Hardoi News: बारिश से मिली किसानों को राहत, मुस्कुरा उठीं फसलें, खेतों में भरा पानी

Hardoi News: पिछले 20 दिनों से बूंद-बूंद पानी को तरस रहे किसानों को बड़ी राहत मिली है। मूसलाधार बारिश से गर्मी से राहत मिली और किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी भी मिल गया।

Update:2023-08-22 17:26 IST
Hardoi ki Aaj Ki Taaza Khaba (Photo-Newstrack)

Hardoi News: पिछले 20 दिनों से बूंद-बूंद पानी को तरस रहे किसानों को बड़ी राहत मिली है। मंगलवार को दोपहर 12:00 से 1:00 बजे तक मूसलाधार बारिश हुई। जिससे गर्मी से राहत मिली और किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी भी मिल गया।

धान की फसल के लिए फायदेमंद साबित हुई बारिश

धान की फसल लगाने के बाद किसानों को पिछले 20 दिनों से पानी की काफी आवश्यकता थी, लेकिन बारिश नहीं हो रही थी। इस सबके बीच उमस भरी गर्मी में बिजली कटौती का दंश भी शहरवासियों को झेलना पड़ रहा था। धान की फसल में डीजल की महंगाई की वजह से छोटे और मझोले किसान पानी लगाने में पूरी तरह से असमर्थ थे। मंगलवार को दोपहर हुई मूसलाधार बारिश से जहां किसानों के चेहरे खिल उठे, वहीं गर्मी से बड़ी राहत मिली है। मौसम पूरी तरह से खुशगवार हो गया।

छोटे किसानों को मिला बड़ा फायदा

बारिश से सड़कों और गलियों में जलभराव हो गया। जिससे राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हालांकि खेतों में पर्याप्त मात्रा में पानी पहुंच गया है। अग्रणी किसान अरविंद वर्मा, सुरेश चंद, वेद राम राजपूत, रामरूप आदि का मानना है मंगलवार की इस बारिश ने किसानों को काफी राहत प्रदान की है। धान की फसल के साथ-साथ गन्ने की फसल को भी काफी लाभ पहुंचा है, बारिश लगातार जारी है। किसानों को अच्छी बारिश की पूरी उम्मीद है। मझोले और छोटे किसान जो धान की फसल में पानी लगाने में सक्षम नहीं थे, उन किसानों के लिए यह बारिश वरदान साबित हुई है। कुछ किसानों ने कहा कि इंद्र देवता ने पानी नहीं बल्कि डीजल बरसा दिया है, अब उनकी धान और गन्ने की फसल अच्छी होने की उम्मीद है।

सड़कों और गलियों में जलभराव

एक घंटे की मूसलाधार बारिश ने पालिका प्रशासन की पोल खोलकर रख दी। मूसलाधार बारिश से मुख्य मार्गों के साथ-साथ गलियों में भी जल भराव हो गया। नालियां चोक होने की वजह से सड़कों पर गंदा और कीचड़ युक्त पानी बह निकला। एक घंटा पानी न निकल पाने के कारण शहरवासियों को अपने घरों तक इस गंदे पानी से गुजर कर जाना पड़ा।

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