Gorakhpur: बसंत को पाकिस्तानी बता रिश्तेदारों ने संपत्ति से कर दिया था बेदखल, अब बनेंगे पुश्तैनी जमीन के मालिक?

Gorakhpur News: पाकिस्तान में प्रताड़ना के बाद रमा देवी 17 अक्टूबर 1981 को अटारी चेक पोस्ट के रास्ते पाकिस्तान से भागकर भारत आ गईं। यहीं पर उनकी शादी सोनौरा के योगेन्द्र पाठक के साथ हुई।

Update: 2024-03-12 03:26 GMT

सांकेतिक तस्वीर (सोसल मीडिया)

Gorakhpur News: नागरिक संशोधन कानून के लागू होने के बाद भले ही सियासी घमासान मचा हो, लेकिन वर्षों से बिना नागरिकता के देश में रह रहे लोगों के लिए यह दिन तमाम खुशियां लेकर आया हैँ। पाकिस्तान और बांग्लादेश से भागकर गोरखपुर आए भाई-बहन सहित तीन लोगों को अब भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। इनमें से एक महिला 52 साल से जबकि भाई-बहन 41 साल से यहां रह रहे हैं। फिलहाल ये लम्बी अवधि के वीजा पर गोरखपुर में रह रहे है। हर साल एलआईयू के कर्मचारी इनके घर पहुंच कर वीजा नवीनीकरण करते हैं।

पीपीगंज के बढ़या चौक के मूल निवासी राम नरेश पाठक कराची में डालमिया फैक्ट्री में मुलाजिम थे। परिवार के साथ पाकिस्तान में ही रह गए। उनकी दो बेटी और एक बेटा हैं। पाकिस्तान में प्रताड़ना के बाद रमा देवी 17 अक्टूबर 1981 को अटारी चेक पोस्ट के रास्ते पाकिस्तान से भागकर भारत आ गईं। यहीं पर उनकी शादी सोनौरा के योगेन्द्र पाठक के साथ हुई। सोनौरा देवी पांच बच्चों की मां हैं। पर आज तक भारत की नागरिक नहीं बन पाई थीं। उनके पास कोई दस्तावेज नहीं है। बसंत कुमार रमा देवी के भाई हैं। अपनी बहन के आने के करीब दो साल बाद 18 मार्च 1983 को वह भी अटारी चेक पोस्ट से भागकर भारत में आ गए। पिता की पुश्तैनी जमीन पर लौटने के बाद भी बसंत कुमार को वह सम्मान नहीं मिला। उनके पिता राम नरेश चार भाई थे। जब तक भाई जिंदा रहे तब तक तो ठीक चला बाद में उनके बेटों ने बसंत को विदेशी बताकर घर और जायदाद से बेदखल कर दिया। उधर, 1999 में उनके पिता का भी पाकिस्तान में ही देहांत हो गया। वह भारत नहीं आ पाए थे। बसंत कुमार अपनी बहन रमा के साथ कैम्पियगंज में ही रहते हैं।

नागरिकता तो नहीं जानते, हर साल फार्म जरूर भरते हैं

भागीरथी देवी, दो मई 1971 को अपने पति राजमन के साथ हरिदासपुर चेक पोस्ट के रास्ते भारत आई थीं। चार साल पहले राजमन की मौत हो गई है। भागीरथी की तीनों बेटियों गायत्री, सोनू और रेनू की शादी हो गई है। भागीरथी अकेली रहती हैं। गायत्री बताती हैं कि भारत आए उन्हें 53 साल हो गया। उन्हें नहीं पता कि नागरिकता क्या होती है? बस यही जानती हैं कि हर साल फार्म भरवाया जाता है। गणेश पुत्र स्व. विभूति प्रसाद ओझौली बड़हलगंज, के पास बांग्लादेश की नागरिकता है। 24 जनवरी 1982 को हरिदासपुर चेकपोस्ट से भारत में आए और यहीं रहने लगे। ओझौली गांव में इनकी खेतीबाड़ी तो वहीं बड़हलगंज में पटना चौराहे पर मकान है। गणेश यहीं पर बेटे और बहू के साथ रहते थे। जीते जी उन्हें भारतीय नागरिकता नहीं मिल पाई। 86 साल की उम्र में जुलाई 2022 को उनका निधन हो गया। गणेश के पिता बांग्लादेश में ही रहते थे। वहीं पर गणेश प्रसाद पैदा हुए थे इसलिए वहां के नागरिक हो गए। उनके बेटे प्रेम गुप्ता ने बताया वही यहीं पैदा हुए हैं।

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