Gorakhpur News: शुगर फ्री चावल इजाद करने वाले डॉ.राम चेत चौधरी को मिला पद्मश्री सम्मान, जानें उनके बारे में

Gorakhpur News: डॉ. राम चेत चौधरी इन दिनों कालानमक चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। वह गैर बासमती एवं बासमती धान के वर्गीकरण में इतर जीआई टैग चावल के रूप में तीसरी श्रेणी बनाने की मांग सरकार से कर रहे हैं।

Update: 2024-01-26 03:41 GMT

डॉ.रामचेत चौधरी को मिला पद्मश्री अवार्ड (सोशल मीडिया)

Gorakhpur News: हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन से बारीकियां सीखने वाले गोरखपुर के वैज्ञानिक डॉ.राम चेत चौधरी को भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान दिया है। 79 वर्षीय डॉ. रामचेत ने महात्मा बुद्ध के महाप्रसाद को संरक्षित करने के लिए तकरीबन 30 साल तक संघर्ष किया। वर्तमान में पूर्वांचल समेत दुनिया के कई देशों में उनके प्रयास से 80 हजार हेक्टेयर में कालानमक धान की पैदावार हो रही है। शुगर फ्री चावल की देश ही दुनिया के कई देशों में खूब मांग है।

पीआरडीएफ संस्था के प्रमुख डॉ. राम चेत चौधरी को कालानमक धान की प्रजातियों के संरक्षण एवं संवर्धन की प्रेरणा हरित क्रांति के जनक डॉ. एमएस स्वामीनाथन से लेकर कालानमक धान की नई प्रजाति की खोज की और पैदावार को डबल कर दिया। सबसे पहले उन्होंने कालानमक धान की प्रजाति-101, काला नमक-102, कालानमक 103 एवं कालानमक किरण प्रजाति विकसित की। केंद्र सरकार ने इन प्रजातियों को अधिसूचित किया। दूसरी ओर उन्होंने कालानमक को महराजगंज, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, संत कबीरनगर, बलरामपुर, बहराइच, बस्ती, कुशीनगर, गोंडा, बाराबंकी, देवरिया और गोंडा का जियोग्राफिकल इंडीकेशन (जीआई) टैग दिलाकर उसे सुर्खियां दीं।

डॉ. राम चेत चौधरी इन दिनों कालानमक चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। वह गैर बासमती एवं बासमती धान के वर्गीकरण में इतर जीआई टैग चावल के रूप में तीसरी श्रेणी बनाने की मांग सरकार से कर रहे हैं। उन्होंने भारत के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों में पढ़ाया और जर्मनी में अध्ययन किया। इसके साथ ही नाइजीरिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया, कंबोडिया, म्यांमार के साथ-साथ भारत में चावल और अन्य फसलों के उत्पादन का अध्ययन किया है।

काला नमक की बावनी प्रजाति-101 को विकसित किया

डॉ. चौधरी ने बताया कि रिसर्च कर काला नमक की बावनी प्रजाति-101 को विकसित किया। उसे किसानों को दिया गया, उत्पादन तो बढ़ा पर किसान कहने लगे कि इसका रंग भूरा है। फिर नया रिसर्च किया और नई प्रजाति तैयार की। उसे नाम दिया गया काला नमक-102 और इसका रिस्पांस बहुत बेहतर मिला। सैकड़ों किसानों को उसका बीज देकर उनकी राय जानी। पहले काला नमक की पैदावार एक एकड़ में लगभग 10 क्विंटल होती थी, अब उतनी ही जमीन में 20 क्विंटल पैदावार होती है।

इस चावल से नहीं बढ़ता है शुगर लेबल

आरसी चौधरी द्वारा विकसित कालानमक की प्रजाति में सामान्य अन्य धान की अपेक्षा जिंक चार गुना, आयरन तीन गुना और प्रोटीन दो गुना प्रमाणित किया। इसमें शुगर की मात्रा नहीं के बराबर होती है। कालानमक धान को केंद्र सरकार ने गोरखपुर समेत चार जिलों का एक जिला एक उत्पाद घोषित कर रखा है। तकरीबन 15 करोड़ की लागत से सिद्धार्थनगर में कालानमक धान के लिए सीएफसी भी संचालित है।

पूरी दुनिया से शोध को लेकर दिया सम्मान

डॉ. रामचेत को ग्लोबल एजुकेशनल अवार्ड सहित कई सम्मान से नवाजा गया है। 1974 में राम चेत चौधरी को उत्तर प्रदेश, भारत के लिए उत्कृष्ट चावल की किस्में विकसित करने के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद (भारत के पूर्व राष्ट्रपति) पुरस्कार दिया गया था। 2000 में राम चेत चौधरी को (अन्य प्रमुख चावल विद्वानों के साथ) कम्बोडियन प्रधान मंत्री हुन सेन द्वारा विशिष्ट सहयोग पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2017 में राम चेत चौधरी को डॉ. एमएस स्वामीनाथन, डॉ. आरएस परोदा और अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा ‘फेलो ऑफ आईएसपीजीआर’ से सम्मानित किया गया। डॉ. राम चेत चौधरी को 2018 में काठमांडू (इंडो-नेपाल समरस्ता) 'कर्म रत्न पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।

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