Gorakhpur: पटना से लेकर कोलकाता तक गीता प्रेस के दुर्गा सप्तशती की मांग, 2 लाख प्रतियों की छपाई

Gorakhpur News: गीताप्रेस ने पिछले साल दुर्गा सप्तशती को आर्ट पेपर पर प्रकाशित करने का निर्णय लिया था। चार रंगों में यह ग्रंथाकार पुस्तक प्रकाशित की गई है।

Update: 2024-03-29 03:27 GMT

Gorakhpur News: आगामी नौ अप्रैल से शुरू हो रही वासंतिक नवरात्र को लेकर दुर्गा सप्तशती की मांग काफी अधिक बढ़ गई हैं। बिहार के पटना में इसकी सर्वाधिक मांग है। कोलकाता समेत पूरे बंगाल में बॉग्ला में छपे दुर्गा सप्तशती की खूब मांग है। पिछले साल गीता प्रेस प्रबंधन ने 1.46 लाख पुस्तकें छापी थीं, इस बार 2 लाख से अधिक दुर्गा सप्तशती की छपाई हो रही है।

नवरात्र के मांग को देखते हुए गीता प्रेस प्रबंधन एक लाख 10 हजार दुर्गा सप्तशती की प्रतियां छप चुकी हैं। हिंदी भाषी क्षेत्र के पुस्तक केंद्रों से आई मांग के अनुसार कुल दो लाख 10 हजार दुर्गा सप्तशती पुस्तक प्रकाशित की जाएगी। आर्ट पेपर पर 10 हजार दुर्गासप्तशती प्रकाशित की जाएगी। गीता प्रेस से दुर्गा सप्तशती का प्रकाशन हिंदी-संस्कृत के अलावा मलयालम, बॉग्ला, गुजराती, नेपाली, ओड़िया व तेलुगू आदि भाषाओं में किया जाता है। हिंदी-संस्कृत भाषा की दुर्गासप्तशती कुछ केंद्रों के लिए डिस्पैच की गई है। गीताप्रेस ने पिछले साल दुर्गा सप्तशती को आर्ट पेपर पर प्रकाशित करने का निर्णय लिया था। चार रंगों में यह ग्रंथाकार पुस्तक प्रकाशित की गई है। पहले संस्करण में पांच हजार प्रतियां प्रकाशित की गई थीं। शारदीय नवरात्र के पूर्व दस हजार प्रतियों की छपाई हो रही है।


नवरात्र में इस बार दो लाख से अधिक दुर्गा सप्तशती की मांग

गीता प्रेस के ट्रस्टी लालमणि तिवारी का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से लगातार दुर्गा सप्तशती की मांग में तेजी आ रही है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष भी दुर्गा सप्तशती की मांग बढ़ी है। कुछ पुस्तक केंद्रों के लिए दुर्गा सप्तशती की प्रतियां डिस्पैच की जा चुकी हैं। वासंतिक नवरात्र से पहले सभी केंद्रों पर दुर्गा सप्तशती पहुंच जाएगी। इस वर्ष एक जनवरी से मार्च तक एक लाख 10 हजार दुर्गा सप्तशती को छापकर हिंदी भाषी क्षेत्रों के विभिन्न पुस्तक केंद्रों तक भेज दिया गया है। इसके अलावा मांग के अनुसार एक लाख पुस्तकों की छपाई की जा रही है। बंगला, उड़िया, कन्नड़ सहित अहिंदी क्षेत्र के लिए 15 हजार से अधिक दुर्गासप्तशती पुस्तकें प्रकाशित की गईं हैं। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष दुर्गा सप्तशती की 70 हजार से अधिक प्रतियों की मांग बढ़ी है।

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