Gorakhpur News: क्रेडिट कार्ड के जाल में फंसकर कर्जदार बन रही युवा पीढ़ी, अवैध धंधे का विज्ञापन भी शुरू
Gorakhpur News: अब तमाम ऐसे धंधेबाज सामने आ गए हैं जो 2% कमीशन लेकर तत्काल नकद दे रहे हैं। इस खेल में लोग एक दो नहीं, सात से आठ बैंकों के क्रेडिट कार्ड ले चुके हैं।
Gorakhpur News: क्रेडिट कार्ड वैसे तो जरूरी शापिंग के लिए बैंकों द्वारा जारी किया जाता है। सावधानी पूर्वक इसका इस्तेमाल किया जाए तो कहीं दिक्कत नहीं है। लेकिन वर्तमान में युवाओं के लेकर अधेड़ तक इसका बेजा इस्तेमाल शौक के लिए कर रहा है। कोई क्रेडिट कार्ड से शराब खरीद रहा है तो ईएमआई पर महंगी गाड़ियां। मुश्किल यह है कि अब तमाम ऐसे धंधेबाज सामने आ गए हैं जो 2% कमीशन लेकर तत्काल नकद दे रहे हैं। इस खेल में लोग एक दो नहीं, सात से आठ बैंकों के क्रेडिट कार्ड ले चुके हैं। गाजियाबाद से गोरखपुर तक क्रेडिट कार्ड के जाल में फंसकर युवा पीढ़ी कर्जदार बन रही है।
गोरखपुर के बुद्ध बिहार निवासी अतुल वर्मा बतातें है कि पिता पिछले दिनों एक अस्पताल में भर्ती थे। डिस्चार्ज के समय क्रेडिट कार्ड से भुगतान देना चाहा तो अस्पताल के एकाउंटेंट ने नकद में भुगतान की बात कही। नकदी के इंतजाम में निकले तभी उन्हें एक ऑटो पर क्रेडिट कार्ड से 2% कमीशन पर नकद भुगतान का विज्ञापन दिखा। फोन करने के चंद मिनट बाद एक लड़का बाइक से आया। ई-पास मशीन से 50 हजार भुगतान के लिए कार्ड स्वैप किया। कमीशन काटकर तत्काल उन्हें 49 हजार रुपये नकद भुगतान कर दिया गया। अतुल का काम भले ही जरूरी था, लेकिन इस धंधे में लोग शौक में फंस रहे हैं। अब तो मॉडल शाप और शराब की दुकानों के बाहर कुछ लोग खड़े होते हैं जो कार्ड स्वैप कर दो से तीन फीसदी कमीशन पर नकद दे रहे हैं। इस खेल में बिचौलिए बिना श्रम के 1000 रुपये कमा ले रहे हैं। अभी तक पेट्रोल पंप संचालकों से लेकर कुछ दुकानदारों द्वारा कमीशन लेकर लोगों को नकद मुहैया कराया जाता रहा है, लेकिन अब इस धंधे को संगठित रूप दिया जाने लगा है। गोरखपुर में चलने वाले ऑटो रिक्शा के पीछे क्रेडिट कार्ड पर 2% कमीशन पर नकदी की सुविधा को लेकर विज्ञापन दिखने लगे हैं। ऐसे ही एक नंबर पर नकदी की जरूरत को लेकर फोन करने पर बिचौलिये ने पूछा, किस बैंक का क्रेडिट कार्ड है? एचडीएफसी का बताने पर जवाब मिला, वहां चार्ज अधिक है। 2.5% कमीशन लगेगा। नकद चाहिए तो मोहद्दीपुर के पास आ जाईए।
जहां कैश का अधिक फ्लो है, वहां पनप रहा धंधा
क्रेडिट कार्ड स्वैप कर नकद के बदले कमीशन का धंधा उन्हीं फर्मों पर अधिक है, जहां कैश का फ्लो अधिक है। इस खेल में पेट्रोल पंप संचालक से लेकर विभिन्न ट्रेड के थोक कारोबारी शामिल हैं। पेट्रोप पंपों पर 70 से 80 फीसदी कारोबार नकदी में होता है। ऐसे में कई संचालक इसे धंधा बना लिया है। हालांकि पेट्रोल पंप से क्रेडिट कार्ड द्वारा नकद लेने पर ग्राहक को दोहरा चोट लगता है। बैंक भी कार्ड से पेट्रोप-डीजल की खरीद पर सरचार्ज लेता है। दूसरी तरफ पंप संचालक भी 2.5% तक कमीशन लेता है। तत्काल जरूरत पूरी करने को लेकर लोग आर्थिक चोट को बर्दाश्त करते हैं। शराब की