Gorakhpur News: गीता प्रेस के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल का निधन, सीएम योगी ने जताया शोक

Gorakhpur News: गोरखपुर गीता प्रेस के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल का शनिवार को निधन हो गया है। श्री अग्रवाल के निधन पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने शोक जताया है।

Update:2023-10-28 11:38 IST

गीता प्रेस के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल का निधन (न्यूजट्रैक)

Gorakhpur News: धार्मिक पुस्तकों के तीर्थ कहे जाने वाले गोरखपुर के गीता प्रेस के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल का शनिवार को निधन हो गया। वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन की सूचना पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने शोक जताया है। उनका अंतिम संस्कार वाराणसी में होगा।

गोरखपुर गीता प्रेस से 1950 से जुड़े रहे बैजनाथ अग्रवाल के निधन की सूचना पर गोरखपुर जिले ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के गीता प्रेस से जुड़े लोगों के घरों में शोक की लहर दौड़ गई। सूचना मिलने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिजनों को शोक संदेश भेज ढांढस बंधाया है।

शनिवार की सुबह उनके आवास से उनका पार्थिव शरीर गीता प्रेस में लाया गया। जहां गीता प्रेस के कर्मचारियों व अधिकारियों ने अंतिम दर्शन किया। उसके बाद परिजन पार्थिक शरीर को लेकर काशी के अस्सी घाट के लिए रवाना हो गए। अंतिम संस्कार काशी के अस्सी घाट पर होगा। गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी का कहना है कि बैननाथ अग्रवाल ने गीता प्रेस को आधुनिक तकनीक से सुसज्जित करने में अहम योगदान दिया।

गीता प्रेस में पीएम मोदी को बुलाने में अहम भूमिका

पिछले 7 जुलाई को पीएम नरेन्द्र मोदी गीता प्रेस के शताब्दी समारोह में शिरकत करने गोरखपुर पहुंचे थे। पीएम के कार्यक्रम को लेकर ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल की अहम भूमिका थी। पीएम ने भी बैजनाथ अग्रवाल के योगदान को लेकर उन्हें बधाई दी थी।

गांधी शांति पुरस्कार का मिल चुका है सम्मान

100 साल के स्वर्णिम सफर को पूरा कर चुके गीता प्रेस को हाल में गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा हुई थी। इस पर भारी विवाद भी हुआ था। 1923 में जयदयाल गोयंदका और हनुमान प्रसाद पोद्दार ने गीता प्रेस की स्थापना की थी। हिंदू धार्मिक ग्रंथों को सस्ती कीमत पर आम लोगों तक पहुंचाना गीता प्रेस की स्थापना का उद्देश्य था। गीता प्रेस ने भगवद्गीता, तुलसीदास की रचनाओं, पुराणों और उपनिषदों की करोड़ों प्रतियां बेचीं हैं। गीता प्रेस अपने 100 साल के सफर में 42 करोड़ किताबें छाप चुकी है। इनमें भगवद्गीता की 18 करोड़ प्रतियां शामिल हैं। इस प्रेस में रोजाना 70,000 किताबें प्रिंट होती हैं।

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