Vinod Upadhyay Encounter: माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला का पूर्वांचल में विकल्प बनना चाहता था विनोद, थप्पड़ खाने पर कर दी थी हत्या

Vinod Upadhyay Encounter: शहर के धर्मशाला बाजार क्षेत्र में रहने वाले विनोद उपाध्याय की धमक श्रीप्रकाश शुक्ल की हत्या के बाद से दिखने लगी थी लेकिन वह पुलिस की नजरों में वर्ष 2004 में आया।

Update: 2024-01-05 04:21 GMT

Vinod upadhyay Gorakhpur mafia   (photo: social media )

Vinod Upadhyay Encounter: सुल्तानपुर में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया गोरखपुर का माफिया और एक लाख का इनामी विनोद उपाध्याय माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला का विकल्प बनना चाहता था। हालांकि उसने राजनीतिक सरंक्षण लेने की कोशिश की लेकिन वह अमरमणि त्रिपाठी और हरिशंकर तिवारी की तरह कामयाब नहीं हो सका। एक थप्पड़ के बाद हत्या करने के मामले से सुर्खियों में आए विनोद उपाध्याय पर जिस तरह पुलिस लगातार मुकदमें और इनाम की रकम में बढ़ोतरी कर रही थी, उसे देखते हुए उसके एनकांउटर का कयास लगाया जा रहा था।

वैसे तो शहर के धर्मशाला बाजार क्षेत्र में रहने वाले विनोद उपाध्याय की धमक श्रीप्रकाश शुक्ल की हत्या के बाद से दिखने लगी थी लेकिन वह पुलिस की नजरों में वर्ष 2004 में आया। तब उसे गोरखपुर जेल में बंद रहने के दौरान नेपाल के अपराधी जीत नारायण मिश्र ने विनोद को एक थप्पड़ मारा था। जिसके बाद 7 अगस्त 2005 को संतकबीर नगर में विनोद ने जीत नारायण की हत्या कर थप्पड़ का बदला लिया था। इस घटनाक्रम में जीत नारायण का बहनोई गोरेलाल भी मारा गया था। इसके अलावा गोरखपुर में हिंदू युवा वाहिनी के नेता सुशील सिंह को अगवा कर पीटने का भी आरोप विनोद पर था। जिसे लेकर बतौर सांसद रहते हुए योगी आदित्यनाथ ने पुलिस प्रशासन पर गम्भीर आरोप भी लगाए थे। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, गोरखनाथ थाने के हिस्ट्रीशीटर विनोद उपाध्याय ने वर्ष 1999 में धमकी और मारपीट के मामले से अपराध की दुनिया में कदम रखा था। विनोद पीडब्ल्यूडी के गैंगवार के बाद भी चर्चा में थे। माफिया अजीत शाही और विनोद गुट में हुए गैंगवार में तीन की जान गई थी। विनोद का रसूख ऐसा था कि उसने गोरखपुर जेल में सुविधा नहीं मिलने पर जेलर पर हमला करवा दिया था।

लगातार बढ़ रहा था इनाम

विनोद उपाध्याय 2022 की शुरूआत में 25 हजार रुपये का इनामी था। लेकिन साल भर में उसपर इनाम को बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया गया था। वह प्रदेश के टॉप 61 माफियाओं में शुमार था। जिसमें विनोद के चार साथी भी है। पिछले एक साल में विनोद पर जालसाजी और रंगदारी के गुलरिहा, शाहपुर, रामगढ़ताल थाने में आठ केस दर्ज हुए है। गैंगेस्टर में कोर्ट से एनबीडब्लू पर पुलिस को विनोद की तलाश भी थी। पिछले दिनों गोरखपुर विकास प्राधिकरण की तरफ से विनोद के अवैध निर्माण पर बुलडोजर भी चला था।

जमीन कब्जा और रंगदारी का मुख्य धंधा

विनोद का मुख्य धंधा रंगदारी और विवादित जमीनों पर कब्जा करने का था। योगी सरकार के आने के बाद उसपर शिकंजा कसना शुरू कर दिया गया। खोआ मंडी गली में एक जमीन को लेकर योगी ने पुलिस को जमकर फटकार भी लगाई थी। चंद मिनटों में भी विनोद के कब्जे से जमीन को मुक्त किया गया था। योगी सरकार में विनोद पर लगातार केस दर्ज हो रहे थे, लेकिन वह सरेंडर करने को तैयार नहीं था। योगी के सत्ता में आने पर विनोद ने जमानत निरस्त कराकर सरेंडर किया था, लेकिन चंद दिनों बाद भी जेल से निकल कर पुलिस के टॉरगेट में आया गया।

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