Gorakhpur: बंगाल टाइगर से भी भारी है यूपी का सबसे बड़ा शिकारी, बेहद रोचक है ‘पम्पिंग बाघ’ के नामकरण की कहानी
Gorakhpur News: पीलीभीत से करीब एक माह पहले रेस्क्यू कर लाए गए शातिर और चालाक बाघ का मानव से जबरदस्त संघर्ष हुआ। एक माह से अधिक समय से उसे गोरखपुर के चिड़ियाघर में क्वारंटीन किया गया है।
Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर का शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान इन दिनों प्रदेश के मनबढ़ जानवरों के लिए सुधार गृह बनता जा रहा है। तेंदुआ, सियार के बाद अब चिड़ियाघर में पीलीभीत से बाघ लाया गया है। इसके शिकार करने के अंदाज को देखते हुए इसे ‘पम्पिंग बाघ’ के नाम से पुकारा जा रहा है। बंगाल टाइगर से भी वजनी इस बाघ के शिकार के तरीके पर चिड़ियाघर के डॉक्टर भी शोध कर रहे हैं।
पीलीभीत से करीब एक माह पहले रेस्क्यू कर लाए गए शातिर और चालाक बाघ का मानव से जबरदस्त संघर्ष हुआ। एक माह से अधिक समय से उसे गोरखपुर के चिड़ियाघर में क्वारंटीन किया गया है। उसके शातिर होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह पम्पिंग सेट चलने वाली जगहों की रेकी करता था। जब किसान पम्पिंग सेट बंद करने आते, तो उन पर टूट पड़ता था। यही कारण है कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन ने उसका नाम ‘पम्पिंग बाघ’ रख दिया था। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, चिड़ियाघर डॉ.योगेश प्रताप सिंह का कहना है कि पीलीभीत से लाए गए बाघ के स्वभाव का अध्ययन किया जा रहा है। उसे जंगल में छोड़ना है या नहीं, इस पर कमेटी फैसला करेगी। फिलहाल उसे क्वारंटीन सेल में रखा गया है। वह पूरी तरह से स्वस्थ है ।
बंगाल टाइगर से भी ज्यादा वजनी
पीलीभीत के बाघ कद काठी में देश भर के बाघों से मजबूत माने जाते हैं। बंगाल टाइगर की तुलना में इनका वजन भी ज्यादा होता है। यह बाघ पीलीभीत जंगल के बाहर आकर ऐसी जगह की रेकी करता था, जहां पर किसान पम्पिंग सेट चलाकर खेतों की सिंचाई कर रहे हों। इस दौरान वह छिपकर पम्पिंग सेट बंद होने का इंतजार करता था। जब किसान पम्पिंग सेट बंद करने आते थे तो उन पर हमला कर शिकार कर लेता था। इस तरह से उसने पांच वारदातों को अंजाम देते हुए कई किसानों को अपना शिकार बनाया था। इस बाघ को कई बार पकड़ने के लिए टाइगर रिजर्व और वन विभाग ने कई बार जाल फैलाया लेकिन सफलता नहीं मिली। जब हालात बेकाबू हो गए और लोगों के बीच उसका खौफ ज्यादा हुआ तब किसी तरह बेहोश कर उसका रेस्क्यू किया गया।
चिड़ियाघर में आम लोग देख सकेंगे
बाघ के शातिरपने और उसके स्वभाव को देखते हुए उसे जंगल में छोड़ने के चांस बेहद कम है। हालांकि, इसके लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई है जो उसके स्वभाव नजर रखे हुए हैं। बताया जा रहा है कि कमेटी भी असमंजस में है कि उसे छोड़ा जाए या चिड़ियाघर में ही रखा जाए। चिड़ियाघर में बाघ अमर और सफेद बाघिन गीता है। पीलीभीत से लाए गए बाघ की कद-काठी उनसे ज्यादा है। उसका वजन भी बाघ अमर और गीता के वजन से 90 किलो ज्यादा है। जानकार बताते हैं कि प्रदेश में दूसरा कोई बाघ पीलीभीत से लाए गए बाघ जैसा नहीं है। यह पूरी तरह से जंगली है और शिकार करना बखूबी जानता है।