फारेस्टर पद पर प्रोन्नति पाए, तिथि से वेतन भुगतान का निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फारेस्टर पद पर प्रोन्नत कानपुर की प्राची शुक्ला को प्रोन्नति की तिथि से वेतन पाने का हकदार करार दिया है और प्रोन्नति आदेश को वापस लेने के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक के आदेश को रद्द कर दिया है।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फारेस्टर पद पर प्रोन्नत कानपुर की प्राची शुक्ला को प्रोन्नति की तिथि से वेतन पाने का हकदार करार दिया है और प्रोन्नति आदेश को वापस लेने के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक के आदेश को रद्द कर दिया है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने प्राची शुक्ला की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता कैलाश प्रकाश पांडेय ने बहस की। याची का कहना है कि उसकी नियुक्ति फारेस्ट गार्ड के पद पर वाराणसी में की गई।
प्रशिक्षण के बाद उसे कानपुर स्थानांतरित कर दिया गया। कानपुर में वरिष्ठता सूची के तहत वह क्रमांक 10 पर है। उससे जितने भी सीनियर थे, सभी को पदोन्नत दी जा चुकी है। उसे भी पदोन्नति दी गई। लेकिन कुछ ही समय बाद पदोन्नति आदेश निरस्त कर दिया गया।
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जिसे चुनौती दी गई। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक का कहना था कि प्रदेश स्तरीय वरिष्ठता सूची में याची 379 फारेस्ट गार्ड से जूनियर है। इसलिए उसकी प्रोन्नति गलत की गई थी। जिस पर याची अधिवक्ता का कहना था कि वरिष्ठता सूची सर्किल वाइज बनाई जाती है।
राज्य स्तर पर वरिष्ठता सूची बनाने का नियम नहीं है। जिस पर राज्य सरकार का कहना था कि नियम संशोधन प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है।
कोर्ट ने कहा कि जब संशोधन प्रस्ताव सरकार के समक्ष विचाराधीन है, उसे लागू नहीं किया गया है तो प्रस्ताव के आधार पर याची की प्रोन्नति कैसे रोकी जा सकती है। कोर्ट ने याची को फारेस्टर पद पर कार्य करने देने व वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है।
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