Gorakhpur: 30 जून को 67, एक जुलाई को दर्ज हुए 10 मुकदमे, नये कानून का पहला केस गोरखनाथ थाने में मारपीट का
Gorakhpur News: केस दर्ज करने के दौरान थाना प्रभारी खुद मौजूद रहे। वहीं क्षेत्राधिकारी ने धाराओं को ठीक से समझाया।
Gorakhpur News: नये कानून को लेकर गोरखपुर पुलिस की सक्रियता शुरू हो गई है। हालांकि पुराने कानून में मुकदमा दर्ज करने जैसी तेजी नये कानून को लेकर नहीं दिखी। 30 जून को गोरखपुर में विभिन्न थानों में ताबड़तोड़ 67 मुकदमे दर्ज हुए। वहीं पहली जुलाई को नये कानून के आने के बाद सिर्फ 10 मुकदमे ही दर्ज हुए। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत गोरखपुर जिले में पहला केस सोमवार को दोपहर 2.07 बजे गोरखनाथ थाने में मारपीट का दर्ज किया गया। नई धारा के तहत केस दर्ज कर पीड़ित को उसकी एफआईआर कॉपी भी सौंप दी गई।
केस दर्ज करने के दौरान थाना प्रभारी खुद मौजूद रहे। वहीं क्षेत्राधिकारी ने धाराओं को ठीक से समझाया। रामगढ़ताल थाना क्षेत्र के न्यू दुर्गापुरम कॉलोनी निवासी नित्यानंद दूबे ने पहला केस दर्ज कराया। नित्यानंद ने पुलिस को बताया कि धर्मशाला के पास स्थित होम सिक्योरिटी सर्विस में सुरक्षा कर्मचारी के पद पर तीन जून तक कार्यरत थे। कंपनी की ओर से 9811 रुपये महीना पारिश्रमिक तय है। लेकिन, सुपरवाईजर ने पूरा भुगतान नहीं किया। एक जुलाई की सुबह वह रुपये मांगने गए तो धमकी देते हुए मारपीट की गई। इस मामले में पुलिस ने आरोपी सुपरवाईजर नवीन पांडेय पर केस दर्ज किया।
दूसरा केस कैंट थाने में दर्ज हुआ एक जुलाई को लागू हुए नए कानून के तहत सोमवार को जिले में 10 केस दर्ज किए गए। पहला केस गोरखनाथ थाने में 2.07 बजे दोपहर में मारपीट व धमकी तो दूसरा केस कैंट थाने में 2.11 बजे दर्ज किया गया। कैंट पुलिस ने मारपीट, दहेज उत्पीड़न की धारा में केस दर्ज किया है। तीसरा केस झंगहा थाने में शाम 5.18 बजे दर्ज किया गया। वहीं, चौथा केस रामगढ़ताल थाने में मारपीट, हत्या की कोशिश की धारा 103 के तहत दर्ज किया गया। इसके अलावा गोला, बांसगांव, सहजनवा और एम्स थाने में भी एक-एक केस दर्ज किया गया। इन सभी मामलों में पुलिस ने धारा लगाने में पूरी सावधानी बरती। एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि पुलिस किसी आरोपी को पकड़ती है या फिर उससे पूछताछ करती है तो इन सभी का वीडियो बनाना होगा। यह अपलोड भी किया जाएगा।
इन धाराओं में दर्ज हुआ पहला मुकदमा
गोरखनाथ थाने में दर्ज हुए पहले केस में पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 115 (2), 352, 351 (3) के तहत केस दर्ज किया है। 115 (2) पहले 323 की धारा थी, जिसका मतलब थप्पड़ मारना होता है, इसमें पहले की तरह दो साल की ही सजा है। 352 पहले की 504 की धारा थी, जिसका मतलब धमकी देना होता है, इसमें भी पहले की तरह दो साल की सजा है। 351 (3) पहले की 506 धारा थी, जिसका मतलब जान से मारने का भय दिखाकर धमकी देना, पहले इसमें दो साल की सजा थी, लेकिन अब इसमें सात साल तक की सजा हो सकती है।
30 जून के पहले के मामले में पुरानी धारा में दर्ज होगा मुकदमा
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के साथ ही अभी आईपीसी के तहत भी केस दर्ज हो रहे हैं। एक जुलाई से पहले हुई घटनाओं के मामले में पुलिस आईपीसी के तहत केस दर्ज कर रही है। आगे भी अगर पुराने समय की घटना सामने आती है तो पुलिस आईपीसी के तहत ही केस दर्ज करेगी। बीएनएस के लागू होने से पहले 30 जुलाई की रात में पुलिस ने 24 घंटे में जिले में 67 केस दर्ज किए हैं। इसमें सबसे ज्यादा चिलुआताल में नौ और कैंट में पांच केस दर्ज किए गए हैं। इसमें से कई पुराने केस थे, जो कई दिनों से जांच प्रक्रिया में अटके हुए थे।