Gorakhpur News: एम्स डायरेक्टर रहते डॉ. सुरेखा किशोर ने बेटों की कर दी नियुक्ति, हटाई गईं, अब सीवीसी की जांच में खुले रहे कारनामे
Gorakhpur News: डायरेक्टर रहते हुए उन्होंने न सिर्फ अपने बेटों की नियुक्ति कर दी, बल्कि कई आर्थिक अनिमियतता के भी गम्भीर आरोप लग रहे हैं।
Gorakhpur News: एम्स गोरखपुर हमेशा विवादों में रहता है। कभी मरीज के लिए डॉक्टरों की उपलब्धता नहीं होने को लेकर तो कभी जिला अस्पताल से भी बदतर व्यवस्था को लेकर। अब खुद यहां की डायरेक्टर डॉ.सुरेखा किशोर के कारनामे उजागर हो रहे हैं। डायरेक्टर रहते हुए उन्होंने न सिर्फ अपने बेटों की नियुक्ति कर दी, बल्कि कई आर्थिक अनिमियतता के भी गम्भीर आरोप लग रहे हैं। केन्द्रीय सर्तकता आयोग की जांच में बतौर डायरेक्टर उनके कारनामे खुल रहे हैं। फिलहाल कमेटी ऑफ कैबिनेट की सिफारिश पर डॉ.सुरेखा किशोर को हटाकर पटना एम्स के निदेशक डॉ. जीके पाल को गोरखपुर का प्रभार सौंपा गया है।
एम्स के उपनिदेशक प्रशासन(डीडीए) अरुण कुमार सिंह ने कार्रवाई के बाबत बताया कि एम्स पटना के निदेशक डॉ जी के पाल को एम्स गोरखपुर का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। यह प्रभार छह महीने के लिए सौंपा गया है। वह बुधवार को यहां आकर चार्ज ग्रहण करेंगे। एम्स निदेशक पर अपने बेटों को मानकों को दरकिनार कर नियुक्त करने का आरोप है। बता दें कि उनके दो पुत्रों की एम्स में तैनाती को लेकर कुछ शिक्षकों ने सीवीसी में शिकायत की थी। यही उनके पद से हटने का आधार बना है। भाजपा से लेकर संघ से जुड़े लोगों के पाल्यों की नियुक्ति को लेकर एम्स विवादों में रहा है। इतना ही नहीं लापरवाही के चलते एम्स जैसे संस्थान में ब्लड बैंक का संचालन में देरी हो रही है। लेटलतीफी के तमाम कारनामों के बाद पिछले दिनों इस ब्लड बैंक को शुरू करने का टारगेट 31 दिसंबर दिया गया था। लेकिन नये साल में भी यह शुरू नहीं हो सका। एम्स में कार्यकारी निदेशक पद पर डॉ. सुरेखा किशोर ने एक जून 2020 को ज्वाइन किया। उनका कार्यकाल पांच वर्ष का था, यानी जून 2025 तक उन्हें डायरेक्टर के पद पर रहना था। वह एम्स ऋषिकेश में सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा की विभागाध्यक्ष थी। कोरोना संक्रमण के दौरान उन्होंने एम्स का प्रभार लिया।
अब एम्स ऋषिकेश में ज्वाइन करेंगी डॉ.सुरेखा
एम्स को तैनात करने के साथ हटाने का अधिकार कमेटी आफ कैबिनेट को है। इस कमेटी ने ही एम्स निदेशक को वापस भेजने का फैसला किया है। अब वह दोबारा एम्स ऋषिकेश में ज्वाइन करेंगी। एम्स के निदेशक के खिलाफ बेटों की नियुक्ति के साथ कई गम्भीर शिकायतें सीवीसी को मिली थी। जिसकी जांच अभी चल रही है। सीवीसी ने जांच प्रभावित होने के अंदेशा को देखते हुए सिफारिश की कमेटी ऑफ कैबिनेट को की। कमेटी ऑफ कैबिनेट ने इन सिफारिशों के आधार पर निदेशक के कार्यकाल को समय से पूर्व खत्म करने की मंजूरी दे दी।
मरीज भर्ती करने में करने में एम्स के चिकित्सक कर रहे आनाकानी
डायरेक्टर की लापरवाही से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में काम न करने वाले चिकित्सक ओपीडी में मरीजों को कम देख रहे हैं। इसके साथ ही उनके भर्ती मरीजों की संख्या भी काफी कम है। इसे लेकर एम्स के गवर्निंग बॉडी के प्रेसिडेंट देश दीपक वर्मा ने चेतावनी दी है। दरअसल, कुछ चिकित्सकों के खिलाफ शिकायत मिली थी कि वह जानबूझकर मरीजों की भर्ती नहीं करते। उनके विभाग के वार्ड खाली रहते। वह मरीज को दूसरे अस्पताल जाने की सलाह देते।