इस फेडरेशन ने निजीकरण पर सरकार को चेताया, कहा होगा राष्ट्रव्यापी विरोध

ऑल इण्डिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने केंद्रीय विद्युत् मंत्री आरके सिंह से बिजली आपूर्ति के निजीकरण की आदित्य योजना संसद के बजट सत्र में रखने के पहले...

Update: 2020-01-19 10:02 GMT

लखनऊ। ऑल इण्डिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने केंद्रीय विद्युत् मंत्री आरके सिंह से बिजली आपूर्ति के निजीकरण की आदित्य योजना संसद के बजट सत्र में रखने के पहले योजना का पूरा प्रारूप सार्वजनिक करने और बिजली कर्मचारियों व उपभोक्ताओं से वार्ता करने की मांग की है।

फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि निजीकरण के नाम पर यदि कोई एकतरफा कार्यवाही की गई तो उसका पुरजोर राष्ट्रव्यापी विरोध किया जायेगा।

फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने बताया

ऑल इण्डिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने रविवार को बताया कि बीती नौ जनवरी को देश भर के बिजली मंत्रियों के सम्मलेन में प्रेजेन्टेशन किये गये और यह कहा गया कि विद्युत् वितरण और आपूर्ति को अलग-अलग कर बिजली आपूर्ति को कई निजी फ्रेंचाइजी को सौंपा जायेगा।

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उदय योजना की समयावधि आगामी 31 मार्च को समाप्त हो रही है और पहली अप्रैल से इसके स्थान पर आदित्य योजना लागू की जाएगी। आदित्य योजना के तहत पावर फाइनेंस कार्पोरेशन और अन्य केंद्रीय वित्तीय संस्थान उन्ही राज्यों को मदद करेंगे जो विद्युत् वितरण के नेटवर्क और विद्युत् आपूर्ति को अलग अलग कर उसे पीपीपी मॉडल या निजी फ्रेंचाइजी को सौंपने पर सहमति देंगे।

निजीकरण व फ्रेंचाइजी का मॉडल राज्यों पर थोपा

 

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दुबे ने कहा कि निजीकरण व फ्रेंचाइजी का ऐसा कोई भी मॉडल राज्यों पर थोपने के पहले केंद्र सरकार को यह भी बताना चाहिए कि बिजली बोर्डों के विघटन के बाद आज तक हुए प्रयोगों का क्या परिणाम रहा है ?

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इसकी पुर्नसमीक्षा करनी चाहिए कि निजीकरण व फ्रेंचाइजी के बाद आम उपभोक्ता की बिजली की दरें क्या कम हुई हैं और क्या निजीकरण के बाद उपभोक्ता सेवा बेहतर हुई है ? निजीकरण के दुष्परिणाम के चलते पावर सेक्टर में ढाई लाख करोड़ रुपयें की स्ट्रेस्ड असेट हैं जिसका बोझ बैंकों को भुगतना पड़ रहा है।

 

उड़ीसा में निजी कम्पनियां पूरी तरह विफल रही हैं

अब इस विफल प्रयोग को बजट के जरिये पूरे देश पर थोपने का क्या मतलब है ? उन्होंने बताया कि उड़ीसा में निजी कम्पनियां पूरी तरह विफल रही हैं और उनकी अक्षमता के चलते निजी कंपनियों के लाइसेंस नियामक आयोग को रद्द करने पड़े।

दिल्ली में निजी कंपनियों का फर्जीवाड़ा सीएजी आडिट में सामने आने ही वाला था तभी सीएजी आडिट पर कोर्ट ने रोक लगा दी गयी। विद्युत् वितरण फ्रेंचाइजी के प्रयोग अधिक राजस्व वाले शहरी क्षेत्रों में ही किये गए लेकिन यह भी विफल रहा।

बिजली संविधान की समवर्ती सूची में है

महाराष्ट्र में औरंगाबाद, जलगांव, नागपुर, बिहार में गया, भागलपुर और मुजफ्फरपुर तथा मध्य प्रदेश में ग्वालियर, सागर और उज्जैन के फ्रेंचाइजी करार रद्द करने पड़े हैं।

 

आगरा में दस साल बाद भी टोरेंट ने 2000 करोड़ रुपये से अधिक का पावर कार्पोरेशन का उपभोक्ताओं का बकाया बिल वसूल कर आज तक नहीं दिया है और न ही लाइन हानियां करार के अनुसार कम करने में सफल हुई है।

इन्जीनियर्स फेडरेशन ने सवाल किया कि बजट सत्र में बिजली वितरण और आपूर्ति के निजीकरण का कोई भी प्रस्ताव लाने के पहले सभी स्टेक होल्डरों जिसमे बिजली कर्मी व उपभोक्ता प्रमुख हैं के साथ विस्तृत चर्चा किया जाना जरूरी है।

 

उन्होंने कहा कि बिजली संविधान की समवर्ती सूची में है इसलिए ऐसा कोई प्रस्ताव संसद में लाने के पहले राज्यों से विचार विमर्श अवश्य किया जाना चाहिए।

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