Gorakhpur News: उत्पाती बंदरों को पकड़ने की जिम्मेदारी किसकी? तीन विभाग खुद भिड़ रहे..अजब-गजब हैं इनके तर्क

Gorakhpur News: लोगों का कहना है कि बंदरों को पकड़ने के लिए किससे शिकायत करें समझ में नहीं आता है। शहरी क्षेत्रों में बंदरों का आतंक हाल के वर्षों में काफी बढ़ा है।

Update:2024-08-28 07:39 IST

बंदरों का आतंक   (photo: social media ) 

Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में पिपराइच क्षेत्र के जंगल छत्रधारी गांव में पिछले जुलाई महीने में एक महिला को बंदर ने छत से धक्का दे दिया। जिससे महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। परिजनों ने घायल अवस्था में महिला को मेडिकल कालेज भर्ती कराया। जहां इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई। परिवार वालों के मुताबिक, जंगल छत्रधारी टोला अजमतपुर बंगला की रहने वाली मीरा देवी (42) पत्नी मन्नू चौहान छत पर टंगे सूख रहे कपड़े उतारने गई थी। अचानक एक बंदर ने महिला को छत से धक्का दे दिया, नीचे गिरकर वह गंभीर रूप से घायल हो गई। बाद में मौत हो गई। लोगों का कहना है कि बंदरों को पकड़ने के लिए किससे शिकायत करें समझ में नहीं है।

शहरी क्षेत्रों में बंदरों का आतंक हाल के वर्षों में काफी बढ़ा है। गोरखपुर में सुमेर सागर इलाके में तो हर घर के ऊपर बड़ी-बड़ी जालियां हैं। बिछिया रेलवे कालोनी से लेकर पादरी बाजार में लोग छतों पर गेंहू तक नहीं सुखाते हैं। लेकिन इन्हें पकड़ने के लिए कौन विभाग जिम्मेदार है, इसे लेकर विवाद है। आम नागरिक भी नहीं समझ पा रहे हैं कि बंदरों के आतंक पर किससे शिकायत करें। बेतियाहाता के पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी के वार्ड में पिछले दिनों के एक बंदर ने नागरिक को घायल कर दिया। इसे पकड़ने के लिए उन्होंने नगर निगम से लेकर वन विभाग को फोन किया लेकिन कोई आगे नहीं आया। हालांकि विधायकों की शिकायतों पर वन विभाग काफी सक्रिय हो जाता है। पिछले साल गोरखपुर के एक एमएलसी ने बंदरों के उत्पात को लेकर वन विभाग से शिकायत की थी। तब इसे पकड़ने के लिए पूरी टीम लग गई थी।

सुनें अधिकारियों के तर्क

वन विभाग के रेंजर तिनकोनिया लव सिंह का कहना है कि जंगल में बंदरों का आतंक हो तो उन्हें पकड़ने की जिम्मेदारी वन विभाग की है। उच्चाधिकारियों के पत्र के मुताबिक, शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में बंदरों को पकड़ने की जिम्मेदारी नगर निगम और जिला पंचायत विभाग की है। वहीं जिला पशु चिकित्सा अधिकारी धर्मेन्द्र पांडेय का कहना है कि बंदरों के इलाज की जिम्मेदारी पशु विभाग की है। अस्पताल में बंदर आते हैं तो उनका इलाज करना हमारी जिम्मेदारी है। वहीं नगर निगम के अपर नगर आयुक्त निरंकार सिंह का कहना है कि नगर निगम के पास बंदरों को पकड़ने की कोई टीम नहीं है। सांड़ और कुत्तों को पकड़ने की जिम्मेदारी निगम की है। बंदर वन्य जीव है। बंदरों से जुड़ी शिकायत पर वन विभाग की मदद से उन्हें पकड़ा जाता है।

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