Subrata Roy Success Story: 2000 रुपए की पूंजी, लैंब्रेटा स्कूटर...गोरखपुर से ऐसे शुरू हुआ सुब्रत राय का आसमानी कारोबार

Subrata Roy Success Story: एक बार गोरखपुर से जुड़ाव को लेकर सुब्रत राय ने कहा था कि 'जब भी गोरखपुर आता हूं, मुझे बहुत अच्छा लगता है। ये मेरा घर है। पूरी दुनिया में तमाम शहर हैं लेकिन गोरखपुर मेरे लिए खास है।’

Update:2023-11-15 09:46 IST

Subrata Roy (Social Media)

Subrata Roy Success Story: जिन्होंने सहारा इंडिया के पीक समय को नहीं देखा है, उन्हें यकीन करना मुश्किल होगा कि 80 के दशक में गोरखपुर में जो भी विकास दिखता था, उसके पीछे कहीं न कहीं सुब्रत राय सहारा ही थे। राप्ती तट पर अत्याधुनिक शवदाह गृह हो, टाउन हॉल पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद में समर्पण पार्क, विवेकानंद चौराहा, सहारा स्टेट या फिर गोरखपुर से पहले हवाई जहाज की उड़ान। सभी कुछ किया सुब्रत राय सहारा ने।

गोरखपुर के सिनेमा रोड स्थित सहारा के कार्यालय के एक कमरे, दो कुर्सी, एक लैंब्रेटा स्कूटर और 2000 रुपये की पूंजी से शुरू कारोबार को सुब्रत राय ने 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाया। यूं कहें तो सुव्रत राय ने गोरखपुर के कर्ज विकास से लेकर रोजगार के अवसरों से साल दर साल चुकाया।

ऐसे रहे शुरुआती दिन, स्मॉल सेविंग पर जोर 

सुब्रत राय सहारा ने गोरखपुर के राजकीय पॉलिटेक्निक से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था। बिहार के अररिया जिले में 10 जून 1948 को जन्में सुब्रत राय के पिता छितौनी, घुघली चीनी मिल में बड़े पद पर रहे हैं। शुरुआती पढ़ाई कोलकाता में हुई। इसके एनसीसी में सी सर्टिफिकेट हासिल करने वाले सुब्रत राय ने वर्ष 1978 में उन्होंने अपने मित्र एसके नाथ के साथ फाइनेंस कंपनी शुरू की। शुरुआती दिनों में वह छोटे-छोटे दुकानदारों से बचत कराते थे। थोड़ी पूंजी हुई तो वर्ष 1978 में इंडस्ट्रियल एरिया में कपड़े और पंखे की छोटी फैक्ट्री शुरू की। इस दौरान वह लैब्रेटा स्कूटर से पंखा और अन्य उत्पादों को बेचा करते थे। दुकानों पर पंखा पहुंचाने के साथ ही वह दुकानदारों को स्मॉल सेविंग के बारे में जागरूक करते थे। बैंकिंग जरूरतों के साथ रोजगार के अवसर के बीच सहारा का ‘गोल्डेन की’ योजना क्रान्तिकारी साबित हुई।

'गोरखपुर मेरा घर है'

एक बार गोरखपुर से जुड़ाव को लेकर सुब्रत राय ने कहा था कि 'जब भी गोरखपुर आता हूं, मुझे बहुत अच्छा लगता है। ये मेरा घर है। पूरी दुनिया में तमाम शहर हैं लेकिन गोरखपुर मेरे लिए खास है।’ उन्हें करीब से जानने वाले समाजसेवी राजेश मणि कहते हैं कि उनमे गोरखपुर के विकास को लेकर जिद थी। जब किसी ने गोरखपुर से उड़ान की कल्पना भी नहीं की थी, तब उन्होंने गोरखपुर से सहारा एयरलाइंस की फ्लाईट शुरू की थी।

जिस मकान में किराये पर रहे, वहां से रिश्ता हमेशा बनाए रखा

सुब्रत राय बेतियाहाता में अधिवक्ता शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव के घर में किरायेदार थे। जहां उनके बच्चों का भी जन्म हुआ। शुरूआती दिनों में रेलवे के बाद पूर्वांचल के बेरोजगारों को रोजगार देने वाली प्रमुख कंपनी सहारा ही थी। सुव्रत राय का गोरखपुर से खासा लगाव था। मीडिया क्षेत्र हो या फिर रियल इस्टेट गोरखपुर में उनकी कंपनी ने दोनों क्षेत्र में बड़ा निवेश किया। दिल्ली और लखनऊ के बाद गोरखपुर में उन्होंने राष्ट्रीय सहारा की प्रिंटिंग यूनिट शुरू की। वर्ष 2000 में यूनिट का शुभारंभ करने मिलेनियम स्टार अमिताभ बच्चन पहुंचे थे। गोरखपुर में टाउन हाल स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से लेकर छात्रसंघ चौराहे पर विवेकानंद की प्रतिमा को संवारने का श्रेय सहारा को ही जाता है। अंतिम संस्कार को लेकर आने वाली दिक्कतों को देखते हुए 90 के दशक में सहारा ने अत्याधुनिक शवदाह स्थल का निर्माण कराया। जहां बाढ़ में भी शवदाह कराने में आसानी हुई।

रेलवे के बाद सर्वाधिक नौकरी सहारा ने दिया

वर्ष 1993 से सुब्रत राय से जुड़े ध्रुव श्रीवास्तव का कहना है कि ‘देश की प्रतिष्ठित पत्रिका ने वर्ष 2012 में सुब्रत राय को 10 सबसे शक्तिशाली लोगों में नामित किया गया था। वहीं 2004 में, टाइम पत्रिका ने सहारा समूह को ‘भारतीय रेलवे के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता’ बताया था। उनकी कंपनी में गोरखपुर के लोगों को सर्वाधिक रोजगार मिला।’ देवरिया जिले के रहने वाले ओपी श्रीवास्तव कभी शाखा प्रबंधक हुआ करते थे। लेकिन चंद वर्षों में वह निदेशक मंडल में शामिल हो गए।

अमिताभ से लेकर अनिल कपूर तक पहुंचे गोरखपुर

सुपर स्टार अनिल कपूर, दीया मिर्जा से लेकर बालीवुड के नामचीन चेहरों को गोरखपुर में लाने का श्रेय सुब्रत राय को जाता है। ज्योतिषाचार्य कृष्ण मुरारी मिश्रा के वहां वैवाहिक कार्यक्रम में बालीवुड के सभी प्रमुख चेहरों की मौजूदगी से गोरखपुर सुर्खियों में आया था।

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