Gorakhpur News: एलर्जी, धूल, धुएं, ठंड या तनाव से ट्रिगर हो सकता है अस्थमा, ऐसे करें बचाव

Gorakhpur News: डॉ.तोमर ने कहा कि अस्थमा का दौरा एलर्जी, धूल, धुएं, ठंड, शारीरिक गतिविधि या तनाव से ट्रिगर हो सकता है। इसका इलाज इनहेलर, दवाओं और जीवनशैली में बदलाव से किया जाता है।

Update: 2024-06-22 11:45 GMT

 प्राचार्य डॉ.जीएस तोमर ने अस्थमा से बचाव के मंत्र दिए: Photo- Newstrack

Gorakhpur News: महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, गोरखपुर के अंतर्गत संचालित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (आयुर्वेद संकाय) के रोग निदान एवं विकृति विज्ञान विभाग द्वारा ‘ब्रोंकिओल अस्थमा-तामक श्वास’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में विश्व आयुर्वेद परिषद के अध्यक्ष एवं लाल बहादुर शास्त्री आयुर्वेदिक महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ.जीएस तोमर ने अस्थमा से बचाव के मंत्र दिए। डॉ.तोमर ने कहा कि अस्थमा का दौरा एलर्जी, धूल, धुएं, ठंड, शारीरिक गतिविधि या तनाव से ट्रिगर हो सकता है। इसका इलाज इनहेलर, दवाओं और जीवनशैली में बदलाव से किया जाता है।

डॉ. तोमर ने कहा कि अस्थमा एक दीर्घकालिक श्वसन रोग है जिसमें श्वास नलिकाएं सूज जाती हैं और संकीर्ण हो जाती हैं, जिससे श्वास लेने में कठिनाई होती है। इसके लक्षणों में खांसी, घरघराहट, सीने में जकड़न और सांस की कमी शामिल हैं। सही उपचार और देखभाल से अस्थमा को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे रोगी सामान्य जीवन जी सकते हैं। आयुर्वेद में अस्थमा को ‘तामक श्वास’ कहा जाता है। यह वात और कफ दोष के असंतुलन के कारण होता है।


डॉ. तोमर ने कहा कि अस्थमा के उपचार में औषधियों के साथ-साथ प्राणायाम, पंचकर्म, विशेष आहार और जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी जाती है। तुलसी, अदरक, मुलेठी, शिरीष और हल्दी जैसी जड़ी-बूटियां लाभकारी मानी जाती हैं। आयुर्वेद में तामक श्वास (अस्थमा) की चिकित्सा में वात और कफ दोष को संतुलित करने पर जोर दिया जाता है। इसके अलावा, योग और प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम और भस्त्रिका श्वास तकनीकें श्वसन तंत्र को मजबूत बनाने में सहायक होती हैं। समग्र दृष्टिकोण से शरीर और मन को संतुलित किया जाता है। उन्होंने कहा कि अस्थमा के नए उपचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस (विश्व अस्थमा दिवस) मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य अस्थमा से संबंधित मिथकों और भ्रांतियों को दूर कर लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना है।

अतिथि व्याख्यान मे आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ मंजूनाथ एनएस, महंत दिग्विजयनाथ चिकित्सालय के डायरेक्टर डॉ. राजेश बहल, रोग निदान विभाग के सहायक आचार्य डॉ सार्वभौम ,सहित डॉ दीपू, डॉ अश्वथि, डॉ प्रज्ञा, डॉ अभिजीत, श्री साध्वी नंदन पांडेय सहित सभी चरक सत्र के विद्यार्थी उपस्थित रहे। रोग निदान विभाग की सह आचार्या डॉ संध्या पाठक ने कार्यक्रम के अंत मे विशिष्ट अतिथि एवं कार्यक्रम मे उपस्थित सभी लोगों का आभार प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन चरक सत्र की छात्रा कुमारी शाम्भवी शुक्ला ने किया।

नि:शुल्क आयुर्वेदिक स्वास्थ्य चिकित्सा शिविर में देखे गए 148 मरीज

गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज बालापार में निशुल्क आयुर्वेद चिकित्सा शिविर में डॉ. जीएस तोमर ने 148 मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श दिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज के समय में दुनिया आयुर्वेद चिकित्सा का तेजी से अनुसरण कर रही है। आयुर्वेद में जीवनशैली परिवर्तन, प्राकृतिक चिकित्सा, और आहार पर ध्यान दिया जाए तो जटिल और गंभीर रोग का उपचार शत प्रतिशत संभव है। शिविर में गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज के निदेशक डॉ. कर्नल राजेश बहल, आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य डॉ. मंजूनाथ, अस्पताल प्रबंधक जीके मिश्रा सहित सभी चिकित्सकों ने सहयोग किया।

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