Gorakhpur News: गीता प्रेस की पत्रिका कल्याण के नाम पर फ्राड, सीसीटीवी में कैद हुई मध्य प्रदेश के ठग तस्वीर

Gorakhpur News: गीता प्रेस की कल्याण पत्रिका के देश ही दुनिया में लाखों वार्षिक ग्राहक हैं। गीता प्रेस के नाम पर ठगी पहले भी होती रही है। कभी हिन्दुओं के बीच कहा जाता है कि गीता प्रेस कंगाल हो रहा है। ऐसे में चंदा उगाही की खबरें आती हैं।;

Update:2024-12-06 19:24 IST

कल्याण पत्रिका के नाम पर ठगी करने वाला मध्य प्रदेश का शख्स सीसीटीवी में कैद

Gorakhpur News: धार्मिक पुस्तकों का तीर्थ कहे जाने वाले गोरखपुर के गीता प्रेस द्वारा निकाली जाने वाली कल्याण पत्रिका के नाम पर फ्राड किया जा रहा है। मध्य प्रदेश से कल्याण पत्रिका की वार्षिक सदस्यता के नाम पर ठगी की शिकायत गीता प्रेस प्रशासन को मिली है। जिसके बाद ट्रस्टी ने मध्य प्रदेश के डीजीपी के साथ स्थानीय साइबर सेल में इस फ्राड की सूचना दी है।

गीता प्रेस की कल्याण पत्रिका के देश ही दुनिया में लाखों वार्षिक ग्राहक हैं। गीता प्रेस के नाम पर ठगी पहले भी होती रही है। कभी हिन्दुओं के बीच कहा जाता है कि गीता प्रेस कंगाल हो रहा है। ऐसे में चंदा उगाही की खबरें आती हैं। ताजा मामला मध्य प्रदेश से है। मध्य प्रदेश के एक व्यक्ति ने गीता प्रेस प्रशासन से कल्याण पत्रिका की वार्षिक सदस्यता के नाम पर ठगी की शिकायत की है। व्यक्ति ने बताया कि कल्याण पत्रिका की वार्षिक सदस्यता के लिए जो रसीद दी गई है, उसपर पता तो गोरखपुर का है। लेकिन पिन कोड मध्य प्रदेश का है। शिकायतकर्ता ने एक क्लिप भी भेजा है। जिसमें ठग सीसीटीवी में रसीद काटते हुए दिख रहा है। गीता प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल का कहना है कि कल्याण पत्रिका की वार्षिक सदस्यता 300 रुपये है। इसके लिए देश में कहीं कोई एजेंट नहीं नियुक्त है। इसकी सदस्यता गीता प्रेस के स्टॉल और अधिकारिक वेबसाइट से ही मिलती है। ठगी के मामले के बाद मध्य प्रदेश के डीजीपी से संपर्क किया गया है। साइबर सेल में भी इसकी शिकायत कर दी गई है।

95 साल पहले शुरू हुआ कल्याण का प्रकाशन

कल्याण का प्रकाशन 1926 से शुरू हुआ। वर्तमान में इसके करीब 2,50,000 वार्षिक सदस्य हैं। पहले साल सभी 12 साधारण अंक निकले थे। दूसरे साल से पहला अंक विशेषांक के रूप में प्रकाशित होने लगा। 2001 के बाद के विशेषांकों व साधारण अंकों का डिजिटल बैकअप गीताप्रेस के पास है। उसके पहले के अंकों की स्कैनिंग कराकर डिजिटल बैकअप तैयार किया जा रहा है। ये अंक जिस रूप में प्रकाशित हुए हैं उसी रूप में इंटरनेट पर पाठकों को पढ़ने के लिए मिलेंगे।

पाठक पन्ना पलटते जाएंगे और किताब खुलती जाएगी। अब तक 96 विशेषांक निकल चुके हैं। इनमें से 75 विशेषांक व 826 साधारण अंक 2001 के पहले हैं। प्रबंधन का कहना है कि कल्याण की पुरानी पत्रिका अब वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। ट्रस्टी का कहना है कि 25-50 साल पहले छपी पुस्तक, उसी रूप में इंटरनेट पर देखकर पाठक प्रसन्न होंगे। इसलिए हर पन्ने को स्कैन कराया जा रहा है। वेबसाइट पर पाठक एक-एक पन्ना पलटते जाएंगे और किताब खुलती जाएगी। 

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