किसानों से ली जाएगी जमीन, अब ऐसे बसेगा नया शहर, लैंड पूल के जरिए होगा काम

दादरी नोएडा गाजियाबाद निवेश क्षेत्र बसाने की तैयारियां तेज हो गई है। उक्त क्षेत्र में 8० गांव को शामिल किया गया है। उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम 1976 की धारा 3 की उप धारा (1-क )के साथ धारा- 2 के खंड (ड-2 ) के तहत राज्यपाल ने इसकी घोषणा की है।

Update:2021-02-09 19:01 IST
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नोएडा: विशेष निवेश क्षेत्र (दादरी नोएडा गाजियाबाद निवेश क्षेत्र) बसाने के लिए यहा किसानों से जमीन अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। इसके एवज में दिल्ली व गुजरात की तर्ज पर लैंड पूल के जरिए जमीन ली जाएगी और नया शहर बसाया जाएगा। इसमें जमीन पर किसानों का हक भी बराबरी का होगा। उनको विकसित कर जमीन दी जाएगी। जिसकी लागत अविकसित जमीन की तुलना में कई गुना ज्यादा होगी। गठित समिति ने यह प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। वहां से अनुमति मिलते ही प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

निवेश क्षेत्र बसाने की तैयारियां तेज

दादरी नोएडा गाजियाबाद निवेश क्षेत्र बसाने की तैयारियां तेज हो गई है। उक्त क्षेत्र में 8० गांव को शामिल किया गया है। उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम 1976 की धारा 3 की उप धारा (1-क )के साथ धारा- 2 के खंड (ड-2 ) के तहत राज्यपाल ने इसकी घोषणा की है। इससे करीब 2० हजार हेक्टेयर जमीन नोएडा को मिलेगी। इसमें बुलन्दशहर शहर के 6० गांव और गौतम बुध नगर के 2० गांव की जमीन को शामिल किया गया है। जिस जमीन पर इस निवेश क्षेत्र को बसाया जाना है।

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अधिग्रहण कानून से जमीन लेने पर किसानों को मुआवजा, पांच-पांच फीसदी आवासीय भूखंड, अस्पताल व स्कूलों किसानों को वरीयता जैसी कई सुविधाएं देनी होती हैं। कई बार प्राधिकरण समय से किसानों को हक नहीं दे पाते तो विवाद भी होता है। वहीं, जब प्राधिकरण उस जमीन को आवंटित कर देते हैं तो आवंटियों को जमीन पर कब्जा नहीं मिल पाता। इससे आवंटियों को परेशानी होती है।

(फोटो- सोशल मीडिया)

बाद में यही मुद्दे किसान आंदोलन की वजह बनते हैं। ऐसे में प्राधिकरणों ने तय किया है कि विशेष निवेष क्षेत्र के लिए प्रस्तावित परियोजनाओं के लिए लैंड पूल से जमीन ली जाएगी। नए शहरों के बसने से प्राधिकरण और किसानों के साथ ही आम लोगों को भी फायदा होगा। उद्योगों को और जमीन मिल सकेगी।

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प्राधिकरण किसानों को विकसित कर देगा जमीन

लैंड पूल पॉलिसी के तहत किसानों से जमीन लेकर उसे विकसित करके आधी जमीन वापस कर दी जाएगी। एक उदाहरण के तौर पर समझे तो एक क्षेत्र में 1०० फीसद जमीन पर नया शहर बसाना है। इसमे करीब 5० प्रतिशत जमीन यूटीलिटीस(सड़क, सीवर, ग्रीनरी) में निकल जाएंगी। जबकि शेष 5० प्रतिशत जमीन में 25 प्रतिशत किसानों को विकसित कर दी जाएगी। और 25 प्रतिशत निवेश के लिए होगा। किसानों को दी जाने वाली 25 प्रतिशत जमीन विकसित होगी।

समिति ने भेजा है प्रस्ताव

लैंड पूल से जमीन खरीदने पर नीति तैयार करने के लिए शासन ने तीनों प्राधिकरणों की समिति गठित की थी। समिति ने अपने प्रस्ताव शासन को भेज दिए हैं। तीनों प्राधिकरणों ने इस नीति को अनुकूल माना है। शासन से भी इस पर शीघ्र अनुमति मिलने की उम्मीद है।

रिपोर्ट- दीपांकर जैन

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