Hardoi News: मवेशियों को संरक्षित करने के दावे हवा हवाई, सड़कों पर घूम रहे अन्ना जानवर
Hardoi News: जिला प्रशासन की ओर से आवारा पशुओं को संरक्षित करने के दावे की पोल जब खुल रही है जब अब भी किसान रात-रात भर जाग कर अपने खेत की रखवाली कर रहे हैं।;
Hardoi News: लोकसभा चुनाव से पहले सरकार द्वारा किसानों को राहत देने के लिए खेतों और सड़कों पर घूम रहे आवारा मवेशियों को पकड़ने के निर्देश जिम्मेदारों को दिए थे। शासन की ओर से अधिकारियों को निर्देशित करते हुए 15 फरवरी तक की समय सीमा तय की थी। हजारों लाखों की संख्या में आवारा मवेशी सड़कों पर घूमते नजर आ जाएंगे। सबसे ज्यादा मवेशियों से किसान परेशान है। किसान रात-रात भर जागकर अपनी फसल के रखवाली कर रहा है।
मवेशी किसानों के खेत में घुसकर उनकी फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। लगातार चुनाव में आवारा मवेशी एक मुद्दा बना हुआ है। सरकार द्वारा जारी निर्देश के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और आवारा मवेशियों को पकड़ने के निर्देश स्थानीय अधिकारियों को दिए। अधिकारियों द्वारा कागजों में 50000 से अधिक आवारा मवेशियों को संरक्षित करने के दावे किए गए हैं लेकिन धरातल पर यह दावे हवा हवाई होते साबित हो रही है।
पशु पालकों पर भी एफ़आइआर करने के है निर्देश
जिला प्रशासन की ओर से आवारा पशुओं को संरक्षित करने के दावे की पोल जब खुल रही है जब अब भी किसान रात-रात भर जाग कर अपने खेत की रखवाली कर रहे हैं। दिन पर दिन मवेशियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। जिम्मेदार एक ओर जहां मवेशियों को पड़कर पशु आश्रय स्थल भिजवा रहे हैं वहीं अव्यवस्थाओं के चलते पशु वापस गांव में प्रवेश कर जा रहे हैं। ऐसे में सिर्फ कागजों में मवेशी संरक्षित हो रहे हैं। जबकि धरातल पर मवेशियों की स्थिति कम होने के स्थान पर बढ़ती ही जा रही है।
शहर के प्रमुख चौराहे एवं मार्गों पर भी आवारा मवेशियों के झुंड देखने को अब भी मिल जाएंगे। जब शहर से मवेशी संरक्षित नहीं हो पायें तो गांव में तो कोसो दूर मवेशियों के संरक्षित होना की बात है। जिला प्रशासन द्वारा अपने पालतू मवेशियों को छुट्टा छोड़ने पर एफ़आइआर करने के भी निर्देश दिए गए हैं लेकिन इसका भी कोई असर नहीं दिख रहा है। जनपद में बेसहारा पशुओं को संरक्षण को लेकर 321 अस्थाई, चार कान्हा और छह वृहद गौशाला केंद्र बने हैं जबकि 18 पंजीकृत गौशाला है। इन सभी में अभी तक 50000 से अधिक बेसहारा पशुओं को संरक्षण किया जा चुका है।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रचना दीक्षित ने बताएं कि पशु गणना में जनपद में चार लाख गोवंश पाए गए थे जिसमें लगभग 40000 बेसहारा पशु मिले थे। अब तक 50000 से अधिक बेसहारा पशुओं का संरक्षण किया जा चुका है। इसके बावजूद अभी भी निराश्रित पशुओं की समस्या बनी हुई है। जब तक गाय दूध देती है तब तक पशुपालक उसका पालन पोषण करते हैं जैसे ही गाय का दूध समाप्त होता है। पशुपालन उसे छोड़ देते हैं। इसी के चलते दिन पर दिन बेसहारा पशुओं की संख्या बढ़ती जा रही है।