Gorakhpur News: ध्वस्त मकानों के मलबे से रोज बनेगी 10 हजार ईंटें, नगर निगम ने 2.65 करोड़ में स्थापित किया प्लांट
Gorakhpur News: फर्म के संचालक अशोक श्रीवास्तव का कहना है कि मलबे को बारीक चूरा में तब्दील किया जाता है। तैयार बालू में सीमेंट मिला सांचे में डाल कर ब्रिक्स बनाई जा रही है।
Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में इन दिनों विकास कार्य के नाम पर मकान, दुकान ही नहीं पुराने सरकारी कार्यालय भी बड़े पैमाने पर ध्वस्त हो रहे हैं। टूट निमार्ण के मलबे को दोबारा प्रयोग में लाने के लिए नगर निगम ने गोरखपुर-सोनौली हाईवे के महेसरा में 2.65 करोड़ की लागत से इंटरलॉकिंग ब्रिक्स का निर्माण शुरू किया है। यह ईंट इंटरलाकिंग सड़क के निर्माण में काम आएगी। एक दिन में 10 हजार से अधिक ईंट का निर्माण इस प्लांट में हो सकता है।
नगर निगम के देखरेख में महेसरा में करीब 2.65 करोड़ रुपये की लागत से बना कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट प्लांट सक्रिय हो गया है। लॉजिकुफ टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड ने प्लांट के निर्माण के साथ संचालन का जिम्मा लिया है। कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट को वैज्ञानिक ढंग से ईंट के लिए कच्चे माल के रूप में तैयार किया जा रहा है। फर्म के संचालक अशोक श्रीवास्तव का कहना है कि मलबे को बारीक चूरा में तब्दील किया जाता है। तैयार बालू में सीमेंट मिला सांचे में डाल कर ब्रिक्स बनाई जा रही है। प्लांट पर 80 टन सीएनडी वेस्ट पड़ा है। प्रतिदिन 10 हजार इंटरलाकिंग ब्रिक्स बनाने की प्लांट की क्षमता है। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल का कहना है कि प्लांट के सक्रिय होने से वेस्ट टू वेल्थ के कॉसेप्ट को भी बढ़ावा मिलेगा। इस सुविधा का सभी कार्यदायी संस्थाओं एवं महानगरवासियों को लाभ उठाना चाहिए। सीएण्डडी वेस्ट के प्रोसेसिंग के लिए प्लांट को देना चाहिए।
गार्डेन बेंच और पार्किंग बेंच भी बनेगी
प्लांट में 80 एमएम मोटाई का हेक्सागोनल शेप (छः भुजा) इंटरलाकिंग ब्रिक्स बनाई जा रही है। इनसे पेवर ब्लॉक भी बनेंगे। इंटरलाकिंग ब्रिक्स की मजबूती का परीक्षण कराने की तैयारी है। नगर निगम चीफ इंजीनियर संजय चौहान के मुताबिक इन रंगीन इंटरलाकिंग ब्रिक्स को नगर निगम अपनी सड़कों के किनारे पेविंग वर्क में इस्तेमाल करेगा। इसके अलावा बाजार भाव से कम मूल्य पर महानगरवासियों एवं ठेकेदारों को भी उपलब्ध कराएगा।