'कुंभ अध्ययन केंद्र' परंपराओ व विरासत को समझने की एक नई दृष्टि देगा: राज्यपाल

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन से गोविन्द वल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान तथा उ.प्र. प्रयागराज मेला प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में स्थापित 'कुम्भ अध्ययन केन्द्र' का आनलाइन उद्घाटन करते हुए कहा

Update: 2020-12-15 11:06 GMT
'कुंभ अध्ययन केंद्र' परंपराओ व विरासत को समझने की एक नई दृष्टि देगा: राज्यपाल (PC: social media)

लखनऊः राज्यपाल ने कहा कि 'कुम्भ अध्ययन केन्द्र' केन्द्र व राज्य सरकार के नीति नियोजकों के लिए एक डाटाबेस का कार्य करेगा, जो कुम्भ मेले में आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए बेहतर संयोजन होगा। उन्होंने कहा कि यह केन्द्र प्रयागराज के कुम्भ क्षेत्र और इसके आस-पास के क्षेत्र में स्थित छोटे-छोटे तीर्थों के डाक्यूमेंटेशन का कार्य भी करेगा। इससे देश और विदेश से आने वाले पर्यटक प्रयागराज के सांस्कृतिक स्वरूप को और बेहतर तरीके से जान सकेंगे। उन्होंने कहा कि कुम्भ मेले को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी है।

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राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन से गोविन्द वल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान तथा उ.प्र. प्रयागराज मेला प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में स्थापित 'कुम्भ अध्ययन केन्द्र' का आनलाइन उद्घाटन करते हुए कहा कि कुम्भ जैसे महत्वपूर्ण आयोजन के लिए अभी तक देश में कोई शोध केन्द्र नहीं था। यह केन्द्र कुम्भ मेले से सम्बद्ध शोध, अभिलेखीकरण एवं ज्ञान-विमर्श पर आधारित होगा। उन्होंने कहा कि संस्थान की उच्च स्तरीय फैकल्टी एवं उनका शोध अनुभव जनसामान्य को कुम्भ की परम्पराओं व विरासत को समझने की एक नई दृष्टि देगा।

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आप अपने को ज्ञान के केन्द्र के रूप में विकसित करें

राज्यपाल ने अपील की कि आप अपने को ज्ञान के केन्द्र के रूप में विकसित करें, ताकि कुम्भ अध्ययन केन्द्र सामाजिक एवं अध्यामिकता का केन्द्र बन सके और हम सब मिलकर भारत को शोध एवं शिक्षा के क्षेत्र में पूरी दुनिया में शीर्ष पर ले जा सकें। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए सामाजिक शोधों की बहुत जरूरत है। स्थानीय ज्ञान एवं उत्पादों पर शोध एवं भारतीय समाज में संचित जन-ज्ञानकोषों को हमें अपने शोधों से तलाशाना होगा।

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आनंदीबेन पटेल ने कहा कि प्रयागराज प्राचीन काल से ही देश का आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र रहा है। यहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होने का साथ-साथ आस्था और तपस्या का अनूठा संगम है। उन्होंने कहा कि कुम्भ मेला पूरी दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है। इसका मूल स्रोत वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से जुड़ा है, जो पूरे विश्व के लिये प्रेरणादायी है। राज्यपाल ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों से कुम्भ मेले को यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल किया गया। इस अवसर संस्थान के निदेशक प्रो बद्री नारायण एवं संस्थान के सभी संकायों के सदस्यगण आनलाइन जुड़े हुए थे।

रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री

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