BJYM President: इस बार भी युवा मोर्चा अध्यक्ष के चयन में चलेगी दयाशंकर सिंह की!

BJYM President: भारतीय जनता युवा मोर्चा में कभी परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह अध्यक्ष हुआ करते थे। बाद में यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष बने इस दौरान जो सबसे खास बात रही कि युवा मोर्चा में उनकी पकड़ कभी कमजोर नहीं हुई।

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Published By :  Vidushi Mishra
Update:2022-05-07 14:06 IST

दया शंकर सिंह (फोटो-सोशल मीडिया) 

Daya Shankar Singh: भारतीय जनता युवा मोर्चा (Bharatiya Janata Yuva Morcha) में कभी परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह अध्यक्ष हुआ करते थे। बाद में यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष बने इस दौरान जो सबसे खास बात रही कि युवा मोर्चा में उनकी पकड़ कभी कमजोर नहीं हुई। उनके करीबी अध्यक्ष पद पर काबिज होते रहे हैं और इस बार भी यही उम्मीद है।

लखनऊ विश्वविद्यालय(University Of Lucknow) की उपज दयाशंकर (Daya Shankar Singh Political Career) कुशल राजनितिक पकड़ रखते हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगा लीजिए कि पति पत्नी में विवाद के बाद जब पार्टी की फजीहत एन चुनाव में हुई तब भी उनकी सेहत को फर्क नहीं पड़ा । न सिर्फ टिकट मिला बल्कि मंत्री पद से भी नवाजे गए ।

दया भले ही भूतपूर्व मोर्चा अध्यक्ष हों लेकिन उन्होंने अपनी पकड कमजोर नहीं होने दी । उनका करीबी ही इस पद पर रहता आया है । पदाधिकारी भी उनकी मर्जी के होते हैं । इस समय जिनके भी नाम अध्यक्ष पद की रेस में हैं वो चाहे वैभव सिंह हों हर्षवर्धन हों राहुल राज रस्तोगी हों कमलेश मिश्रा हों ये सभी दया के करीबी रहे हैं । मोर्चा अध्यक्ष बनने के लिए युवा नेता दया के आसपास मंडरा रहे हैं । उन्हें भी पता है दया की दया हुई तो अध्यक्ष पद मिलना मुश्किल नहीं ।

अध्यक्ष पद के लिए गणेश परिक्रमा

युवा मोर्चा मुख्य संगठन में दमदार इंट्री का गेट माना जाता है । युवा नेता चाहते हैं कि जोड़ तोड़ गुणा गणित कर एक बार अध्यक्ष बन जाएं तो आगे का राजनैतिक जीवन सफल हो ही जाना है । अध्यक्ष बनने के बाद बड़े दिग्गज नेताओं तक आसानी से पहुंचा जा सकता है । टिकट का भी जुगाड़ हो ही जाता है ।

ऐसे में युवा नेता लखनऊ, दिल्ली और संघ के नेताओं की गणेश परिक्रमा करने में लगे हैं । वहीँ उनको ये भी अच्छे से पता है कि मोर्चा अध्यक्ष पद का रास्ता दयाशंकर से होकर जाता है तो वो वहां भी हाजरी लगाने पहुचंते हैं ।

लोकसभा चुनाव और जातीय समीकरण

बीजेपी आलाकमान लोकसभा चुनाव की तैयारी में लग गया है । सरकार से संगठन तक चुनावी मोड में हैं । बीजेपी को जो अपने अध्यक्ष घोषित करने में देरी हो रही है, वो इसलिए ही है कि जातीय समीकरण के साथ सोशल इंजीनियरिंग कुछ ऐसे रहे कि लोकसभा चुनाव के समय मतो का विभाजन कम से कम हो । बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष यदि ब्राह्मण दलित या ओबीसी से होगा तो युवा मोर्चा में इसके उलट होगा । फिलहाल सभी की नजर इसी पर टिकी है कि कौन होगा अगला अध्यक्ष ।

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