Hardoi News: जलसंरक्षण को समाप्त कर रहा शहरीकरण, तेज़ी के पट रहे तालाब, जानिए हरदोई में कितने बचे हैं ये जलाशय
Hardoi News: जनपद के ज्यादातर तालाबों को पाटकर भवन निर्माण लोगों द्वारा किया गया है।
Hardoi News: जनपद में तालाब कभी जल का अहम स्रोत हुआ करते थे। ग्रामीणों को तालाबों से पीने का स्वच्छ पानी मिला करता था। पूर्व में लोगों के यहां नल तो दूर हैंडपाइप तक नहीं हुआ करते थे। ऐसे में तालाब ही एक मात्र साधन थे, जिससे लोगों को जलापूर्ति हुआ करती थी। समय के साथ जनपद के तालाब भी भू-माफिया व अतिक्रमण की जद में आ गए हैं। जनपद के ज्यादातर तालाबों को पाटकर भवन निर्माण लोगों द्वारा किया गया है।
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3628 में से आधे से ज्यादा तालाब हो चुके हैं विलुप्त
लगातार शासन स्तर पर जल संरक्षण अभियान को लेकर जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए जाते रहते हैं। हरदोई में शासन से प्राप्त निर्देशों के बाद जल संरक्षण अभियान शहर के चौराहों व स्कूलों आदि में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से किए जाते हैं। विभागीय आंकड़ों की मानें तो जनपद में 3628 से अधिक तालाब थे। जनपद के इन तालाबों में से अब ज्यादा का अस्तित्व समाप्त हो गया है। शहर की बात करें तो शहर में 283 व गांवों में 1000 तालाबों का वजूद अभी शेष बचा है। इसके अतिरिक्त सभी तालाबों का नामोनिशान शहर से लेकर गांव तक मिट गया है।
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इन जगहों पर तालाबों का समाप्त हो चुका अस्तित्व
शहर के मोहल्ला खजांची टोला स्थित तालाब को जल संग्रहण एवं संरक्षण से अधिक भूमि रूप में उपयोग के लिए कूड़ा कचरा और निर्माण सामग्री का मलबा डालकर समतल बना दिया गया है। इस तालाब के एक कोने में खरपतवार नाम के लिए यहां कभी तालाब होने की गवाही दे रहा है। वहीं रेलवेगंज में बाबा का ताल काफी बड़ा था, जिसे वहां के रहने वाले लोगों ने धीरे-धीरे पाटना शुरू कर दिया और अब तालाब का आकार काफी छोटा हो गया है। तत्कालीन जिलाधिकारी पुलकित खरे द्वारा तालाब पर अवैध कब्जे को हटवाकर तालाब के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू कराया गया था। हालांकि उनके तबादले के बाद कार्य जस की तस रुक गया और एक बार फिर तालाब को पाटने के लिए कूड़ा करकट लोगों द्वारा डाला जाने लगा है। शहर के सांडी रोड पर तालाब स्थित था, जो आधा पट चुका है जो बचा हुआ तालाब है वो सूखा पड़ा है। इसके अलावा शहर के चौहानथोक, आलूथोक, अशरफ टोला, सुभाष नगर, नुमाइश पुरवा के तालाब का अस्तित्व समाप्त हो चुका है।
गिरते जलस्तर की समस्या से जूझ रहे लोग
शहर के ज्यादातर तालाबों का अस्तित्व समाप्त होने से शहर में जलभराव की समस्या होने लगी है। पूर्व में तालाबों का अस्तित्व होने से बारिश का पानी तालाबों में चला जाता थाए जिससे शहर में जलभराव की समस्या से लोगों को नहीं जूझना पड़ता था। वहीं तालाबों का अस्तित्व भी बने रहने से जलस्तर भी समतल बना रहता था। गर्मी की शुरुआत होते ही लोगां के घरों में पानी की क़िल्लत शुरू हो जाती है। जानकारों का कहना है कि यदि ऐसे ही तालाब पर अतिक्रमण होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब लोग पानी कि एक-एक बूंद के लिए तरसेंगे।