सरकार मुश्किल में: 1984 दंगा पीड़ितों को मुआवजा न देने पर, अवमानना नोटिस जारी
मार्च 1996 में राष्ट्रपति शासन के दौरान तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल बोरा ने दंगा पीड़ितों का प्रतिशत कर रहे याची से समझौता किया था। इस समझौते के तहत पीड़ितों को एक लाख रूपये से अधिक की क्षति पर एक लाख तथा एक लाख से कम की क्षति पर पचास हजार रुपये देने का समझौता हुआ था।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद 1984 के दंगा पीड़ितों को उचित मुआवजा न देने पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह, अवनीश कुमार अवस्थी को अवमानना नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति एम.सी. त्रिपाठी ने श्री गुरु सिंह सभा कानपुर के चेयरमैन व पूर्व एमएलसी सरदार कुलदीप सिंह की तरफ से दाखिल अवमानना याचिका पर दिया है।
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याचिका में कहा गया है कि मार्च 1996 में राष्ट्रपति शासन के दौरान तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल बोरा ने दंगा पीड़ितों का प्रतिशत कर रहे याची से समझौता किया था। इस समझौते के तहत पीड़ितों को एक लाख रूपये से अधिक की क्षति पर एक लाख तथा एक लाख से कम की क्षति पर पचास हजार रुपये देने का समझौता हुआ था।
यह व्यवस्था आवासीय व व्यावसायिक दोनों प्रकार के क्षति पर लागू थीं। जनवरी 16 में मनमोहन सिंह सरकार ने इस क्षतिपूर्ति धनराशि को दस गुना कर दिया था।
लेकिन प्रदेश सरकार ने दोनों आदेश का पालन नहीं किया। याची ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की। इस पर सरकार ने दंगा पीड़ितों को नया पैकेज लाने का आश्वासन दिया था।
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सरकार के इस आश्वासन पर हाईकोर्ट के दो जजों की खंडपीठ ने 18 दिसम्बर 17 को आदेश पारित कर सरकार को नये पैकेज के लिए 18 जनवरी 2018 तक का समय दिया था। समय सीमा बीत जाने के बाद भी हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने पर यह अवमानना याचिका दायर की गयी।