दुकानों पर भी यह धंधा खूब चल रहा है। शराब के दुकान पर जारी ई-पास मशीन से नकद के साथ शराब का भी भुगतान हो जाता है। कमीशन के धंधे में शामिल किराना कारोबारी की दलील देते हैं कि साहबगंज हो या महेवा मंडी वहां नकद में ही कारोबार होता है। ऐसे में क्रेडिट कार्ड वाला कोई ग्राहक मिला तो नकद के साथ कुछ कमीशन भी मिल जाता है। कारोबारी समीर राय बताते हैं कि ‘एक ऑटो चलाने वाले के पास 7 बैंकों का क्रेडिट कार्ड है। एक का दूसरे से दूसरे का तीसरे से भुगतान करता है। इसतरह वह लाखों के कर्ज में फंस गया है।’ चैंबर ऑॅफ कामर्स के अध्यक्ष संजय सिंघानिया का कहना है कि ‘कई रिटेल काउंटर ऐसे हैं, जहां नकदी में कारोबार होता हैं। ऐसे लोग यह धंधा करने में संलिप्त हैं।’
क्रेडिट कार्ड के लाभ हैं तो नुकसान भी
नौकरी पेशा लोगों के पास कई बार नकदी की समस्या होती है। ऐसे में क्रेडिट कार्ड से भुगतान से तत्काल राहत मिल जाती है। 45 दिन तक बिल अदा करने का समय भी मिल जाता है। इतना ही नहीं क्रेडिट कार्ड पर कई इलेक्ट्रानिक कंपनियां और रिटेल चेन वाले कैशबैक का भी ऑफर देते हैं। इसके साथ ही महंगे घरेलू उत्पाद ईएमआई पर मिल जाते हैं। क्रेडिट कार्ड का सावधानी पूवर्क इस्तेमाल नहीं करने वाले आमदनी से अधिक खर्च कर देते हैं। इसके बाद बिल अदा करने के लिए कर्ज के जाल में फंस जाते हैं। तमाम ऐसे लोग हैं जो तीन से चार बैंकों का क्रेडिट कार्ड लिये हुए हैं। एक क्रेडिट कार्ड से दूसरे का पेमेंट करते हैं। ऐसे में कुछ ही महीनों में वह लाखों का कर्जदार बन जाते हैं।
सिबिल स्कोर बनाने और बिगाड़ने में क्रेडिट कार्ड अहम
बैंकों से ऋण लेने में सिबिल स्कोर का अहम रोल होता है। क्रेडिट कार्ड का भुगतान समय से हो तो सिबिल स्कोर अच्छा होता है। एक भी किस्त डिफाल्ट होने से सिबिल स्कोर तेजी से कम होता है। यूनियन बैंक के रीजनल मैनेजर मनीष सिंह बताते हैं कि ‘ऋण का आवेदन करने वाले जिन लोगों की फाइल फंसती है, उनमें से ज्यादेतर क्रेडिट कार्ड के भुगतान में डिफाल्ट होते हैं। समय से बिल अदा करने वालों का सिबिल काफी अच्छा भी होता है।’ लीड बैंक मैनेजर मनोज कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि बैंकों द्वारा क्रेडिट कार्ड ग्राहकों को शापिंग और रोजमर्रा की जरूरत के सामान की खरीद के लिए दिया जाता हैं। किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा कमीशन लेकर नकद देना लीगल टेंडर नहीं है। ऐसी सूचना मिलती है तो जरूर कार्रवाई होगी।
क्रेडिट कार्ड लेने से पहले यह तथ्य भी जान लें
3.5%ब्याज प्रतिमाह लगता है पेमेंट डिफाल्ट होने पर। एक व्यक्ति एक बैंक का क्रेडिट कार्ड और रुपे कार्ड रख सकता है। 10 हजार से लेकर 25 लाख रुपये तक होती है एक क्रेडिट कार्ड की लिमिट। क्रेडिट कार्ड पर 45 दिन तक नहीं देना होता है ब्याज। 3.5% ब्याज प्रतिमाह नियत तिथि पर कार्ड बिल का भुगतान नहीं होने पर देना होता है। क्रेडिट कार्ड से एटीएम से तय लिमिट तक कैश निकाल सकते हैं। लेकिन इसके लिए 500 रुपये तत्काल चार्ज देना होता है। इसके बाद 3.5 फीसदी ब्याज प्रतिमाह के दर से देना होता है।