Gorakhpur: विदेशों में पहुंचेगा भगवान बुद्ध का प्रसाद कहा जाने वाला काला नमक चावल
Gorakhpur News: चीन, जापान, थाईलैंड समेत बौद्ध धर्म मानने वाले सैलानी इस इलाके में आते हैं तो भगवान बुद्ध के प्रसाद के रूप में कालानमक चावल ले जाते हैं।
Gorakhpur News: भगवान बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी, परिनिवार्ण कुशीनगर और उनकी क्रीड़ास्थली कपिलवस्तु रही है। इन्हीं इलाकों में खुशबू का बादशाह कहे जाने वाले कालानमक चावल को बुद्ध का प्रसाद भी कहते हैं। चीन, जापान, थाईलैंड समेत बौद्ध धर्म मानने वाले सैलानी इस इलाके में आते हैं तो भगवान बुद्ध के प्रसाद के रूप में कालानमक चावल ले जाते हैं। लेकिन दुश्वारियां यह है कि किसान केन्द्र सरकार की नीति के चलते इसका निर्यात विदेशों को नहीं कर पाते थे। अब केन्द्र सरकार ने बंदिशों को हटाकर 10 हजार कुंतल काला नमक चावल के निर्यात को मंजूरी दे दी है।
कालानमक उपजाने वाले किसानों के लिए यह निर्णय खुशी लेकर आया है। निर्यात की राह खुलने से किसानों को धान की अच्छी कीमत मिलेगी। कालानमक धान को 11 जनपद बहराइच, बलरामपुर, बस्ती, देवरिया, गोंडा, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, संतकबीरनगर, श्रावस्ती और सिद्धार्थनगर में भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग मिला है। एक जिला एक उत्पाद में भी कालानमक धान शामिल है। अधिकारियों का दावा है कि जल्द ही इस आशय की अधिसूचना जारी होगी। 11 मार्च को हुई अंतर मंत्रालयी पैनल की वर्चुअल बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया। बैठक में निर्यात के लिए तीन बंदरगाह तय किए जाने और यूपी में ड्राई पोर्ट चिह्नित किए जाने की बात भी हुई। जल्द ही यूपी सरकार की ओर से इसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाने की तैयारी है।
ओडीओपी में शामिल है काला नमक चावल
प्रदेश सरकार ने काला नमक को ओडीओपी में शामिल किया है। जिससे इसके पैदावार को प्रोत्साहन मिला है। सिद्धार्थनगर जिले में अच्छी क्वालिटी का काला नमक चावल 200 से 300 रुपये प्रति किलो तक बिकता है। केन्द्र सरकार ने जुलाई-2023 में गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके कारण उत्तर प्रदेश में उत्पादित होने वाला ‘महात्मा बुद्ध के महाप्रसाद’ के रूप में प्रतिष्ठित,‘कालानमक चावल’ भी प्रतिबंधित हो गया। राज्यसभा सांसद बृजलाल, एमएलसी देवेंद्र सिंह और स्वयं सीएम योगी आदित्यनाथ ने केंद्रीय कृषि मंत्री को पत्र लिख कर जीआई टैग धारक प्रजातियों के प्रोत्साहन एवं संरक्षण के लिए अलग श्रेणी बनाने की मांग उठाई थी। कालानमक धान की नई प्रजातियों के अनुसंधान एवं संरक्षणकर्ता कृषि वैज्ञानिक डॉ. राम चेत चौधरी ने भी निर्यात को लेकर आवाज उठाई थी।