Mahashivratri 2024: एटा में महाशिवरात्रि पर हर जगह लगे बम बम भोले के नारे
Etah News: उत्तर प्रदेश के एटा जनपद में आज प्रातः 4 बजे से ही महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शिवालयों व मंदिरों में भक्तों तथा कांवड़ लाने वालों की भारी भीड़ लग गई।
Etah News: उत्तर प्रदेश के एटा जनपद में आज प्रातः 4 बजे से ही महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शिवालयों व मंदिरों में भक्तों तथा कांवड़ लाने वालों की भारी भीड़ लग गई। आपको बताते चलें कि जनपद में इस बार भी लगभग एक लाख शिव भक्तों ने विभिन्न प्राचीन, ऐतिहासिक तथा प्रमुख मंदिरों पर अभिषेक किया। साथ ही पूरे दिन छोटे बड़े सभी मंदिरों पर भी भारी भीड़ देखी गई।
जलाभीषेक कर लोगों ने की प्रार्थना
कांवड़ चढ़ाकर भगवान शिव से अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कराने के लिए शिव भक्तों ने जलाभिषेक कर प्रार्थना की। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर आज जनपद के विभिन्न मंदिरों को दुल्हन की तरह सजाया गया। मंदिरों में भक्त जनों द्वारा भजन कीर्तन भी किया गया। बीते कई दिनों से नगर के प्रमुख मार्ग पर बम बम भोले तथा भगवान शिव की जय जयकार से वातावरण गुंजायमान रहा। इच्छेश्वर महादेव मंदिर पटना पक्षी विहार एटा जिले की तहसील जलेसर के जलेसर सिकंद्राराऊ मार्ग पर स्थित है। यह मंदिर महाभारत काल से मौजूद है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण यहां के राजा जरासंध ने की थी। यहां जाने वाले हर भक्त की इच्छा पूर्ति होती है। इसलिए इस मंदिर को इच्छेश्वर महादेव मंदिर कहा जाता है। वहीं पटना पक्षी विहार में सैकड़ों बीघा का तालाब बना है, जहां पर कई देशों के लाखों पक्षी विहार करते हैं। इसलिए यह पटना पक्षी विहार के नाम से फेमस है।
परसौन में है ऐतिहासिक शिव मंदिर
वहीं एटा के जाने माने पंडित अरुण कुमार उपाध्याय ने बताया कि परसौन के इस ऐतिहासिक मंदिर का काफी लंबा इतिहास है। एटा अलीगंज मार्ग पर स्थित ग्राम परसौन स्थित ऐतिहासिक प्राचीन भगवान शिव मंदिर का निर्माण भगवान परशुराम ने स्वयं त्रेता युग में किया था। तथा उनका प्रमुख आश्रम स्थली भी परसौन ही रही, यहां पर उन्होंने काफी लंबे समय तक रह कर भगवान् शिव की आराधना की। यहां आज भी भारी संख्या में हजारों भक्तजन कांवड़ चढ़ाते हैं। आज के दिन यहां मेला भी लगता है।
पांडव काल में हुआ इस मंदिर का निर्माण
एटा जनपद के रिजॉर्वे क्षेत्र स्थित महादेव मंदिर श्री वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण पांडव कॉल में हुआ था। यहां पांडवों ने आकर विश्राम किया था। मंदिर के पुजारी बलरामपुरी के अनुसार एक बार इस क्षेत्र में जब बालाओं द्वारा गाय चराई जा रही थी तो गायों ने वानखंडेश्वर महाराज पर स्वयं दूध जमीन पर निकाल कर अभिषेक किया। जब लोगों ने उक्त स्थान को खोज कर देखा तो वहां शिवलिंग मिला। काफी खोदने पर भी शिवलिंग का कोई अंत नहीं मिला, तो वहां के राजा दत्त सिंह ने मंदिर का निर्माण कराया। तभी से उक्त मंदिर पर मेला तथा हजारों भक्तजन कांवड़ चढ़ाकर भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मुख्य मंदिर पर सावन में नाग पंचमी के दिन एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में लाखों की संख्या में लोग एक एकत्रित होकर भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
कैलाश मंदिर पर लोगों की लगी भीड़
वहीं एटा के प्रसिद्ध प्राचीन कैलाश मंदिर का निर्माण कासगंज के राजा दिल सुखराय ने 1896 में कराया था। इस मंदिर का भी काफी पुराना इतिहास है। शिव भक्त संदीप शर्मा ने बताया कि मंदिर पर प्रत्येक वर्ष शिव तेरस महाशिवरात्रि पर्व पर भारी मेला लगता है। यहां पर कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है, प्रसाद वितरण होता है तथा हजारों की संख्या में यहां शिव भक्त सोरों, कछला, नरौरा (बेलोन) तथा हरिद्वार आदि गंगा घाटों से जल लाकर भगवान शिव को स्नान कराके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं ।