Gorakhpur News: अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा से पहले गीता प्रेस में रामचरित मानस का स्टॉक खत्म, फ्री में ई-संस्करण कर सकेंगे डाउनलोड

Gorakhpur News: गीता प्रेस प्रबंधन ने गीता प्रेस की वेबसाइट पर रामचरित मानस का ई-संस्करण सभी 10 भाषाओं में अपलोड कर लिया है।

Update:2024-01-13 07:57 IST

Geeta Press Ramcharit Manas  (photo: social media )

Gorakhpur News: अयोध्या में मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देश ही नहीं दुनिया के तमाम देशों में रामचरित मानस के साथ सुंदरकांड और हनुमान चालिसा की मांग में जबरदस्त इजाफा हो गया है। गीता प्रेस डिमांड के मुताबिक धार्मिक पुस्तकें छापने में खुद को असमर्थ बता रहा है। अब गीता प्रेस प्रबंधन ने गीता प्रेस की वेबसाइट पर रामचरित मानस का ई-संस्करण सभी 10 भाषाओं में अपलोड कर लिया है। जल्द ही वेबसाइट से रामचरित मानस को मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकेगा।

गीता प्रेस प्रबंधन ने मांग को देखते हुए अपनी वेबसाइट www.gitapress.org पर 15 दिन के लिए तुलसीदास कृत राम चरित मानस को सभी 10 भाषाओं में अपलोड करने का निर्णय लिया है। प्रबंधन ने बताया कि पाठक को वेबसाइट खोलने पर एक पापअप विंडो स्क्रीन आ जाएगी। जिसमें रामचरित मानस दस भाषाओं में लिखी हुई मिलेगी। अपनी पसंद की भाषा पर क्लिक कर पाठक रामचरित मानस को मुफ्त में डाउनलोड कर सकता है। एक साथ एक लाख लोग भी पेज पर एक्सेस कर सकते हैं। यह जिम्मेदारी केरल की आईटी कंपनी को दे गई है। जो सर्वर हैंग करने की स्थिति में तत्काल सक्रिय होगी। इसी के साथ वेबसाइट पर अयोध्या दर्शन और अयोध्या महात्म पुस्तक को भी अपलोड कर दिया गया है। ट्रस्टी गीता प्रेस देवीदयाल अग्रवाल का कहना है कि वेबसाइट पर रामचरित मानस के साथ अन्य पुस्तकों को अपलोड कर ट्रायल पूरा कर दिया गया है। एक से दो दिन में पाठक पुस्तक को पढने के साथ ही डाउनलोड कर सकेंगे। मांग के सापेक्ष हम करीब 75 प्रतिशत पुस्तकें ही पाठकों को उपलब्ध करा पा रहे हैं। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वर्ष अब तक करीब 20 करोड़ रुपये की पुस्तकें अधिक बिकी हैं। कई जगहों से रामचरित मानस और हनुमान चालिसा की मांग आ रही है। जिन्हें आपूर्ति करना संभव नहीं हो पा रहा है। तमाम दिक्कतों के बाद भी अधिक से अधिक पुस्तकों को प्रकाशित करने का प्रयास हो रहा है।

50 साल में पहली बार रामचरित मानस का स्टॉक हुआ खत्म

धार्मिक पुस्तकों के तीर्थ माने जाने वाला गीता प्रेस वर्तमान में रामचरित मानस की डिमांड पूरी करने में खुद को अक्षम पा रहा है। 50 वर्षों में पहली बार गीता प्रेस को अपने स्टॉक में रामचरितमानस की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देश के बढ़ी राम चरित मानस और हनुमान चालिसा की डिमांड को देखते हुए पहली बार गीता प्रेस प्रबंधन को आपूर्ति के लिए असमर्थता जाहिर करनी पड़ रही है।

गीता प्रेस प्रबंधन मांग के सापेक्ष अक्तूबर से दिसम्बर तक केवल 31 हजार रामचरित मानस (हिन्दी गुटका आकार) की आपूर्ति कर सका है। जबकि मांग लगभग डेढ़ लाख प्रतियों की रही है। इन तीन महीनो में रामचरित मानस की 3.27 लाख प्रतियां छपीं, सभी बिक चुकी हैं। इसी तरह हनुमान चालिसा की छपी 13.50 लाख प्रतियों में कुछ हजार प्रतियां ही स्टॉक में बची हैं। दिसम्बर माह में 1.75 लाख रामचरित मानस की गुटका आकार की प्रतियों की डिमांड बिहार, राजस्थान से लेकर यूपी के विभिन्न जिलों से आई हैं, लेकिन गीता प्रेस प्रबंधन आपूर्ति को लेकर असमर्थता जता चुका है। धार्मिक पुस्तकों के देश के सबसे बड़े प्रकाशक गीता प्रेस ने भगवान राम को घर-घर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण कर चुके गीता प्रेस ने श्रीमद्भागवद्गीता (17 करोड़) के बाद सबसे ज्यादा भगवान राम पर आधारित पुस्तकों का ही प्रकाशन किया है। भगवान राम पर आधारित 140 तरह की पुस्तकों की गीता प्रेस ने करीब 13 करोड़ प्रतियां प्रकाशित की है। लेकिन अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर रामचरित मानस की बढ़ी मांग को पूरा करने में गीता प्रेस प्रबंधन खुद को अक्षम पा रहा है।


10 भाषाओं में प्रकाशित होती है रामचरित मानस

वर्ष 1923 में स्थापित गीता प्रेस ने पहली बार वर्ष 1939 में तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस का प्रकाशन किया था। यह पुस्तक कुल 10 भाषाओं में प्रकाशित होती है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक सिर्फ हिन्दी में कुल 6 साइज में 3,62,79,750 प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। मानस के अलग-अलग सात काण्ड की भी बाजार में खूब मांग है। उनमें सबसे अधिक मांग सुंदरकाण्ड की है। रामचरितमानस की हिन्दी के बाद सबसे अधिक मांग गुजराती में (अब तक 5.43 लाख प्रतियां बिकीं) है। गीताप्रेस के दिसंबर 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक तुलसी साहित्य एवं भगवान राम पर आधारित पुस्तकों की कुल 12.17 करोड़ प्रतियां बिकी थीं। एक साल में ही यह संख्या करीब 13 करोड़ हो गई है। पिछले पांच वर्ष में रामचरितमानस की 41 लाख प्रतियां बिकी हैं। पिछले एक वर्ष में मानस की कुल 7 लाख से अधिक प्रतियां बिकी हैं। रामचरितमानस हिन्दी, गुजराती, अंग्रेजी, ओडिया, तेलुगु, मराठी, कन्नड, नेपाली, असमिया और बांग्ला भाषाओं में होता है। श्रीराम पर आधारित अन्य पुस्तकें संस्कृत और तमिल में भी प्रकाशित होती हैं। रामचरित मानस के साथ ही बाल्मिकी रामायण की मांग भी बढ़ी है। पिछले एक साल में वाल्मीकि रामायण की 94 हजार प्रतियां बिकी हैं।

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