World Asthma Day: बढ़ते स्क्रीन टाइम से गायब हो रही बच्चों की नींद, कम उम्र में फूल रही सांस

World Asthma Day: बीआरडी मेडिकल कॉलेज के टीबी-चेस्ट के विभागाध्यक्ष डॉ. अश्वनी मिश्रा का कहना है कि कोरोना काल के दौरान से बच्चों में मोबाइल और टीवी देखने का समय काफी बढ़ गया है।

Update: 2024-05-07 06:36 GMT

बढ़ते स्क्रीन टाइम से गायब हो रही बच्चों की नींद (सोषल मीडिया)

World Asthma Day: समय के साथ-साथ बच्चों के लिए खिलौना, जानकारी का खजाना, गेम खेलने वाला खिलौना मोबाइल ही बना हुआ है। ऐसे में मासूमों का बड़ा समय मोबाइल के साथ ही गुजर रहा है। कोरोना में स्कूलों की ऑनलाइन पढ़ाई ने बच्चों के हाथ मोबाइल को मजबूरी भी बना दिया। लेकिन इन सबके बीच मासूमों के आंखों से नींद छिन रही है। मोबाइल पर बढ़ रहा स्क्रीन टाइम उन्हें अस्थमा यानी सांस फूलने की बीमारी की जद में ला रहा है।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के टीबी-चेस्ट के विभागाध्यक्ष डॉ. अश्वनी मिश्रा का कहना है कि कोरोना काल के दौरान से बच्चों में मोबाइल और टीवी देखने का समय काफी बढ़ गया है। स्क्रीन टाइम बढ़ने का नतीजा है कि उनकी नींद पूरी नहीं हो रही है। बढ़े हुए स्क्रीन टाइम और अधूरी नींद अस्थमा को ट्रिगर कर रही है। बच्चों के स्क्रीन टाइम को घटना होगा। चेस्ट फिजीशियन डॉ. सूरज जायसवाल ने बताया कि बच्चों में अस्थमा हो जाएं तो अभिभावक घबराएं नहीं। यह बीमारी सही इलाज से ठीक हो सकती है। खास तौर पर एलर्जी से होने वाली अस्थमा को तो बिल्कुल ठीक किया जा सकता है। बच्चों में होने वाली अस्थमा में 60 फीसदी में एलर्जी ही वजह होती है। समय से मर्ज की पहचान व इलाज से यह ठीक हो सकता है।

अस्थमा में दवा लेने का आया नया प्रोटोकाल

डॉ. अश्वनी मिश्रा ने बताया कि अस्थमा के इलाज में नए ट्रेंड सामने आ रहे हैं। सबसे खास बात है कि अब अस्थमा के नियंत्रित होने पर दवा बंद नहीं करनी है। नए प्रोटोकॉल के तहत अब दवा की नियंत्रित मात्रा रोजाना देनी है। दवा इन्हेलर के जरिए दी जानी है। चेस्ट फिजीशियन डॉ शार्दुलम श्रीवास्तव ने बताया कि देश में अस्थमा का प्रसार लगभग तीन प्रतिशत है। अस्थमा ट्रिगर करने वाले कारक में एलर्जी, पराग, धूल, कण, धुआं, ठंडी हवा और तनाव शामिल हैं। डॉक्टर से नियमित जांच, इन्हेलर का सही ढंग से उपयोग कर अस्थमा पर नियंत्रण पा सकते हैं। धूल, धुंआ, धूम्रपान, प्रदूषण और सर्दी जुकाम अस्थमा रोगियों की मुश्किलें बढ़ा देते हैं। मरीज को इन स्थितियों से बचा कर रखना चाहिए। सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि अस्थमा एक अनुवांशिक बीमारी भी है। इसमें रोगीं की श्वसन नलिकाएं अति संवेदनशील व सख्त हो जाती हैं। उनमें सूजन भी आ जाता है जिससे सांस लेने में कठिनाई आती है ।

कॉकरोच और खटमल भी कर रहा बीमार

चेस्ट फिजिशियन डॉ नदीम अरशद व डॉ आमिर नदीम ने बताया कि घरों में पाए जाने वाले कॉकरोच और खटमल भी अस्थमा का कारक है। वे नमी व अंधेरे स्थानों में पाए जाते हैं। उनके कारण सांस की नली में इंफेक्शन होता है।

Tags:    

Similar News