Gorakhpur News: DDU ने बना दिया अनूठा रिकॉर्ड, देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपति हैं सात शिक्षक

Gorakhpur News: डीडीयू में शिक्षाशास्त्रत्त् विभाग की पूर्व अधिष्ठाता प्रो. शोभा गौड़ को मिर्जापुर के मां विन्ध्यवासिनी विश्वविद्यालय का प्रथम कुलपति बनाया गया है। प्रो. शोभा गौड़ की स्कूली शिक्षा एडी राजकीय इंटर कॉलेज में हुई है।;

Update:2024-12-01 09:06 IST

DDU ने बना दिया अनूठा रिकॉर्ड, देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपति हैं सात शिक्षक (newstrack)

Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के शिक्षकों को बड़े ओहदे मिल रहे हैं। गोरखपुर यूनिवर्सिटी के एक-दो नहीं सात शिक्षक देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपति बनाए गए हैं। ऐसा पहली बार हुआ है, जब यूनिवर्सिटी के सात-सात शिक्षक कुलपति जैसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन हैं। हालांकि एक वर्ग ऐसा भी है इनकी नियुक्ति को लेकर सवाल भी खड़ा कर रहा है। सभी सात शिक्षक एक ही राजनीतिक विचारधारा से जुड़े हुए हैं।

डीडीयू में शिक्षाशास्त्रत्त् विभाग की पूर्व अधिष्ठाता प्रो. शोभा गौड़ को मिर्जापुर के मां विन्ध्यवासिनी विश्वविद्यालय का प्रथम कुलपति बनाया गया है। प्रो. शोभा गौड़ की स्कूली शिक्षा एडी राजकीय इंटर कॉलेज में हुई है। कला वर्ग में स्नातक और मनोविज्ञान में परास्नातक की डिग्री गोरखपुर विश्वविद्यालय से हासिल करने के बाद उन्होंने इसी विवि से बीएड, एमएड और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने डीडीयू में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में 2005 से सफर शुरू किया। जून 2024 में सेवानिवृत हुई थीं। शासन से कुलपति के रूप में नियुक्त किए जाने से हर्षित प्रो. शोभा ने कहा कि वह कुलाधिपति के मानकों पर खरा उतरने की हर संभव कोशिश करेंगी।

बलरामपुर विवि के कुलपति बने प्रो. रविशंकर सिंह

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. रवि शंकर सिंह को मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय, बलरामपुर का अंतरिम (प्रथम) कुलपति नियुक्त किया गया है। प्रो. रवि शंकर सिंह मूल रूप से आजमगढ़ जिले के डीहा क्षेत्र के नरसिंहपुर गांव के निवासी हैं। बीएससी, एमएससी और डी. फिल की पढ़ाई उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से की है। हाईस्कूल से लेकर सभी कक्षाओं में प्रथम रहे। प्रो. रवि शंकर सिंह का शिक्षण क्षेत्र में 25 वर्ष का अनुभव है। वर्ष 1999 में राममनोहर लोहिया अवध विवि में सहायक आचार्य के रूप में नियुक्त हुए थे। अक्तूबर 2005 से वह गोरखपुर विश्वविद्यालय में सेवाएं दे रहे हैं। अक्तूबर 2011 से वह प्रोफेसर हैं। प्रो. रविशंकर डीडीयू में कई प्रशासनिक पदों पर भी रहे हैं। वह डीडीयू में डीएसडब्ल्यू रहे हैं। इसके अलावा वार्डन, गोरखनाथ शोध पीठ के ओएसडी आदि पदों पर भी रहे हैं।

सात कुलपति विभिन्न विश्वविद्यालयों में, कई कर रहे दावेदारी

श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी मध्यप्रदेश में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में कुलपति हैं तो वहीं प्रो.केएन सिंह बिहार के गया में दक्षिण बिहार केंद्रिय विश्वविद्यालय में कुलपति का कार्य देख रहे हैं। प्रो.चन्द्रशेखर अलीगढ़ में महाराजा महेन्द्र सिंह विश्वविद्यालय तो प्रो.मुरली मनोहर पाठक नई दिल्ली के श्रीलाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में कुलपति के तौर पर तैनात हैं। वहीं प्रो.संजीत गुप्ता बलिया में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में कुलपति का कार्यभार देख रहे हैं। डीडीयू के कुल सात शिक्षक देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपति बनाए गए हैं। अभी आधा दर्जन ऐसे शिक्षक हैं जो कुलपति की दौड़ में बने रहने के लिए सोशल मीडिया से लेकर सियासी ताकतों की परिक्रमा का कोई मौका नहीं चूकते हैं।

डीडीयू की प्रो.कीर्ति पांडेय हैं उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की अध्यक्ष

बेसिक से लेकर एडेड माध्यमिक एवं महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बनाए गए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग में गोरखपुर विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र की प्रो. कीर्ति पाण्डेय को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। प्रो. कीर्ति का लंबा प्रशासनिक अनुभव है। वह जून 2023 से डीडीयू में डीन आर्ट्स रहीं हैं। वर्ष 2011-14 तक वह समाजशास्त्र की विभागाध्यक्ष रहीं। वर्ष 2015 से 2017 तक वह डीडीयू स्थित यूजीसी-एचआरडीसी की निदेशक रहीं। अक्तूबर 2021 में उन्हें भारत सरकार की ओर से तीन साल के लिए नाथ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग का विजिटर्स नॉमिनी नियुक्त किया गया था। प्रो. कीर्ति पांडेय का मायका गोरखपुर के कैंपियरगंज में है, लेकिन परिवार के सभी लोग शहर में जटेपुर उत्तरी कॉलोनी में रहते हैं। उनकी ससुराल देवरिया जिले के रुद्रपुर क्षेत्र के खोखर गांव में है। उनके पति डॉ. राजेश पांडेय स्वास्थ्य विभाग में ज्वाइंट डायरेक्टर रह चुके हैं। उनके तीनों बेटे भी डॉक्टर हैं। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग के आचार्य डॉ. ईश्वर शरण विश्वकर्मा उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं।

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