Gorakhpur News: मरीजों की खरीद फरोख्त के भागीदार दो पुलिस वाले निलंबित, डॉक्टरों पर रहम क्यों?

Gorakhpur News: दोनों मामलों में गिरोह के कुछ सदस्य जहां एक मिले वहीं मरीज माफिया गिरोह के संचालक के रूप में मनोज निगम का नाम सामने आया था। दोनों मामलों में आरोपितों से पूछताछ में पैसे के बंटवारे का खेल सामने आया था।

Update:2024-02-26 08:30 IST

बीआरडी मेडिकल कालेज गोरखपुर (Newstrack)

Gorakhpur News: यूपी के गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कालेज में मरीजों की खरीद फरोख्त और मुर्दों के इजाज को लेकर रोज नये खुलासे हो रहे हैं। आलू बेचने-बेचते मरीज माफिया बना मनोज निगम फरार है। पुलिस ऑटो से लेकर खुद खेल में शामिल डॉक्टरों के नेटवर्क तक पहुंचने की कोशिश में है। मरीज माफिया से सांठगांठ कर खेल में हजारों कमाने वाले दो पुलिस वालों को एसएसपी डॉ.गौरव ग्रोवर ने निलंबित कर दिया है। इनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू हो गई है। लेकिन सवाल यह है कि पूरे खेल में मुख्य किरदार निभाने वाले चिकित्सकों के ऊपर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि फर्जी अस्पतालों के बाहर एमडी, एमएस डॉक्टरों के नाम बिना उनकी मर्जी के तो लिखे नहीं गए होंगे?

बीआरडी मेडिकल कालेज से मरीजों को बरगलाकर निजी हास्पिटल में भर्ती कराने और वसूली करने के मामले में रामगढ़ताल और चिलुआताल पुलिस ने पिछले दिनों दो हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई की थी। रामगढ़ताल इलाके के ईशु अस्पताल का मामला सबसे पहले सामने आने के बाद ही पुलिस ने मरीज-एम्बुलेंस माफिया गिरोह में शामिल सात लोगों को यहां से जेल भेजा था। इसके बाद मेडिकल कालेज रोड पर झुंगिया के पास स्थित यूनिवर्सल हॉस्पिटल में मरीज को भर्ती कराने के मामले में 15 पर केस दर्ज हुआ और उसमें सात को पुलिस ने जेल भेजवा दिया।

ऐसे खुला पुलिस वालों का खेल

दोनों मामलों में गिरोह के कुछ सदस्य जहां एक मिले वहीं मरीज माफिया गिरोह के संचालक के रूप में मनोज निगम का नाम सामने आया था। दोनों मामलों में आरोपितों से पूछताछ में पैसे के बंटवारे का खेल सामने आया था। ईशु हास्पिटल के प्रकरण में आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि मेडिकल कॉलेज पुलिस चौकी पर तैनात हेड कांस्टेबल तुफानी राम और कांस्टेबल पवन गुप्ता के पास यह जानकारी थी। एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने इस प्रकरण की खुद जांच की थी और मामला खुलने के बाद आरोपियों को जेल भेजने के साथ ही पुलिसवालों की भूमिका की रिपोर्ट भी तैयार करके एसएसपी को भेजी थी। रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी ने दोनों को निलंबित कर दिया। 

एसएसपी डॉ.गौरव ग्रोवर का कहना है कि मामले में दो पुलिस वालों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। एसपी सिटी की रिपोर्ट के आधार पर दोनों को निलंबित कर विभागीय जांच का आदेश दिया गया है।

आंखें मूंदने का प्रति मरीज पाते थे हजार रुपये

पकड़े गए आरोपितों से पूछताछ में पूरा काला चिट्ठा खुल रहा है। एक मरीज को मेडिकल कॉलेज से निकालने के बदले पुलिस वालों को एक हजार रुपये मिलते थे। ये पुलिस वाले एंबुलेंस को आते-जाते आंख मूंद लेते थे। तिमारदारों की शिकायतों को ये दरकिनार करते थे।

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