेडो की व्यवस्था है। जिसमे एल-1 के छह अस्पतालों में 933 बेड, एल-2 के आठ अस्पतालों में 800 और एल-3 के लिए केवल हैलट अस्पताल में 200 बेड है। मौजूदा समय में कानपुर में सक्रिय कोरोना मरीजों की संख्या 3661 है, इनमे से 869 को होम आइसोलेट किया गया है। अब जबकि इतनी संख्या में मरीजों को भर्ती करने का इंतजाम ही नहीं है तो ऐसे में कोरोना मरीज बगैर भर्ती हुए जिले में संक्रमण फैला रहे है।
रिपोर्ट- मनीष श्रीवास्तव, लखनऊ
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