एक हजार की मददः इस शहर में प्रकट हो गए तीस हजार रिक्शाचालक

कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच लागू लॉकडाउन में रोजगार खोने वाले आटो रिक्शा चालकों, पैडल वाला रिक्शा चलाने वालों, दाई, पल्लेदारों को प्रदेश सरकार ने...

Update: 2020-06-22 05:30 GMT

गोरखपुर: आप यकीन मानिए या फिर नकार दीजिए, लेकिन नगर निगम को 1000 रुपये की मदद को लेकर जो आवेदन मिले हैं, उसके मुताबिक शहर में 30 हजार से अधिक लोग रिक्शा, ठेला चला रहे हैं। 13 लाख की शहरी आबादी वाले गोरखपुर में अचानक प्रगट हुए इनके रिक्शे वालों की वास्तविक हकीकत जानने में निगम के अधिकारियों को पसीना छूट रहा है। इनकी जांच नहीं होने से जरूरत मंदो के बैंक खातों में भी पैसे नहीं भेजे जा रहे हैं।

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दरअसल कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच लागू लॉकडाउन में रोजगार खोने वाले आटो रिक्शा चालकों, पैडल वाला रिक्शा चलाने वालों, दाई, पल्लेदारों को प्रदेश सरकार ने 1000-1000 रुपये मदद देने की घोषणा की है। नगर निगम का दावा है कि 24 हजार से अधिक लोगों के खाते में 1000-1000 रुपये भेजा जा चुका है, लेकिन इंतजार करने वालों की संख्या कम नहीं हो रही है। जिन रिक्शा चालकों मदद मिली है, और जो लाइन में हैं, वह संख्या करीब 30 हजार के पार है।

पार्षद ने अपने ही परिवार के 25 लोगों की सूची जमा कर दी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले चरण में चिन्हित 10 हजार से अधिक रेहड़ी वालों, ऑटो रिक्शा चालकों के खाते में 1000-1000 रुपये की मदद भेजी थी। इसके बाद विधायक से लेकर पार्षदों ने सूची तैयार की। इसके साथ ही भाजपा के कार्यकर्ताओं, हारे हुए पार्षद प्रत्याशी, पूर्व पार्षदों ने भी भारी-भरकम सूची नगर निगम में जमा कर दी। एक पूर्व पार्षद ने जब अपने ही परिवार के 25 लोगों के नाम वाली सूची जमा कर दी तो हंगामा मचा। जिसके बाद अधिकारी सर्वे और जांच की बात कहते हुए मदद की रफ्तार में ब्रेक लगा दिया।

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24 हजार लोगों के खाते में पहुंची मदद

नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक 24 हजार लोगों के खाते में 1000-1000 रुपये की मदद पहुंच चुकी है। कितने लोगों का आवेदन लंबित है, इसका कोई आकड़ा विभाग के पास नहीं है। लेकिन सिर्फ पार्षदों की सूची को देखें तो उन्होंने 20 हजार से अधिक लोगों की सूची निगम प्रशासन को मुहैया कराई है। वहीं अन्य जनप्रतिनिधियों और भाजपा के कार्यकर्ताओं ने 20 हजार से अधिक की सूची निगम प्रशासन को दिया है।

पार्षदों की सूची पर सवाल

पार्षदों से लेकर नेताओं ने जो सूची दी है, उनमें 30 हजार से अधिक रिक्शा चालक, ऑटो रिक्शा और ठेला चलाने वाले हैं। खुद प्रशासन का आकड़ा इसे लेकर सवाल खड़ा करता है। नगर निगम में करीब 6000 ऑटो हैं। आरटीओ ने नये परमिट पर रोक लगा रखी है। नगर निगम में करीब 5000 रिक्शा और ठेले वाले पंजीकृत हैं। ऐसे में सवाल है कि शहर में 30 हज़ार रिक्शा वाले कहाँ से आ गए।

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पार्षद जी! खाते में कब आएंगे 1000 रुपये

भाजपा, सपा या फिर निर्दल पार्षद, सभी का रोना है कि उन्होंने जो सूची दी थी, उनमें से कईयों को मदद नहीं मिली। जनप्रिय विहार के पार्षद ऋषि मोहन वर्मा का कहना है कि 380 रिक्शा चालक, ठेला, दर्जी, पल्लेदारों की सूची में से किसी को मदद नहीं मिला। पुर्दिलपुर पार्षद मनु जायसवाल का कहना है कि 230 की सूची में 107 को मदद मिली। बिछिया वार्ड के पार्षद अभिमन्यू मौर्या ने 600 की सूची दी थी, एक को भी मदद नहीं मिली। झरना टोला वार्ड के पार्षद प्रतिनिधि रमेश गुप्ता का कहना है कि रिक्शा चालक, ठेला, रेहड़ी वालों का ही नाम देने का निर्देश था। ऐसे 450 लोग का नाम दिया था। बमुश्किल 20 लोगों के खाते में मदद पहुंची है।

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निगम प्रशासन की बात को किया जा रहा अनसुना

निगम प्रशासन से लाभ पाने वालों की सूची पिछले 15 दिन में मांग रहे हैं, लेकिन इसे अनसुना किया जा रहा है। अपर नगर आयुक्त डीके सिन्हा का कहना है कि गोरखपुर शहर के करीब 24 हजार रिक्शा चालकों, ठेला चलाने वालों, रेहड़ी, पटरी व्यापारियों के खाते में 1000-1000 रुपये की मदद गई है। फिलहाल विधायकों और पार्षद द्वारा मिली सूची प्रशासन को भेजी जा रही है। जहां संस्तुति के बाद खाते में रकम भेजी जा रही है। कितने और आवेदन मदद की कतार में हैं, या कितने लोगों को मदद नहीं मिली है, यह आकड़ा पशासन के अधिकारी ही बता सकते हैं।

रिपोर्ट: पूर्णिमा श्रीवास्तव, गोरखपुर

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