Gorakhpur News: ब्लड कैंसर की चपेट में आ रहे मासूम, बीआरडी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक कारण से अनजान, बोले-शोध करेंगे

Gorakhpur News: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दो माह में 10 मासूम कैंसर से पीड़ित मिले हैं। दो मासूम स्पाइन कैंसर तो वहीं तीन साल का मासूम को ब्रेन ट्यूमर से जूझ रहआ है।

Update:2024-11-18 08:48 IST

Gorakhpur News  (photo: social media )

Gorakhpur News: पूर्वीं उत्तर प्रदेश में मासूमों में ब्लड कैंसर मिल रहा है। पिछले कुछ महीनों में दस मासूमों में ब्लड कैंसर मिलने से चिकित्सक भी हैरान है। बुखार का इलाज करते हुए जांच में मिले ब्लड कैंसर को लेकर अनजान बीआरडी प्रशासन अब शोध की बात कह रहा है। मुश्किल यह है कि जिन बच्चों में ब्लड कैंसर मिला है, उनके माता-पिता में कैंसर नहीं है।

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दो माह में 10 मासूम कैंसर से पीड़ित मिले हैं। दो मासूम स्पाइन कैंसर तो वहीं तीन साल का मासूम को ब्रेन ट्यूमर से जूझ रहआ है। मासूमों में सात मरीजों में ब्लड कैंसर की पुष्टि हुई है, जबकि दो स्पाइन कैंसर (रीढ़ की हड्डी) और तीन साल की एक मासूम बच्ची दिमाग के कैंसर (ब्रेन ट्यूमर) से पीड़ित है। सात बच्चों का इलाज बीआरडी की टीम कर रही है, बाकी तीन को रेफर कर दिया गया है। इस तरह के केस मिलने पर डॉक्टरों ने भी चिंता जाहिर की है। इन परिवारों में न तो मां को कैंसर है न ही बाप को। ऐसे में कैंसर के कारण क्या हैं, इसका पता अभी नहीं चल पाया है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कुलदीप ने बताया कि 10 बच्चों को लगातार बुखार आ रहा था और उनके शरीर में खून की कमी होती जा रही थी। परिजनों ने बाहर इलाज कराया, लेकिन समस्या बराकरार थी। इस पर वे यहां लेकर आए। लक्षण के आधार पर फ्लोसाइटोमैट्री जांच के लिए सैंपल भेजे गए और सात बच्चों में ब्लड कैंसर की पुष्टि हुई। दो मासूमों में स्पाइन कैंसर मिला है। वहीं तीन साल की एक मासूम में ब्रेन कैंसर मिला है। इन तीनों को रेफर कर दिया गया है, जबकि ब्लड कैंसर से पीड़ित सात मासूमों का इलाज चल रहा है।

परिवार में नहीं है कैंसर की हिस्ट्री

डॉ. कुलदीप ने बताया कि परिवार में किसी की हिस्ट्री नहीं है। बच्चों में कैंसर के कारणों का पता लगाने के लिए शोध की जरूरत है। डॉ. कुलदीप ने बताया कि सभी मरीजों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। दो गोरखपुर के खोराबार के हैं। इनकी उम्र सात और छह साल है। वहीं सात साल का एक मासूम सिद्धार्थनगर का रहने वाला है। उसका पिता दिमागी रूप से कमजोर है। मां भी पढ़ी-लिखी नहीं है। ऐसे में उसकी जांच से लेकर अन्य दवाओं का खर्च खुद ही वहन किया जाता है। जांच को सैंपल लेकर वार्ड ब्वॉय जाता है। डॉ. कुलदीप ने बताया कि ब्लड कैंसर के मरीजों को कई बार खून चढ़ाना पड़ता है। ऐसे में अक्सर ब्लड की कमी हो जाती है। जिन बच्चों को कैंसर हुआ है, उनके परिजन इतने सक्षम नहीं है कि वे बार-बार खून की व्यवस्था कर सकें। इसलिए अगर लोग रक्तदान करें तो काफी हद तक राहत मिल सकती है।

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