यहां नहीं है योगी का डरः दम तोड़ रहे गोवंश, अधिकारी बेपरवाह
पूरा मामला जनपद शामली के थाना आदर्श मंडी क्षेत्र के कस्बा बनत में बने आश्रय स्थल का है यहां पर भूख और गर्मी के कारण दो गो वंशो ने दम तोड़ दिया।
शामली: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए कुल 4.79 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था जिसमें से 247.60 करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्रों में गोवंश के रखरखाव के लिए गोशालाओं के निर्माण के लिए आवंटित किए थे और सभी जिले के अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि वो सभी गोवंशों को आश्रय स्थलों में जमा कर और उनका ध्यान रखे। लेकिन सरकार के आदेशों की अवेहलना कर रहे है और उनकी उदासीनता के चलते गो आश्रय स्थलों में मौजूद गो वंश दम तोड़ रहे है।
ताज़ा मामला जनपद शामली का है जहाँ पर गो आश्रय स्थल में मौजूद दो गो वंशो ने भूख और गर्मी के कारण दम तोड़ दिया। इतना ही नही किसी ने गो वंश के मरने के बाद इतनी भी जहमत नही उठायी की मृत गो वंश को दफना दे। मृत गो वंश को कुत्ते नोच रहे है और उनकी सुध लेने वाला कोई नही है।
गर्मी, भूख-प्यास से तड़प के मर रहे गो वंश
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पूरा मामला जनपद शामली के थाना आदर्श मंडी क्षेत्र के कस्बा बनत में बने आश्रय स्थल का है यहां पर भूख और गर्मी के कारण दो गो वंशो ने दम तोड़ दिया। इतना ही नहीं गोवंश को कुत्ते नोच नोच कर खा रहे हैं और उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। बेसहारा गोवंशों का तो हाल बेहाल है ही। लेकिन संरक्षित गोवंशों का भी दम निकल रहा है। एक तो प्रचंड गर्मी। इससे राहत के कोई इंतजाम नहीं और खाने को सिर्फ सूखा भूसा। ऐसे में गोवंश बीमार हो रहे हैं। बनत स्थित वृहद गौ संरक्षण केंद्र में आज दो गोवंश की मौत हो गयी। हालांकि पशुपालन विभाग दोनो को सड़क हादसे में घायल होना बता रहा है। लेकिन कई पशु बीमार भी हैं और बेहोशी हालत में मिले।
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पहले जिले में बेसहारा गोवंश को संरक्षित करने के लिए कोई आश्रय स्थल नहीं था। बेसहारा गोवंशों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने आश्रय स्थल बनाने के आदेश दिए। जनवरी से अब तक जिले में 32 अस्थाई आश्रय स्थल बनाए गए और बनत में वृहद गौ संरक्षण केंद्र बना। वैसे तो 3505 गोवंश संरक्षित किए जा चुके हैं और वृहद गौ संरक्षण केंद्र 284 गोवंश संरक्षित किए गए। कम से कम केंद्र में आदर्श स्थिति होनी चाहिए थी, लेकिन यहां बुरा हाल है। कहने को तो गोवंशों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए नियमित चिकित्सकों की विजिट का दावा है, लेकिन ऐसा नहीं होता है।
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कई-कई दिन गोवंशों को बीमार हुए हो जाते हैं, लेकिन चिकित्सक काफी दिन बाद पहुंचते हैं। जब हम वृहद गौ संरक्षण केंद्र पहुंचे तो दावों से इतर स्याह हकीकत नजर आई। एक गोवंश मृत हालत में था और छह गोवंश बेहोशी की हालत में थे। कोई सुध नहीं लेने वाला नहीं है। केंद्र के कर्मचारियों का कहना था कि डॉक्टर को खबर दे दी गई थी, लेकिन रविवार को डॉक्टर नहीं आते हैं। खाने के लिए सूखा भूसा ही मिलता है।
सही से नहीं जा रहा दफनाया
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गोवंशों के पानी पीने के लिए हौज बनाई गई हैं। लेकिन इसमें इतनी काई जमी है कि देखकर अंदाजा होता है कि काफी दिन से सफाई नहीं हुई है। ऐसा पानी पीकर भी गोवंश बीमार ही होंगे। कुछ दिन पहले एक गोवंश की मौत हुई थी। उसे वहीं एक गड्ढ़े में दफन किया, लेकिन ठीक से नहीं। दफन पशु के अंग साफ नजर आ रहे थे। कुत्ते भी मौजूद थे। हो सकता है कि मृत गोवंश को कुत्तों ने नोचा भी होगा। जागरण की टीम को देखकर वहां मौजूद कर्मचारी गड्ढ़े में मिट्टी डालने लगे। सरकार से एक गोवंश के भरण-पोषण के लिए 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलते हैं।
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कुल संरक्षित गोवंशों में करीब आठ सौ पशु सहभागिता योजना के तहत पालकों को दिए हैं। इसी दर पर पालकों को भुगतान होता है। मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी ने बताया कि मार्च से अब तक चार गोवंशों की मौत हुई है। कारण अधिक उम्र होना रहा है। बनत के केंद्र में एक गोवंश की मौत हुई है। एक दिन पहले धायल अवस्था में लाया गया था। विभिन्न ग्राम पंचायतों में चल रहे आश्रय स्थलों का भी बुरा हाल है। पानी तक की समुचित व्यवस्था नहीं है और खाने के लिए भूसा ही दिया जाता है। जिम्मेदार ग्राम प्रधान और सचिव की है।
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अगर किसी अधिकारी का निरीक्षण होना होता है तो व्यवस्थाएं दुरुस्त दिखाने का पूरा प्रयास किया जाता है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ यशवंत ने बताया कि बनत के वृहद गौ संरक्षण केंद्र में अव्यवस्था की जानकारी प्राप्त हुई। वह चिकित्सक के साथ वहां गए। एक गोवंश मृत मिला। वह एक-दो दिन पहले घायल अवस्था में लाया गया था और उपचार चल रहा था। लेकिन मौत हो गई। बीमार गोवंशों को उपचार दिया जा रहा है। जो भी अव्यवस्था हैं, उन्हें दूर कराया जाएगा।
रिपोर्ट- पंकज प्रजापति