Air Pollution: पहली बार गोरखपुर को मिला सबसे प्रदूषित शहर का तमगा, आखिर इसकी वजह क्या है?

Air Pollution: पर्यावरण के जानकार बताते हैं कि हवा की रफ्तार महज छह किलोमीटर प्रति घंटे की रही। इस कारण निचले वायुमंडल में डंठल जलाने से निकला धुआं स्थिर हो गया है। हवा में धूल के बारीक कणों के साथ जहरीली गैसों की मात्रा में इजाफा हो गया है।

Update: 2024-05-05 01:54 GMT

गोरखपुर की सड़कों पर नगर निगम करा रहा पानी की बौछार (Pic: Newstrack)

Air pollution: दिल्ली और पंजाब की बीमारी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर को भी लग गई है। शनिवार को गोरखपुर देश के सबसे प्रदूषित शहर में में शुमार था। रविवार को भी आकाश में धुंध छायी हुई है। नगर निगम पेड़ों पर पानी की बौछार कर रहा है। तो वहीं पुलिस प्रशासन के लोग खेतों में पराली जला रहे किसानों पर मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी दे रहे हैं। शनिवार गोरखपुर का एक्यूआई 200 के पार था। पीएम 2.5 भी मानक से 10 गुना अधिक है।

शनिवार के बाद अब रविवार को को मौसम व प्रदूषण का मिजाज बदला हुआ है। सुबह की शुरुआत धुएं के बादलों की मौजूदगी ने की। गेहूं के डंठल जलाने की आग के चलते पूर्वी यूपी में गोरखपुर समेत दो दर्जन जिलों को आगोश में ले रखा है। इससे सुबह मार्निंग वॉक करने वालों का दम फूल गया। अस्थमा के मरीज परेशान हो गए। सुबह टहलने निकले लोगों की आंखों में जलन होने लगी। हालत यह रही कि सुबह स्कूल जा रहे बच्चे भी जानलेवा धुएं के कारण बीमार पड़ गए। शाहपुर क्षेत्र के निजी स्कूल में बच्चों को उल्टी व आंखों में जलन की समस्या हुई।

पर्यावरण के जानकार बताते हैं कि हवा की रफ्तार महज छह किलोमीटर प्रति घंटे की रही। इस कारण निचले वायुमंडल में डंठल जलाने से निकला धुआं स्थिर हो गया है। हवा में धूल के बारीक कणों के साथ जहरीली गैसों की मात्रा में इजाफा हो गया है। शनिवार की शाम को एयर क्वालिटी इंडेक्स 279 हो गया। इससे पहले शुक्रवार को एक्यूआई 143 था। हवा में धूल के बारीक कणों की संख्या में मानक से 10 गुना तक अधिक हो गई। पीएम-2.5 शनिवार को 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया। जो देश में सर्वाधिक था। दूसरे नंबर पर गुरुग्राम 449 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ दूसरे नंबर पर था।

नगर निगम ने कराया पानी का छिड़काव

क्षेत्रीय पर्यावरण प्रदूषण अधिकारी अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण हवा का दबाव वायुमंडल में कम हुआ है। इसका असर यह है कि वायुमंडल में रहने वाले पार्टिकल एक जगह स्थिर हो गए हैं, जो धुंध का कारण बने हैं। डीडीयू के भौतिकी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रभुनाथ प्रसाद ने बताया कि मौसम की निगरानी के लिए विभाग में लेडार मशीन लगाई गई है। हवा में धूल के बारीक कणों की निगरानी करता है। यह हवा में 7.5 किमी ऊंचाई तक धूल के कण, बादलों की मौजूदगी, उनकी ऊंचाई व परत की निगरानी करता है। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि एक्यूआई के बिगड़ते स्तर पर देखते हुए मैकेनाइज्ड स्विपिंग मशीन से सड़कों से न केवल धूल की सफाई कराई। बल्कि स्प्रिंकलर मशीन से शहर की मुख्य सड़कों की धुलाई और सड़कों के किनारे लगे पेड़ पौधों की पत्तियों की धुलाई की।

2200 किसानों की फसल चिंगारी से जली

रोक के बावजूद जिले में किसानों ने गेहूं के डंठल जलाया। इससे पर्यावरण को तो भारी नुकसान हुआ ही साथ ही 2200 से अधिक दूसरे किसानों की फसले खेत में ही राख हो गई। कृषि एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों की माने तो किसानों ने भूसा बना कर स्टोर किया, उसके बाद मुआवजे के लालच में शेष बचे फसल अवशेष में स्वयं ही आग लगाया। ऐसे में तेज हवा चली तो कई किसानों की गेहूं की खड़ी फसल भी जल गई।

6 मई को बारिश के बाद मिलेगी राहत 

मौसम विभाग ने सोमवार से बारिश की संभावना जताई है। रविवार से ही बादल छाए रहने का अनुमान है। इस दौरान अधिकतम और न्यूनतम तापमान में गिरावट की भी आशंका है। छह मई को जहां बदली के साथ हल्की बारिश की संभावना है, वहीं सात मई को झोंकेदार हवाओं के साथ रिमझिम बारिश होगी। यह सिलसिला अगले दो-तीन दिनों तक जारी रह सकता है। मौसम वैज्ञानिक की मानें तो पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के बाद मौसम में बदलाव का असर शुक्रवार रात से ही देखने को मिलने लगा है। इस दौरान जहां हवाओं का रुख बार- बार बदल रहा है। मौसम वैज्ञानिक जय प्रकाश गुप्ता की मानें तो कल से अगले पांच दिनों तक मौसम में बदलाव दिखाई देगा। इस दौरान अधिकतम तापमान गिरकर 37 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, वहीं न्यूनतम तापमान भी 25 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना रहेगा। 

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