राज्यपाल ने पुष्प प्रदर्शनी के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान कर किया सम्मानित

बागवानी फसलें हमेशा से जनमानस को पोषण तो उपलब्ध कराती ही हैं, साथ ही आकर्षित एवं रोमांचित भी करती रही हैं। भारतीय संस्कृति में पुष्पों की सदैव से सद्भाव, सुन्दरता एवं शांति के प्रतीक के रूप में मान्यता रही है।

Update: 2021-02-08 16:28 GMT
राज्यपाल ने पुष्प प्रदर्शनी के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया

लखनऊः बागवानी फसलें हमेशा से जनमानस को पोषण तो उपलब्ध कराती ही हैं, साथ ही आकर्षित एवं रोमांचित भी करती रही हैं। भारतीय संस्कृति में पुष्पों की सदैव से सद्भाव, सुन्दरता एवं शांति के प्रतीक के रूप में मान्यता रही है। इसी कारण यह फसलें दिनों-दिन महत्वपूर्ण होती जा रही हैं। इनकी मांग में निरन्तर वृद्धि हो रही है इसकी पूर्ति हेतु आने वाले समय में बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ाना होगा। प्रदेश की अधिकांश छोटी जोत के कृषकों के लिए अल्प अवधि की बागवानी फसलें निरन्तर आय देने में सक्षम हैं। यह उद््गार उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने राजभवन मे आयोजित तीन दिवसीय ‘प्रादेशिक फल, शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी 2021 के पुरस्कार वितरण समारोह में व्यक्त किये।

कृषि विकास में बागवानी क्षेत्र का विशेष स्थान

राज्यपाल ने कहा कि कृषि विकास में बागवानी क्षेत्र का विशेष स्थान है। बागवानी फसलों आज व्यावसायिक रूप ले रही हैं, जिसके कारण इन फसलों के उत्पादन की ओर कृषकों का रूझान बढ़ा है। उन्होंने कहा कि औषधीय एवं सगंधीय फसलों के उत्पादन कटाई उपरान्त प्रबन्धन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन एवं विपणन कार्यों से ग्रामीण अंचल में रोजगार की संभावनाओं में भी वृद्धि हो सकेगी। उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में इस तरह के प्रयासों की मदद से हमें पर्यावरण संरक्षण करने में भी मदद मिलती है।

राज्यपाल ने कहा कि महामारी कोविड-19 के इस काल में औषधीय एवं सगंध पौधों की ओर जनमानस का ध्यान गया है। कोविड-19 से बचाव में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बना काढ़ा बहुत कारगर साबित हुआ। इस अवधि में चिकित्सा क्षेत्र के वैज्ञानिकों एवं आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भी शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाये जाने हेतु औषधीय एवं सगंधीय पौधों के उपयोग पर बल दिया गया।

तीन दिन की प्रदर्शनी समाप्त

श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राजभवन आम जनता का है। राजभवन के दरवाजे सबके लिये खुलें हैं, जिसमें सोमवार से शनिवार तक स्कूली बच्चे तथा परिवार सहित आने वालों के लिये मंगलवार एवं बृहस्पतिवार का दिन निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि तीन दिन की प्रदर्शनी समाप्त हो गयी है, लेकिन राजभवन उद्यान अभी आम जनता के अवलोकनार्थ 9 से 12 फरवरी 2021 तक प्रातः 8 बजे से सायं 6 बजे तक खुले रहेंगे। सुरक्षा की दृष्टि से आगंतुक अपने साथ अपना फोटोयुक्त पहचान पत्र अवश्य साथ लायें।

राजभवन प्रांगण, लखनऊ में आयोजित फल, शाकभाजी, पुष्प प्रदर्शनी के समापन अवसर पर विभिन्न वर्गों में प्रतिभाग करने वाले विजेताओं को पुरस्कार वितरण राज्यपाल द्वारा किया गया, जिसमेें सर्वाधिक पुरस्कार के रूप में राजभवन उद््यान को ‘चल बैजन्ती‘ के साथ सात हजार रूपये तथा प्रदर्शनी के सर्वोत्तम प्रदर्श के लिए मंजू वर्मा एवं ओम प्रकाश लोघी, भोला नर्सरी, लखनऊ को संयुक्त रूप से तीन हजार रूपये का नगद पुरस्कार दिया गया। प्रदर्शनी में सर्वोत्तम गुलाब का पुरस्कार जनार्दन प्रसाद तिवारी द्वारा एच0ए0एल0 लखनऊ को दिया गया।

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विभिन्न वर्गों के उद्यानों के लिये पुरस्कृृत किया गया

राज्यपाल द्वारा अन्य प्रमुख पुरस्कार विजेताओं में ममता वर्मा, लखनऊ को गमले में लगी शाकभाजी के लिए, पुलिस महानिदेशक, लखनऊ, अपर पुलिस महानिदेशक, पी0ए0सी0 लखनऊ, कैप्टन राजेन्द्र सिंह, जलसा रिसार्टस्, नगर आयुक्त, नगर निगम, लखनऊ, आवास आयुक्त, उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद को विभिन्न वर्गों के उद्यानों के लिये पुरस्कृृत किया गया।

इसके साथ ही व्यक्तिगत उद्यान के लिए शशि जैन तथा प्रशान्त कुमार को पुरस्कृृत किया गया। छत की गृृहवाटिका (टेरेस गार्डेन) के लिए यश, रतन खण्ड, लखनऊ, प्रदेश के कारागारों में बन्दियों द्वारा उगाई गयी विभिन्न प्रकार की शाकभाजी के लिए अधीक्षक, जिला कारागार, हरदोई, कलात्मक पुष्प सज्जा में श्रीमती ममता वर्मा, निर्यात वाले प्रमुख पुष्पों के लिए संजय त्रिपाठी, डी0आर0एम0, उत्तर रेलवे, संकर शाकभाजी के लिए राम नरेश, जनपद सीतापुर को तथा औषधीय उद्यान वाटिका के लिए, चिकित्साधिकारी, आयुर्वेद, राजभवन, लखनऊ को पुरस्कृृत किया गया। इसके साथ ही प्रदर्शनी स्थल पर पुष्पों से बनाई गयी विभिन्न प्रकार के उत्कृृष्ट आकृृतियों जैसे श्री रामदरबार, शिवलिंग, शंख, गौतम बुद्धा आदि के लिए अल्पना राठी, रंगोली जन शिक्षण संस्थान, कानपुर-लखनऊ को विशेष स्मृृति चिन्ह देकर पुरस्कृृत किया गया।

श्रीधर अग्निहोत्री

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