कम हो रहा घाघरा और सरयू नदी का पानी, तेज कटान से नौ मकान नदी में समाहित

Update:2017-07-14 10:49 IST

बहराइच: घाघरा और सरयू नदी का पानी भोर से कम होने लगा है। जलस्तर में गिरावट के साथ कटान तेज हो गई है। नौ मकान घाघरा नदी में समाहित हुए हैं। जिलाधिकारी ने बाढ़ क्षेत्र का मुआयना कर लोगों का दर्द देखा। राहत-बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए। क्षेत्र के लेखपाल को सही सूचना न देने पर फटकार लगाई। एसडीएम को भी बाढ़ क्षेत्र में नजर बनाए रखने की हिदायत दी।

तराई में वर्षा का क्रम दो दिन से थमा हुआ है। लेकिन नेपाल के पहाड़ों पर वर्षा हो रही है। इसके चलते घाघरा नदी उफान पर बनी हुई है। केंद्रीय जलायोग संस्थान घाघराघाट के मापक सुनील कुमार शुक्ला ने बताया कि भोर से नदी का जलस्तर 106.176 मीटर पर ठहरा हुआ है। हालांकि अभी भी नदी खतरे के निशान से 11 सेंटीमीटर ऊपर है। इसका नतीजा महसी क्षेत्र में बाढ़ के रूप में दिख रहा है। कई गांव अभी भी बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं। बाढ़ के विभीषिका की सूचना पाकर जिलाधिकारी अजयदीप सिंह ने गोलागंज, कायमपुर, जरमापुर, पिपरी, कोरिनपुरवा, नगेसरपुरवा आदि गांवों का दौरा किया।

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तटबंध पर कार खड़ी कर डीएम दो किलोमीटर तक पैदल गए। हालांकि आगे बाढ़ होने के चलते वह नहीं जा सके। इस दौरान मौके पर मौजूद लोगों से संवाद स्थापित कर उनकी समस्याएं सुनीं। बाढ़ की विभीषिका देखकर डीएम ने कायमपुर के लेखपाल हरि प्रसाद को फटकार लगाई। सही सूचना न देने पर नाराजगी जतायी। हालांकि लेखपाल ने हाल ही में ज्वाइनिंग की बात कही। इस पर जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी महसी को व्यवस्थाएं दुरुस्त करवाने के निर्देश दिए। प्रतिदिन की रिपोर्टिंग भी देने की बात कही।

कटान के चलते नौ ग्रामीणों के मकान समाहित

नदी के जलस्तर में गिरावट के साथ ही कटान भी शुरू हो गई है। इस समय नदी की लहरें गोलागंज, कायमपुर, पिपरी, जरमापुर क्षेत्र में कटान हो रही है। गांव निवासी संतराम, पृथ्वीनाथ, किशनलाल, सुदामा, जगजीवन समेत नौ ग्रामीणों के मकान नदी में समाहित हुए हैं।

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घुटनों भर पानी में स्कूल पहुंच रहे बच्चे

तटबंध के उस पार बसे गौरिया पिपरा गांव में भी बढ़ का पानी घुस गया है। छात्र-छात्राएं घुटनों भर पानी में होकर स्कूल पहुंचे। जैसे-तैसे शिक्षण कार्य चल रहा है।

बाढ़ चैकियों को संचालित करने के दिए निर्देश

घाघरा नदी उफनाने के चलते क्षेत्र के गांवों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। बाढ़ क्षेत्र में चैकियों को संचालित करने को कहा गया है। कटान प्रभावित इलाकों के लोग फिलहाल चार महीने तक तटबंध पर डेरा डाल सकते हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी। इस मामले में सिंचाई विभाग को निर्देशित कर दिया गया है।

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