Hardoi News:सारस की अनोखी कहानी, जोड़े में एक की हो मौत, तो दूसरा सिर पटककर दे देता है जान, राजकीय पक्षी की शुरू हुई गणना
Hardoi News: राजकीय पक्षी सारस की दिन पर दिन घट रही संख्या पर सरकार के साथ ही इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन आफ नेचर ने गहरी चिंता जाहिर की है।;
Hardoi News: सारस को लेकर सरकार एक बार फिर सक्रिय हुई है। दरअसल, उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी सारस है। राजकीय पक्षी सारस की दिन पर दिन घट रही संख्या पर सरकार के साथ ही इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन आफ नेचर ने गहरी चिंता जाहिर की है। सारस को किसानों का दोस्त माना जाता है। भारत में सारस जोड़े में ही देखने को मिलता है। साथ ही सारस दलदली भूमि वाले क्षेत्रों में ज्यादा पाया जाता है। सारस एक बड़ा पक्षी है, जिसकी घट रही संख्या को लेकर एक बार फिर सारस की गणना का निर्णय लिया गया है।
फोटोग्राफ के साथ की जा रही सारस की गिनती
जनपद में विशेष अभियान चलाकर दो दिनों से सारस की गणना शुरू हो गई। सोमवार से शुरू हुई सारस की गणना मंगलवार को भी फोटोग्राफ के साथ जारी है। सारस की गणना फोटोग्राफी के साथ की जा रही है। साथ ही सारस के पाए जाने वाले स्थान को भी अंकित किया जा रहा है। सारस पक्षी को संरक्षित रखने के सामाजिक वानिकी वन एवं वन्य जीव प्रभाग के माध्यम से गणना का कार्य कराया जा रहा है। वन्यजीव प्रभाग हरदोई में नहीं होने पर वन विभाग के माध्यम से जनपद के सांडी पक्षी विहार सहित दलदली भूमि, बड़े भूभाग सहित सारस के पाए जाने वाले क्षेत्रों को चिन्हित करके उनके संरक्षण पर ध्यान दिया जा रहा है।
वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय है सारस की गिरती तादात
सारस की घटती संख्या वैश्विक स्तर पर भी चिंता का विषय बनी हुई है। सारस कोक वर्तमान समय में संकटग्रस्त प्रजाति घोषित किया जा चुका है। सारस की प्रजाति सबसे ज्यादा भारत में पाई जाती थी। इसलिए भारत में सारस के संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। सामाजिक वन एवं वन्य जीव प्रभाग के प्रभारी निदेशक शशिकांत अमरेश ने बताया कि गत वर्ष के दौरान में यहां पर 703 सारस पाए गए थे। सारस को संरक्षण देने के लिए चलाई जा रही नमामि गंगे परियोजना, स्वयंसेवी संगठनों और समाज को सारस का महत्व बताने के लिए जोड़ा गया है। इसके लिए फोटो स्थल के नाम सहित उसका ब्यौरा जुटाया जाएगा।
सारस है अटूट प्रेम का उदाहरण
उत्तर प्रदेश का राष्ट्रीय पक्षी होने के साथ ही किसानों का दोस्त व अटूट प्यार का एक प्रतीक भी सारस होता है। दलदली भूमि पर अपना जीवन यापन करने वाले सारस जोड़े के साथ रहना पसंद करता है। सारस खेतों में होने वाले कीट पतंगों को अपना भोजन बनाकर किसानों की खेती की रखवाली करता है। सारस के जोड़ों में इतना प्रेम होता है कि यदि किसी एक की किसी भी कारण मौत हो जाती है तो दूसरा उसी स्थान पर सिर पटक-पटक कर अपनी जान दे देता है।
पूर्व में हुई गणना में थे इतने सारस
जनपद में पूर्व में हुई सारस गणना में कुल 478 सारस पाए गए थे। जिसमें शाहाबाद में 28, संडीला में 18, बिलग्राम 74, कछौना में 36, हरपालपुर में 26 और पिहानी में 43 सारस पाए गए थे। अब देखना होगा कि दो दिवसीय जनगणना में सरसों की संख्या में इजाफा हुआ है या फिर सारस की संख्या घट गई है।