Gorakhpur News: 100 साल पुरानी लाइब्रेरी की 15 हजार पुस्तकों से हटेगी धूल, अब ई-बुक में पढ़ सकेंगे प्रेमचंद और शेक्सपियर का साहित्य

Gorakhpur News: देश-दुनिया के साहित्यकारों की किताबों पर धूल पड़ी है। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि लाइब्रेरी में ऑनलाइन पढ़ाई के वाईफाई और कंप्यूटर की सुविधा रहेगी।

Update:2024-01-31 11:39 IST

Gorakhpur 100 year old library   (photo: social media )

Gorakhpur News: नगर निगम गोरखपुर में वर्ष 1925 में स्थापित लाइब्रेरी की किताबों से धूल हटेगी। 4.5 करोड़ रुपये खर्च कर नगर निगम की लाइब्रेरी का जीर्णोद्धार किया जाएगा। डिजिटल लाइब्रेरी में अब कागज की किताबों की जगह ई-बुक की सुविधा मिलेगी। जहां साहित्यप्रेमी ई-बुक के जरिये मुंशी प्रेमचंद से लेकर विलियम शेक्सपियर का साहित्य लोग पढ़ सकेंगे।

निगम की इस 100 साल पुरानी लाइब्रेरी में एक समय लोगों की चहल-पहल रहती थी। लेकिन पर पुस्तकों को दीमक खा चुके हैं। देश-दुनिया के साहित्यकारों की किताबों पर धूल पड़ी है। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि लाइब्रेरी में ऑनलाइन पढ़ाई के वाईफाई और कंप्यूटर की सुविधा रहेगी। शांति से बैठकर पढ़ने के लिए स्टडी डेस्क, ऑनलाइन पठन सामग्री को फोटोकॉपी करने के लिए प्रिंटिंग जोन और सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे। लाइब्रेरी के जीर्णोद्धार के लिए 4.5 करोड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। बजट स्वीकृत होने के बाद इसका निमार्ण शुरू कर दिया जाएगा। नगर निगम ने इस कार्य के लिए सीएनडीएस को जिम्मेदारी दी है। डिजिटल लाइब्रेरी में लोगों के बैठ के पढ़ने के साथ ही कंप्यूटर की भी सुविधा उपलब्ध रहेगी। पूर्व उपसभापति ऋषि मोहन वर्मा का कहना है कि लाइब्रेरी के जीर्णोद्धार के लिए कई बार आवाज उठाई गई। अब नये सिरे से इसका जीर्णोद्धार हो रहा है। साहित्यकार रवीन्द्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी काका का कहना है कि लाइब्रेरी में 15 हजार से अधिक दुर्लभ पुस्तकों का भंडार हैं। कभी सभी साहित्यकार और किताबों के प्रेमियों का यहीं जमावड़ा होता था।

होम्स क्लेन के नाम से जानी जाती थी 1925 में स्थापित हुई लाइब्रेरी

लाइब्रेरी की स्थापना ब्रिटिश शासन के दौरान 1925 में हुई थी। लाइब्रेरी को होम्स क्लेन के नाम से जाना जाता है। बाद में नगर निगम ने इसका नाम बदलकर राहुल सांस्कृत्यायन पुस्तकालय कर दिया। इसे अमन-ओ-अमन सभा के कार्यकारिणी सदस्यों ने शहर के बुद्धिजीवियों के लिए स्थापित किया था। लाइब्रेरी में करीब 15 हजार पुस्तकें मौजूद हैं। जिसमें कुछ किताबें ऐसी हैं, जो आज की किसी भी दूसरी लाइब्रेरी में मिलनी मुश्किल हैं।

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