Gorakhpur: मेजर बेटे की पिता की पुण्यतिथि पर अनूठी श्रद्धांजलि, पांच टीबी मरीजों को लिया गोद
Gorakhpur News: सेना के सेवानिवृत्त सूबेदार मेजर अरूण कुमार सिंह ने अपने पिता की पुण्यतिथि पर पांच टीबी मरीजों को गोद लेकर नजीर पेश की है।
Gorakhpur News: सेना के सेवानिवृत्त सूबेदार मेजर अरूण कुमार सिंह ने अपने पिता की पुण्यतिथि पर पांच टीबी मरीजों को गोद लेकर नजीर पेश की है। जिला क्षय रोग केंद्र में मंगलवार (09 जनवरी) को टीबी मरीजों को गोद लेने के बाद उन्होंने संकल्प लिया कि, वह इलाज चलने तक उनका साथ देंगे। हर माह पोषक सामग्री देंगे और समय समय पर हालचाल लेकर उन्हें मानसिक संबल भी प्रदान करेंगे।
ऐसे आया टीबी मरीजों को गोद लेने का विचार
निक्षय मित्र के तौर पर तीन ड्रग रेसिस्टेंट टीबी मरीजों और दो ड्रग सेंसिटिव टीबी मरीजों को गोद लेने वाले अरूण कुमार सिंह ने बताया कि, 'उनके पिता स्व राम नगीना सिंह की मृत्यु वर्ष 1986 में हुई थी। उनके पिता पेशे से अध्यापक थे। सेना से रिटायर होने के बाद करीब सात वर्षों तक उन्होंने खुद भी टीबी एचआईवी कोऑर्डिनेटर के तौर पर स्वास्थ्य विभाग से जुड़ाव रखा। इस दौरान उन्होंने टीबी मरीजों की दिक्कतों को काफी करीब से देखा है। बीमारी से पीड़ित कई ऐसे मरीज भी उनके सामने आए जिनके पास सामान्य खानपान के पैसे नहीं रहते थे। पहले भी उन्होंने ऐसे मरीजों की मदद की थी। चार मरीजों को गोद लेकर स्वस्थ होने में मदद भी कर चुके हैं। टीबी मरीजों के एडॉप्शन के प्रचार प्रसार से प्रेरित होकर उन्होंने तय किया कि इस बार पिता की पुण्यतिथि टीबी मरीजों को गोद लेकर मनाएंगे।
इन लोगों को लिया गोद
सेवानिवृत्ति सूबेदार ने जिन पांच मरीजों को गोद लिया है उनमें से चार मरीज 32 से 54 वर्ष आयु वर्ग की महिलाएं और एक 24 वर्षीय युवक है। युवक सुमित (काल्पनिक नाम) ने बताया कि, साल भर पहले खांसी की दिक्कत होने पर करीब तीन महीने तक मेडिकल स्टोर से दवा लेकर खाया। जब ठीक नहीं हुआ तो डॉक्टर को दिखाया और डॉक्टर ने जांच में ड्रग रेसिस्टेंट (डीआर) टीबी पाया। इसके बाद उसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज भेज दिया और वहां से आगे की दवाओं के लिए उसे जिला क्षय रोग केंद्र भेजा गया। जब से इलाज शुरू हुआ है खांसी बंद हो गयी और सुबह शाम का बुखार भी नहीं आ रहा है।
'दवा 18 माह के पहले बंद नहीं करनी है'
चिकित्सक ने बताया कि, 'दवा 18 माह के पहले बंद नहीं करनी है। सुमित का कहना है कि उसे एडॉप्ट करते समय बताया गया है कि हर माह पौष्टिक आहार में सहयोग मिलेगा। किसी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होने पर निक्षय मित्र उसका सहयोग करेंगे। उसका मानना है कि इससे जल्दी ठीक होने में काफी मदद मिलेगी।'
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, जिला कार्यक्रम समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्रा, मिर्जा आफताब बेग, एसटीएस गोबिंद और मयंक आदि प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।
1024 निक्षय मित्रों ने 3046 मरीजों को किया है एडॉप्ट
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ.गणेश यादव ने बताया कि जिले में 3046 मरीजों को अडॉप्ट कर अरूण कुमार सिंह जैसे 1024 निक्षय मित्र उनके साथ खड़े हैं। उन्होंने जनपद वासियों से अपील की कि वह भी जन्मदिन, पुण्यतिथि और वैवाहिक वर्षगांठ जैसे जीवन के महत्वपूर्ण अवसरों पर अपनी क्षमता के अनुसार टीबी मरीज गोद लें और उनकी स्वेच्छा से मदद करें। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि टीबी मरीजों को गोद लेने से आशय उन्हें पोषण में सहायता और उनको मानसिक तौर पर मजबूत बनाये रखने में मदद करना है। टीबी मरीज कई बार बीच में दवा छोड़ देते हैं जिससे ड्रग रेसिस्टेंट टीबी होने की आशंका बढ़ जाती है और इसका इलाज जटिल है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति लगातार टीबी मरीज के संपर्क में रहे और हालचाल लेते रहे तो मरीज का मनोबल बढ़ा रहता है और उसकी दवा बीच में बंद नहीं हो पाती है।
टीबी मरीजों के लिए पौष्टिक आहार जरूरी
टीबी मरीज को पौष्टिक खानपान जैसे फल, हरी सब्जियां, मीट, पनीर, दूध आदि के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये प्रति माह सरकार इलाज चलने तक दे रही है। इन मरीजों को गोद लेने वाले व्यक्ति (निक्षय मित्र) से जब हर माह पोषण पोटली मिलती है तो मरीज की आहार विविधता और भी बढ़ जाती है और पौष्टिक खानपान से उसे जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। पोषण पोटली में फल, मूंगफली, गजक, गुड़ और चना आदि देना होता है ।
गोरखपुर में टीबी की स्थिति
कुल नोटिफिकेशन-- 15936
उपचाराधीन डीआर टीबी मरीज-- 363
उपचाराधीन डीएस टीबी मरीज-- 9726