Gorakhpur News: बीआरडी में सात साल फिर हो सकता है ऑक्सीजन कांड, इस वजह से बढ़ी चिंता

Gorakhpur News: कंपनी का करीब सवा करोड़ रुपए का भुगतान लंबित हो गया है। फर्म ने मेडिकल कॉलेज को ऑक्सीजन आपूर्ति बंद करने का नोटिस भी दे दिया है।

Update:2024-03-02 08:07 IST

BRD Medical College Gorakhpur   (photo: social media )

Gorakhpur News: वर्ष 2017 में यूपी के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जिन वजहों से ऑक्सीजन कांड हुआ था, वैसी ही परिस्थितियां एक बार फिर बन रही हैं। ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म का जितना भुगतान रूका हुआ है, वह 2017 के रकम से कहीं अधिक है। इतना ही नहीं मानदेय कर्मचारियों का वेतन भी नहीं मिल रहा है। होली का त्योहार फीका हो सकता है।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में लिक्विड ऑक्सीजन का भी करीब सवा करोड़ रुपए का भुगतान लटका हुआ है। लिक्विड ऑक्सीजन फर्म ने आपूर्ति रोकने का दिया नोटिस बीआरडी मेडिकल कॉलेज को लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति आईनॉक्स कंपनी करती है। कंपनी का करीब सवा करोड़ रुपए का भुगतान लंबित हो गया है। फर्म ने मेडिकल कॉलेज को ऑक्सीजन आपूर्ति बंद करने का नोटिस भी दे दिया है। यह फाइल भी प्राचार्य कार्यालय में पड़ी हुई है। बता दें कि मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2017 में 67 लाख रुपए के बकाए में तत्कालीन फर्म लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक दी थी। इसके बाद कॉलेज में मरीजों के लिए ऑक्सीजन का संकट खड़ा हो गया था। 50 से अधिक मासूमों की तब जान चली गई थी। इसके साथ ही शिक्षक, पैरामेडिकल स्टॉफ, स्थाई व आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को फरवरी का वेतन नहीं मिला है। मेडिकल कॉलेज में करीब डेढ़ सौ शिक्षक, 350 रेजिडेंट, 550 नर्सों समेत 1400 से अधिक कर्मचारी तैनात हैं। इनमें, स्थाई, संविदा और आउटसोर्सिंग तीनों पर कर्मचारी तैनात है। आउटसोर्सिंग की चार फर्में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सक्रिय हैं। स्थाई व संविदा शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन बिल पर प्राचार्य ने हस्ताक्षर नहीं होने से वेतन का संकट खड़ा हो गया है।

यह है संकट की वजह

कार्यवाहक प्राचार्य को वित्तीय अधिकार नहीं मिलने से संकट खड़ा हुआ है। दरअसल बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पूर्व प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार बीते 31 जनवरी को रिटायर हो गए। उन्होंने प्राचार्य का कार्यभार कालेज के सबसे सीनियर शिक्षक व एनेस्थीसिया के विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील आर्या को सौंप दिया। कार्यवाहक प्राचार्य को नियमित कार्य संपादित करने के अधिकार तो दिए गए लेकिन उन्हें वित्तीय अधिकार नहीं मिला। इसी वजह से बीआरडी के भुगतान में पेंच फंस गया है। कार्यवाहक प्रचार्य डॉ.सुनील आर्या का कहना है कि वित्तीय संकट के संदर्भ में शासन को सूचित किया जा चुका है। मुझे वित्तीय अधिकार नहीं मिला है। मैं हस्ताक्षर नहीं कर सकता।

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