Yashasvi Jaiswal: कोरोना की बंदिशों में यशस्वी ने गोरखपुर में की थी लंबे शॉट मारने की प्रेक्टिस, मारे थे 400 से अधिक छक्के

Yashasvi Jaiswal: यशस्वी के कोच ज्वाला सिंह गोरखपुर के ही रहने वाले हैं। राजस्थान रॉयल्स की टीम से आईपीएल में ओपनिंग के दौरान यशस्वी शार्ट गेंदों पर कई बार आऊट हुए। इसी बीच कोरोना के चलते बंदिशें लागू हो गईं। मुंबई में प्रेक्टिस पर रोक लगी तो वह कोच ज्वाला सिंह के साथ गोरखपुर आ गए।

Update: 2024-02-05 02:33 GMT

नवम्बर 2020 में क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल ने गोरखपुर के क्रिकेट ग्राउंड में की थी प्रेक्टिस (Newstrack)

Yashasvi Jaiswal: सफलता के शिखर पर पहुंच कर जब कोई कहता है कि सफलता शार्ट कट से नहीं मिलनी या फिर संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता तो हम इसे सहजता से स्वीकार नहीं करते। हमें लगता है कि सफलता पाकर व्यक्ति जबरदस्ती का ज्ञान दे रहा है। लेकिन हकीकत यही है कि सफलता शार्ट कट से नहीं मिलती। भारतीय क्रिकेट टीम के उभरते ओपनर खिलाड़ी यशस्वी जायसवाल के बारे यह तो सभी जानते हैं कि भदोही से निकलकर मुंबई पहुंचने के बाद वह टेंट में रहे। गोलगप्पे बेचे। लेकिन उनके संघर्ष की कहानी गोरखपुर से भी जुड़ती है। वर्ष 2020 में कोरोना की गाइडलाइन के बाद मुंबई समेत कई बड़े शहरों में ग्राउंड प्रेक्टिस पर रोक लग गई तो वह अपने कोच के साथ गोरखपुर आ गए थे। जहां पूर्वोत्तर रेलवे के क्रिकेट ग्राउंड में करीब 25 दिनों तक प्रेक्टिस की। इस दौरान उन्होंने 400 से अधिक मर्तवा गेंद को मैदान के बाहर मारा।

यशस्वी के कोच ज्वाला सिंह गोरखपुर के ही रहने वाले हैं। राजस्थान रॉयल्स की टीम से आईपीएल में ओपनिंग के दौरान यशस्वी शार्ट गेंदों पर कई बार आऊट हुए। इसी बीच कोरोना के चलते बंदिशें लागू हो गईं। मुंबई में प्रेक्टिस पर रोक लगी तो वह कोच ज्वाला सिंह के साथ गोरखपुर आ गए। नवम्बर 2020 में यशस्वी ने गोरखपुर के स्थानीय क्रिकेट खिलाड़ियों के साथ करीब 25 दिन तक ग्राउंड में पसीना बहाया। उनके कोच ज्वाला सिंह बताते हैं कि यशस्वी ने 25 दिनों में शार्ट गेंदों पर जमकर प्रेक्टिस की। सीमेंट की पिच पर प्लास्टिक की हार्ड गेंद से छक्के लगाने की प्रेक्टिस की। इसके साथ ही लेदर बाल से भी खूब प्रेक्टिस की। इस दौरान उसने लंबे शॉट की खूब प्रेक्टिस की। वह रोज 50 से अधिक छक्के मारता था। कई गेंद गायब भी हुई। यशस्वी के कोच ज्वाला का कहना है कि ‘कोरोना के चलते मुंबई में आउटडोर प्रेक्टिस पर रोक लग गई थी। गोरखपुर का रेलवे क्रिकेट ग्राउंड इंटरनेशनल स्तर का है। वहां अच्छी प्रेक्टिस हुई। जिसका लाभ पूरा देश देख रहा है। गोरखपुर में नवोदित खिलाड़ियों को कोचिंग देने वाले कल्याण सिंह का कहना है कि यशस्वी जिस प्रकार लंबे शॉट खेल रहा था तभी साफ दिखा था कि वह सामान्य खिलाड़ी नहीं है। बस मौके की जरूरत है।


सेंट एंड्रयूज कालेज के ग्राउंड पर भी यशस्वी ने की थी प्रेक्टिस

सितम्बर 2020 में भी यशस्वी प्रैक्टिस के लिए कोच के साथ गोरखपुर पहुंचे थे। विश्वकप की तैयारियों में जुटे यशस्वी मुंबई में लगातार बारिश के चलते प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे थे। शहर के सेंट एंड्रयूज कालेज के ग्राउंड यशस्वी ने सात दिनों तक प्रेक्टिस की थी। तीन दिनों तक वह लंबे शॉट की प्रैक्टिस करता रहा। इस दौरान दर्जनों छक्के मारे। कोरोना से मुंबई में प्रैक्टिस रुकने के चलते वे गोरखपुर में प्रेक्टिस कर रहे हैं। जब तक मुंबई में आउटडोर प्रेक्टिस की अनुमति नहीं मिल जाती, तब तक वह गोरखपुर में ही प्रेक्टिस करेंगे।


गोरखपुर के रहने वाले हैं यशस्वी के कोच ज्वाला सिंह

दरअसल, भदोही जिले के रहने वाले यशस्वी को गोरखपुर के कौड़ीराम के रहने वाले ज्वाला सिंह ने संवारा है। ज्वाला मुंबई में क्रिकेट एकेडमी चलाते हैं। वह शुरूआती दिनों से कोच ज्वाला सिंह की देखरेख में क्रिकेट की बारीकियों को सीख रहे हैं। यशस्वी जायसवाल को मुंबई के आजाद नगर मैदान के टेंट से उठाकर क्रिकेट की बुलंदियों को पहुंचाने वाले ज्वाला ही है। गोरखपुर जिले के हाटा के पास मझगांवा निवासी ज्वाला सिंह पिछले आठ साल से यशस्वी को अपनी एकेडमी में क्रिकेट की बारीकियां सिखा रहे हैं। यूपी के भदोही के रहने वाले यशस्वी आठ साल पहले मुंबई के आजाद मैदान में टेंट में रहते थे। तब वह प्रेक्टिस के साथ रोजी-रोटी के लिए गोलगप्पे बेचा करते थे।

Tags:    

Similar News