शिक्षा राज्य मंत्री ने बताया, लॉकडाउन में इस ऐप से होगी परिषदीय शिक्षकों की ट्रेनिंग

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री स्वतन्त्र प्रभार डॉ. सतीश चन्द्र द्विवेदी ने बताया है कि लॉकडाउन के दौरान परिषदीय शिक्षकों का प्रशिक्षण दीक्षा...

Update: 2020-05-04 17:33 GMT

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) डॉ. सतीश चन्द्र द्विवेदी ने बताया है कि लॉकडाउन के दौरान परिषदीय शिक्षकों का प्रशिक्षण दीक्षा ऐप के माध्यम से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विभाग की योजना है कि कालान्तर में सभी शिक्षकों के सेवारत प्रशिक्षण ऑनलाइन ही दीक्षा एप के माध्यम से कराए जाएंगे। आरम्भ में यह प्रशिक्षण स्वैच्छिक रखा गया है।

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कई शिक्षक ले रहे हैं ट्रेनिंग

डॉ. द्विवेदी ने सोमवार को बताया कि प्रशिक्षण की शुरुआत करते हुए दीक्षा एप पर 33 प्रशिक्षण कोर्स डाले गये हैं। यह प्रशिक्षण कोर्स पैडागाजी, शिक्षण शास्त्र, ऐक्टिविटी बेस्ड लर्निंग, उपचारात्मक शिक्षा तथा लर्निंग आउटकम इत्यादि विषयों पर आधारित है। इनमें अब तक 1.54 लाख शिक्षकों ने पंजीकरण कराया है। 76 हजार 926 शिक्षक घर बैठे अपने सुविधानुसार समय में यह प्रशिक्षण पूर्ण कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षकों द्वारा मानव सम्पदा पर अपने पंजीकृत मोबाईल नम्बर से लॉगइन करते हुए ओटीपी तथा अपने e-HRMS कोड से स्वयं को प्रमाणीकृत करके प्रशिक्षण में शामिल होकर कोर्स पूरा कर सकते हैं।

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गैर परंपरागत प्रणाली को अपनाएं

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण अनवरत चलने वाली मानव संसाधन विकास की प्रक्रियाओं व शैक्षणिक गतिविधियों के संचालन में भी व्यवधान उत्पन्न हो गया है। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस चुनौती को एक अवसर के रूप में स्वीकार करते हुए विभाग द्वारा शिक्षकों के सतत् कौशल विकास एवं छात्र-छात्राओं के सीखने के लिए गैर परम्परागत प्रणाली को अपनाते हुए डिजिटल लर्निंग प्लेटफार्म से जोड़ने का कार्य किया है। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि शिक्षा विभाग शिक्षकों के इन-सर्विस प्रशिक्षण की प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन करने की महत्वाकांक्षी कवायद में जुट गया है।

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जनपदवार होंगे आंकड़े

डॉ. द्विवेदी ने बताया कि दीक्षा के माध्यम से ऑनलाइन प्रशिक्षण प्रणाली अपनाए जाने के बाद ऑनलाइन मूल्यांकन भी दीक्षा पर किया जायेगा तथा सफल शिक्षकों को सिस्टम जेनरेटड प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराया जाएगा। ऑनलाइन प्रशिक्षण के सभी आकंड़े वेब पोर्टल पर जनपदवार, विद्यालयवार तथा अध्यापक स्तर पर उपस्थिति एवं उपभोग की सतत् सूचना, लक्ष्यित हस्तक्षेप व विश्लेषण के लिए उपलब्ध रहेंगी।

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उन्होंने कहा कि इस ऑनलाइन व्यवस्था में कोई अतिरिक्त व्यय नहीं होगा तथा शिक्षकों की क्षमता वृद्धि भी होगी। साथ ही साथ प्रशिक्षण के उद्देश्यों की मूलभावना-तथ्यों का प्रवाह सीधे स्रोत से ग्राही तक संचारित होने के फलस्वरूप शत्-प्रतिशत् गुणवत्ता में सुधार परिलक्षित होगा। ऑनलाइन प्रशिक्षण में सम्मिलित होने हेतु रजिस्टर्ड नम्बर e-HRMS कोड से प्रमाणीकरण की व्यवस्था के फलस्वरूप प्राक्सी ट्रेनिंग तथा अनुपस्थिति की सम्भावना भी कम होगी।

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इससे सरकार का बचेगा काफी धन

उन्होंने कहा कि शिक्षक प्रशिक्षण की वर्तमान प्रणाली में राज्य स्तर के मास्टर ट्रेनर्स द्वारा जनपद स्तरीय ट्रेनर्स को प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके बाद जनपद स्तरीय ट्रेनर्स द्वारा बीआरसी स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाता है लेकिन शिक्षकों के प्रशिक्षण में, प्रशिक्षण की मूलभावना तथा तथ्यों आदि में कमी की सम्भावना बनी रहती है। इसके साथ ही हर साल 5,67,883 शिक्षकों के प्रशिक्षण में शिक्षकों व प्रशिक्षकों के आवागमन, जलपान इत्यादि में काफी धनराशि खर्च की जाती है।

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इसके अलावा, प्रशिक्षण की अवधि में शिक्षकों को अपने विद्यालय में अनुपस्थित रहकर प्रशिक्षण स्थल पर उपस्थित रहना पड़ता है, जिससे शुद्ध शिक्षण घण्टों का भी नुकसान होता है। इस सबके बावजूद प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों द्वारा वास्तव में कितना ग्रहण किया गया, इसका पता नहीं चल पाता है।

रिपोर्ट: मनीष श्रीवास्तव

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