ऐसा पहली बार हुआ है पुलिसिया इतिहास में, यूपी DGP को दिल्ली में ओएसडी का भी चार्ज

Update:2018-09-29 13:57 IST
ऐसा पहली बार हुआ है पुलिसिया इतिहास में, यूपी DGP को दिल्ली में ओएसडी का भी चार्ज
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शारिब जाफरी
शारिब जाफरी

लखनऊ: ऐसा पहली बार हुआ है जब यूपी पुलिस के मुखिया की कुर्सी संभालने वाले अफसर को दिल्ली में प्रमुख स्थानिक आयुक्त का भी कार्यभार सरकार ने सौंप दिया है। उच्च स्तरीय यह सरकारी आदेश में साफ तौर पर पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह को जनहित में कार्यभार ग्रहण करने को कहा गया है।

लाख टके का सवाल है कि देश की सब से बड़ी जनसख्या वाले सूबे की क़ानून व्यवस्था दुरुस्त करने का ज़िम्मा जिस अफसर के पास है उसे ही दिल्ली में राज्य के प्रमुख स्थानिक आयुक्त की कुर्सी पर बैठाने से क्या जनहित साधने वाला है? सामान्यतः स्थानिक आयुक्त कार्यालय नई दिल्ली में स्थानिक आयुक्त या प्रमुख स्थानिक आयुक्त के पद पर आईएएस अफसरों की तैनाती होती रही है। प्रशासनिक अमले में इस तैनाती के अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं।

ऐसा पहली बार हुआ है पुलिसिया इतिहास में, यूपी DGP को दिल्ली में ओएसडी का भी चार्ज
ऐसा पहली बार हुआ है पुलिसिया इतिहास में, यूपी DGP को दिल्ली में ओएसडी का भी चार्ज

प्रमुख सचिव गृह अरविन्द कुमार ने यूपी पुलिस के मुखिया ओ पी सिंह को डीजीपी के साथ विशेष कार्याधिकारी (प्रमुख स्थानिक आयुक्त स्तर) स्थानिक आयुक्त कार्यालय नई दिल्ली का अतरिक्त प्रभार सौपने का आदेश जारी किया है। उन की दिल्ली में तैनाती के लिए नियुक्ति विभाग से भी मंज़ूरी ली गई है।

ख़ास बात यह भी है कि इस जानकारी मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव शशि प्रकाश गोयल, गवर्नर के प्रमुख सचिव हेमंत राव और मुख्य सचिव अनूप चन्द्र पाण्डेय को भी इस की जानकारी दी गई है। विभागीय जानकारों का कहना है, कि डीजीपी साहब का आये दिन दिल्ली आना जाना लगा रहता है ऐसे में उन की इस पद पर तैनाती काफी कारगर साबित होगी। डीजीपी पिछले दो दिनों से एनसीआर में हैं।

पुलिस का अपराधियों का खौफ हो या नहीं आम लोग दशहत में

एक तरफ डीजीपी साहब को दिल्ली ओएसडी के रूप में अतरिक्त प्रभार दिया गया है। वही प्रदेश में अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। पुलिस का अपराधियों में ख़ौफ़ हो या न हो लेकिन आम आदमी पुलिस की गोली से दहशतज़दा है। मेरठ में मेडिकल छात्रा की पुलिस हिरासत में पिटाई और लखनऊ में हुई कथित मुठभेड़ में एप्पल स्टोर के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की ह्त्या ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इससे पहले नोयडा में बहन की सगाई से लौट युवक को पुलिस सब इंस्पेकटर द्वारा गोली मारे जाने, राजधानी में बेज़ुबान को गोली मार कर गिराए जाने और मंडियाव में ड्राइवर की गर्दन को बूटों से रौंदें जाने की घटना ने खाकी को शर्मसार कर दिया है। मज़े की बात यह है यूपी पुलिस का निशाना इतना अचूक है, कि अपराधियों को गोली सीधे घुटने के आसपास लगती है।

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