कोरोना से लड़ें या कोटेदार से, घटतौली के साथ कीमत में भी मनमानी
कोरोना के संक्रमण के खतरों और प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के बीच गांव में कोटेदारों की मनमानी शुरू हो गई है।
गोरखपुर। कोरोना के संक्रमण के खतरों और प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के बीच गांव में कोटेदारों की मनमानी शुरू हो गई है। पंचायत चुनाव के प्रचार में व्यस्तता के चलते प्रत्याशी भी चुप हैं। ऐसे में कोटेदार घटतौली तो कर ही रहे हैं, कीमत भी मनमाने तरीके से वसूल रहे हैं। ग्रामीणों की शिकायत का भी जिलापूर्ति कार्यालय के जिम्मेदारों को परवाह नहीं है।
सहजनवा तहसील के ग्राम सेमरडाडी के ग्रामीण इन दिनों कोटेदार की मनमानी से परेशान हैं। कोटेदार कब दुकान खोलेगा, कितना राशन देगा, कीमत कितना लेगा इसमें से कुछ भी तय नहीं है। प्रति यूनिट कितना राशन दिया जाना है, इसे लेकर भी कोई डिस्प्ले नहीं किया गया है।
गोदाम से गांव तक अनाज लाने में जो खर्च होता है, वह कौन देगा?
स्थानीय ग्रामीण बैजनाथ गुप्ता, पवन सिंह, मफ्फू पहलवान, शालिनी सिंह, निशा सिंह, अनूप यादव, विकास सिंह, किशन यादव आदि ने जिलापूर्ति अधिकारी को शिकायती पत्र देकर कार्रवाई को लेकर पत्र लिखा है, लेकिन साहब चुनाव ड्यूटी में व्यस्त हैं। बैजनाथ यादव का कहना है कि 'घटतौली और कीमत को लेकर सवाल पर कोटेदार कहता है कि गोदाम से गांव तक अनाज लाने में जो खर्च होता है, वह कौन देगा?
कोरोना से लड़ें या कोटेदार से, घटतौली के साथ कीमत में भी मनमानी
गोदाम से ही तौल कम मिलती है, उसे भी तो मैनेज करना है।' गांव के ही विकास यादव, कृष्णचंद यादव आदि का कहना है कि 'विभाग की तरफ से कहा जाता है कि इलेक्ट्रानिक कांटे का उपयोग अनाज तौल के लिए किया जाये, लेकिन कोटेदार मैन्यूअल कांटे का ही इस्तेमाल करता है। मार्च में चीनी भी मिलनी थी, लेकिन कोटेदार ने किसी को चीनी नहीं दी।
जिला पूर्ति कार्यालय के दावे और हकीकत में हैं अंतर
आपको बता दें कि जिला पूर्ति कार्यालय के जिम्मेदारों का कहना है कि पात्र गृहस्थी और अंत्योदन कार्ड धारकों को गेहूं, चावल नियमित रूप से बांटा जा रहा है। दोनों कार्डधारकों को दो रुपए किलो के हिसाब से गेहूं और तीन रुपए किलो के हिसाब से चावल दिया जा रहा है। अंत्योदय राशन कार्डधारकों को 18 रुपए किलो के हिसाब से चीनी भी बीते मार्च महीने में दी गई है। हर अंत्योदय कार्ड धारक को 35 किलो अनाज दिया जाता है. इसमें 20 किलों गेहूं और 15 किलो चावल दिया जाता है। वहीं पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को प्रति यूनिट पांच किलों अनाज दिया जाता है।
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