सालभर पहले टूटे एल्गिन बांध की नहीं हो सकी मरम्मत, पानी में बहाए जा रहे करोड़ों रुपए
गोंडा-बाराबंकी की सीमा पर स्थित एल्गिन बांध ग्राम नकहरा के पास पिछले साल ही टूटा था। दर्जनों गांव के हजारों लोगों ने इसकी विभीषिका झेली।
लखनऊ: गोंडा-बाराबंकी की सीमा पर स्थित एल्गिन बांध ग्राम नकहरा के पास पिछले साल ही टूटा था। दर्जनों गांव के हजारों लोगों ने इसकी विभीषिका झेली। इसके बाद पूरा एक साल बीत गया, लेकिन इसकी मरम्मत नहीं हो सकी।
नतीजतन एक बार फिर यही क्षतिग्रस्त बांध स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन चुका है। पिछले तीन दिनों से नदी का पानी गांवों में भर रहा है और जिम्मेदार हाथ बांध कर खड़े हैं।
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बाढ़ बचाव परियोजना की स्वीकृति में देरी को इसका कारण बताया जा रहा हैं। इस बांध की मरम्मत के लिए एक बार फिर 97 करोड़ रुपए मांगे गए हैं। जबकि इसके पहले करोड़ो रुपए पानी में बह चुके हैं।
बीते चुनावी साल में ही गोंडा-बाराबंकी की सीमा पर स्थित एल्गिन बांध टूटा था। जनप्रतिनिधि हों या इंजीनियर यह सबकी जानकारी में भी था। सभी लोग आने वाली बाढ़ की विभीषका से परिचित थे, लेकिन चुनावी शोर यह आवाज गुम हो गई।
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मौजूदा समय में पहले से टूटे बांध से निकलने वाले जल से बाराबंकी और गोंडा के दर्जन भर गांव के लोग प्रभावित हुए हैं। बाराबंकी में ऊपर से पानी गिर रहा है और नीचे जमीन पर लबालब पानी भरा है।
स्थानीय लोग सैकड़ों की संख्या में तिरपाल ताने बांध या ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। बाराबंकी के मांझा रायपुर, बेहटा के गांव बाढ से प्रभावित हैं। वहीं कर्नलगंज के दर्जनो गांवों में बाढ का पानी घुस चुका है।
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महराजगंज का महाव तटबंध 20 मीटर टूटा
महराजगंज स्थित महाव तटबंध जलस्तर बढने से 20 मीटर टूट गया। इससे कई गांवों के खेतों में बाढ़ का पानी भर गया। बरगदवां थाना क्षेत्र के छितवनियां गांव के पास यह तटबंध टूटा है।
मौके पर एनडीआरएफ और सिंचाई विभाग की टीम को बाढ बचाव के काम में लगाया गया है। हालांकि, बांध टूटने के बाद स्थानीय लोगों ने काफी हंगामा किया।
नाराज ग्रामीणों ने बरगदवा रोड पर जाम लगा दिया तो मजबूरन प्रशासन को शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा। आजमगढ़ और मऊ में भी लगातार घाघरा का जलस्तर बढ़ता जा रहा है।
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