Gorakhpur News: नगर निगम में कमीशन का खेल, पार्षदों के एक गुट ने CM से की शिकायत, हो गई बड़ी कार्रवाई

Gorakhpur News: नगर निगम में दर्जन भर ऐसे पार्षद हैं, जो ठेकेदारी में भी संलिप्त हैं। इनका हित प्रभावित हुआ है तो ये खेल नजर आ रहा है।

Update: 2024-08-14 04:16 GMT

नगर निगम गोरखपुर बिल्डिंग (Pic: Social Media)

Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के नगर निगम में कमीशन का खेल पुराना है। खुद बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ पूर्व मेयर डॉ.सत्या पांडेय और अंजू चौधरी के कार्यकाल में नगर निगम में धरना दे चुके हैं। एक बार फिर कमीशन के खेल को लेकर नगर निगम में माहौल गर्म है। पार्षदों के एक गुट ने मुख्यमंत्री योगी तक कमीशन और गोलमाल की शिकायत पहुंचाई तो नगर निगम को 94 कार्यों का टेंडर निरस्त करना पड़ा। अब नगर निगम के भाजपा पार्षदों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। चर्चा है कि नगर निगम के कुछ आला अधिकारियों पर भी इस मामले में बड़ी कार्रवाई हो सकती है।

असल में नगर निगम के कुछ चुनिंदा वार्डों में काम के बंटवारे में मनमानी का आरोप लगाते हुए कुछ भाजपा पार्षदों ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरता से लेते हुए कड़ी नाराजगी जताई थी। इसके बाद नगर निगम प्रशासन ने निगम के विभागीय कार्य छोड़कर पार्षद वरीयता, 15वां वित्त समेत सभी कार्यों पर फिलहाल रोक लगा दी। हाल ही में निकाले गए 94 काम के टेंडर भी निरस्त कर दिए गए हैं। इनमें पार्षद वरीयता, नगर निगम निधि और 15वां वित्त के काम शामिल हैं। पूरे खेल में जिसका नाम आ रहा है, उन पर पार्टी स्तर पर कार्रवाई हो सकती है। इतना ही नहीं कुछ नगर निगम के अधिकारियों पर भी कार्रवाई होने की चर्चाएं हैं। हालांकि जिन पार्षदों ने शिकायत की है, उनपर भी दूसरा खेमा आरोप लगाने से नहीं चूक रहा है। असल में नगर निगम में दर्जन भर ऐसे पार्षद हैं, जो ठेकेदारी में भी संलिप्त हैं। इनका हित प्रभावित हुआ है तो ये खेल नजर आ रहा है। वैसे जिस पार्षद पर कमीशन के खेल का आरोप है, वे सपा सरकार में भी पार्षद वरीयता के काम को लेकर विवादों में रहे हैं। असल में तब मनोनीत पार्षदों के फंड से करोड़ों का काम हवा में ही हुआ था। लेकिन भुगतान सभी का हो गया।

आपस में भिड़ गए हैं भाजपा पार्षद

कुछ ही वार्डों में ज्यादा काम के आरोप को लेकर मची रार के बाद अब पार्षदों में लामबंदी तेज हो गई है। कुछ पार्षद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास मामला पहुंचाने वाले पार्षदों के साथ हो गए हैं तो कुछ खिलाफ। विपक्ष के पार्षद अलग भूमिका में हैं। उनका आरोप है कि समर्थन और खिलाफत करने वाले दोनों ही वर्गों के पार्षद सत्ता पक्ष के ही हैं, जिनका जनता के हितों से कोई सरोकार नहीं है। उनके आपस की लड़ाई से जरूरी विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। यद्यपि, पर्दे के पीछे दबी जुबान वे भी मुख्यमंत्री से शिकायत करने वाले पार्षदों के समर्थन में हैं, लेकिन सार्वजनिक तौर पर सामने नहीं आ रहे।

पार्षद वरीयता के काम का होगा टेंडर

उधर, नगर निगम प्रशासन ने पार्षद वरीयता के कामों पर लगी रोक हटा ली है। जल्द ही इसका टेंडर जारी किया जाएगा। लेकिन, 15वां वित्त और नगर निगम निधि के मामले में कोई फैसला नहीं हो सका है। पार्षद वरीयता के कामों पर से रोक हटने के साथ ही जल्द ही फिर से टेंडर जारी किया जाएगा। वहीं, 15वां वित्त और नगर निगम निधि के कार्यों को लेकर कोई निर्णय नहीं हो सका है। यद्यपि, इन कामों के बराबर बंटवारे पर कसरत जरुर शुरु हो गई है। पार्षदों से सहमति के बाद निगम प्रशासन पार्षद वरीयता, 15वां वित्त और नगर निगम निधि के कार्यों का अब अलग-अलग टेंडर निकालने पर भी जल्द ही निर्णय कर सकता है। चर्चा है कि निगम सीमा में जुड़े नए वार्डों के विकास पर ज्यादा फोकस रहेगा। यानी वहां सामान्य वार्डों की तुलना में ज्यादा काम स्वीकृत किए जाएंगे। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल का कहना है कि नगर निगम में पार्षद वरीयता के कामों पर लगी रोक हटा ली गई है। जल्द ही टेंडर भी निकाला जाएगा। नए प्रस्ताव भी मांगे जा रहे हैं। जल्द ही 15वां वित्त और नगर निगम निधि के कार्यों पर भी निर्णय होगा। ये भी काम शुरू कराए जाएंगे।

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