Happy Mother's Day: कर्तव्य व दायित्व की परिभाषा हैं कॉन्स्टेबल वंदना मौर्या, 12वीं में तय किया था- 'पहनूंगी वर्दी'
Happy Mother's Day: आज एक ऐसी ही माँ की सच्ची कहानी Newstrack. com आपके लिये लेकर आया है। ये वंदना मौर्या हैं।
Happy Mother's Day: माँ; एक ऐसा शब्द जो लिखने में भले ही छोटा हो लेकिन उसकी महानता में पूरा ब्रम्हाण्ड समा जाता है। एक माँ ही तो होती है जो हमारे जज़्बातों और एहसासों को हमसे बेहतर समझती है। माँ हमारी ज़िंदगी में उस छाया की तरह होती है जो हम पर पड़ने वाली धूप को अपने ऊपर ले लेती हैं। आज एक ऐसी ही माँ की सच्ची कहानी Newstrack. com आपके लिये लेकर आया है।
ये वंदना मौर्या (Vandana Maurya) हैं, जोकि लखनऊ (Lucknow News) कमिश्नरेट के हज़रतगंज कोतवाली के अंतर्गत कांस्टेबल पद पर तैनात हैं। हज़रतगंज इलाक़े में जब राहगीर वंदना को सड़क पर अपने अपनी बच्ची को गोद में लेकर ऐसे काम करते देखते हैं, तो उनकी आँखें सम्मान और करुणा से भर जाती हैं।
तो वहीं कई लोगों के लिए ऐसा दृश्य आश्चर्य कर देना वाला होता है। वंदना मौर्या (constable Vandana Maurya) दायित्व और कर्तव्य के बीच का सामंजस्य का जीता जागता उदाहरण है।
डायरी में लिखा था- 'पहनूंगी वर्दी'
हज़रतगंज थाने में तैनात वंदना मौर्या(constable Vandana Maurya) ने बताया कि उनके लिये वर्दी ही जान है। वंदना ने कहा कि "मैं जब इंटर में पढ़ती थी, तब ही मैंने सोच लिया था कि मुझे वर्दी पहनकर नौकरी करनी है। क्योंकि, मेरे भैया नेवी में थे। इसलिए, मुझे उनकी वर्दी देखकर गर्व महसूस होता था।
उस वक़्त नेवी में महिलाओं को लिया नहीं जाता था। इस वजह से मैंने 2011 में पुलिस भर्ती निकली, तो उसमें आवदेन किया। और, मैं चयनित हुई। वो लम्हा मेरे लिए ज़िंदगी का काफी न भूलने वाला क्षण था।"
पति कर रहा टीजीटी-पीजीटी की तैयार
वंदना के मुताबिक, पति देवराज मौर्या उनकी बहुत मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि "ड्यूटी ख़त्म करने के बाद, जब मैं साढ़े आठ बजे तक घर पहुंचती हूँ, तो पति किचन का कुछ बहुत काम निपटाए रहते हैं। जिससे कि मुझे आसानी होती है।
बाक़ी, बड़ी बेटी देवांशी को स्कूल के लिये तैयार करना। लौटने के बाद उसे खाना खिलाना। स्कूल के लिए तैयार करना। उसका होमवर्क करवाना। ये सारी ज़िम्मेदारी पति ख़ुद ही निभाते हैं। वंदना ने बताया कि उनके पति टीईटी पास हैं। जो कि भर्तियां निकलने का इंतज़ार कर रहें।