Gorakhpur: दो विश्वविद्यालयों में फंस गई 12 डॉक्टरों की वार्षिक परीक्षा, पढ़ाई के बाद परीक्षा देने के लिए भटक रहे
Gorakhpur News: बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहले गोरखपुर यूनिवर्सिटी से संबंद्ध था। लेकिन वर्ष 2021 में मेडिकल कॉलेज ने अटल बिहारी वाजपेई चिकित्सा विश्वविद्यालय से संबंद्धता ली।
Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज से बाल रोग में विशेषज्ञता हासिल कर रहे 12 चिकित्सकों का भविष्य अधर में है। मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों ने डिप्लोमा इन चाइल्ड हेल्थ (डीसीएच) कोर्स की पढ़ाई पूरी कर ली है लेकिन उनकी वार्षिक परीक्षाएं नहीं हो रही है। सरकार ने इन्हें इंसेफेलाइटिस से लड़ाई को लेकर विशेषज्ञ बनाते हुए डीसीएच की डिग्री दिलाने का फरमान जारी किया था।
असल में बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहले गोरखपुर यूनिवर्सिटी से संबंद्ध था। लेकिन वर्ष 2021 में मेडिकल कॉलेज ने अटल बिहारी वाजपेई चिकित्सा विश्वविद्यालय से संबंद्धता ली। अब जब इन चिकित्सकों की परीक्षा की बात सामने आई तो अटल बिहारी वाजपेई चिकित्सा विश्वविद्यालय ने चिकित्सकों की वार्षिक परीक्षाएं कराने से साफ इनकार कर दिया है। बता दें कि मेडिकल कालेज में संचालित इस कोर्स में शासन सीधे चिकित्सक भेजता है। यह चिकित्सक सरकारी अस्पतालों में तैनात रहते हैं। इस कोर्स में प्रवेश के लिए चिकित्सकों को नीट जैसी परीक्षा नहीं देनी पड़ती। यहीं से पेंच फंस गया है। चिकित्सा विश्वविद्यालय ने बगैर नीट के प्रवेश लेने वाले इन चिकित्सकों की वार्षिक परीक्षा कराने और डीसीएच की मान्यता देने से इनकार कर दिया।
एकेडमिक काउंसिल डीडीयू परीक्षा को लेकर रखेगा प्रस्ताव
बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से चिकित्सकों की वार्षिक परीक्षा कराने का आग्रह किया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने एकेडमिक काउंसिल में इस प्रस्ताव को रखने का फैसला किया है। बता दें कि परीक्षा को लेकर भटक रहे चिकित्सक सरकारी अस्पतालों में तैनात है। वर्ष 2021 में इनको बीआरडी मेडिकल कॉलेज में डीसीएच की पढ़ाई के लिए भेजा गया। मेडिकल कॉलेज में डीसीएच की 20 सीटें हैं। इसमें से 12 चिकित्सकों ने ही प्रवेश लिया। सरकार ने यह कोर्स पूर्वी व मध्य यूपी में इंसेफेलाइटिस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए वर्ष 1998 में शुरू किया था। इससे सरकारी अस्पतालों में हर साल 20 बाल रोग विशेषज्ञ मिलते हैं।